बदलते समय के बाद बदला रक्षाबंधन का त्योहार, ये बातें आपकी सोच पर गहरा असर डालेंगी

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: August 26, 2018 10:47 AM2018-08-26T10:47:45+5:302018-08-26T10:47:45+5:30

अब महंगी राखी संग मिठाई की जगह कार्ड्स ड्राई फ्रूट्स, चॉकलेट्स, बुके ही और फिर रिटर्नगिफ्ट्स भी उम्रानुसार महंगी ड्रेसेस, साड़ियां, जेवर, डायमंड्स। एक महंगा गिफ्ट पाने की ललक दोनों ओर से है।

Raksha Bandhan Special: All about festivals of sawan month and its significance | बदलते समय के बाद बदला रक्षाबंधन का त्योहार, ये बातें आपकी सोच पर गहरा असर डालेंगी

बदलते समय के बाद बदला रक्षाबंधन का त्योहार, ये बातें आपकी सोच पर गहरा असर डालेंगी

डॉ. कृष्णा श्रीवास्तव

आषाढ़ की देवशयनी एकादशी से ही त्योहारों, उत्सवों का रेला मन-प्राण में उत्साहवर्धन करने लगता है। श्रवणी वर्षा, टप-टप टपकती बूंदें, घिरी घटाएं अनायास ही नई ऊर्जा का संचार करती हैं। त्योहार हमारी गरिमामयी सांस्कृतिक विरासत के अंग हैं। राखी का धागा बांध बहन अपने भाई से अपनी रक्षा का प्रण लेती है। भाई-बहनों के प्रेम और कर्तव्य की भूमिका किसी एक दिन की मोहताज नहीं है। रक्षाबंधन केवल एक त्योहार नहीं बल्कि हमारी परंपराओं का प्रतीक है, जिसने आज भी हमें अपने परिवार व संस्कारों से जोड़े रखा है।

भारतीय परंपरा कहें अथवा जन्म के संग नारी के खून में रची बसी समायी उत्सवधर्मी प्रवृत्ति ये पावन प्रेम की प्रतीक राखियां, भला किन भाई बहनों के मन को मोहित न करती होंगी। साल भर इंतजार के बाद श्रवणी बौछार के संग आता है यह त्यौहार।

आज बाजार झिलमिला रहे हैं खूबसूरत राखियों, उपहारों आकर्षक संदेशों से पूर्ण संदेशों से। भीड़ है कि छंटने का नाम नहीं लेती। एक पर एक टूटे पड़ रहे हैं, कैसा उत्साह है कैसी दीवानगी जोश है, त्यौहारों का रक्षाबंधन का? बाजार वाद की बहती आंधी में पैसा बहता है पानी की भांति, सैकड़ों, हजारों की राखियां और उससे महंगे गिफ्ट।

बस अब महंगी राखी संग मिठाई की जगह कार्ड्स ड्राई फ्रूट्स, चॉकलेट्स, बुके ही और फिर रिटर्नगिफ्ट्स भी उम्रानुसार महंगी ड्रेसेस, साड़ियां, जेवर, डायमंड्स। एक महंगा गिफ्ट पाने की ललक दोनों ओर से है।

समय की होड़ में सब आगे निकल गए हैं। रेडीमेड का जमाना है। हरी मेहंदी, सूखी मेहंदी से विलग रेडीमेड मेहंदी डिजाइनर मेहंदी, रंगीन टैटू का जमाना है, जेबें भरी होनी चाहिए। हर चीज उपलब्ध है। होम शॉपिंग, अमेजॉन क्या नहीं परोस देता घर बैठे। अब घरों से पकते पकवानों की मह मह करती महक कम ही उठती है, हर चीज तो मिठाई पकवान दूकानों में मौजूद है फिर किसलिए मेहनत की जाए- स्टेटस सिम्बल भी बन गया है, वैसे भी भागती दौड़ती जिन्दगी में समय का अभाव ही है। फिर भी उत्सवधर्मी महिलाएं त्यौहारों से मुंह कहां मोड़ पाती हैं, वह तो रक्त मज्जा में है। रूप भले ही बदल गए हैं। घर में न सही बाहर से लाकर या घर में ही ऑर्डर देकर मंगाकर उत्सव तो मनाने ही है। घर में अकेले न सही, कॉलनी में, क्लबों में सही, झूले पड़ते हैं श्रवणी रानी चुनी जानी है, सुंदर आकर्षक परिधानों में सजना है, राखी सजानी है। हर त्यौहार मनाना है क्योंकि ऋतु का आकर्षण है उत्साह है तरंग है।

चिंता का विषय है कि खुले पन ने पावन रिश्तों में सेंध लगाई है, भाई-बहन की पवित्रता को मनचलों ने तार-तार किया है खूनी रिश्तों से भी विश्वास उठता दिखता है।

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हमारे त्यौहार हमारी गरिमामयी सांस्कृतिक विरासत के अंग हैं जिन्हें हम मिलजुल कर सम्पन्न करें। समय परिवर्तनशील है। परंपराओं में उनके मनाने में भी नवीन तरीकों को अपनाना सुखद अहसास दिलाता है, मूल भावना तो एक होती है, भाई की कलाई पर रक्षाबंधन कर उसके भाल पर रोचने का टीका कर भाई-बहन के रिश्ते को नई दृढ़ता से स्वीकारें। एक दूसरे की सुरक्षा की शपथ लें क्योंकि अब बहनें भी समर्थ और आत्मनिर्भर हैं। गर्व करें एक दूसरे पर इस पावन रिश्ते पर। 

Web Title: Raksha Bandhan Special: All about festivals of sawan month and its significance

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