आपके बच्चे का भी हो रहा है मूड स्विंग तो आपकी है गलती, रोकने-टोकने के बजाए ऐसे करें उन्हें डील

By मेघना वर्मा | Updated: January 31, 2020 10:49 IST2020-01-31T10:49:59+5:302020-01-31T10:49:59+5:30

हर बच्चा मूड स्विंग में अलग-अलग तरह से बिहेव करता है। कुछ ज्यादा गु्स्सा हो जाते हैं तो कुछ चिड़चिड़ाने लगते हैं।

how to deal with a child with mood swings in hindi, Simple Steps to Handle Your Child's Mood Swings | आपके बच्चे का भी हो रहा है मूड स्विंग तो आपकी है गलती, रोकने-टोकने के बजाए ऐसे करें उन्हें डील

आपके बच्चे का भी हो रहा है मूड स्विंग तो आपकी है गलती, रोकने-टोकने के बजाए ऐसे करें उन्हें डील

Highlightsआपका दोस्ती भरा हाथ उनको इस दलदल से खींच लेगा। मूड स्विंग में बच्चे अपनी ही दुनिया बनाने लगते हैं।

आज के समय में लोग अपने करियर को लेकर इतने सजह हो गए हैं कि अपने घर और अपने बच्चों पर ध्यान नहीं दे पा रहे हैं। ये अच्छी बात है कि आप अपने करियर के बारे में सोचें मगर उसके चलते अपने बच्चों को नजरअंदाज करना आप पर भारी हो सकता है। 

अपने बच्चों के लिए समय नहीं निकालना उनसे दूर-दूर या कटे-कटे रहना आप ही के बच्चों को सजा दे रहा है। जिसके कारण वो मूड स्विंग्स के शिकार हो रहे हैं। 

आज बड़ी संख्या में बच्चे मूड स्विंग के शिकार हो रहे हैं। दरअसल हमने अपने बच्चों को मशीन बना दिया है। स्कूल, स्कूल के बाद ट्यूशन, ट्यूशन के बाद हॉबी क्लास और भी ना जाने क्या-क्या। इन सभी परिवर्तन के बीच बच्चे खुद नहीं समझ पाते कि उनके अंदर क्या बदलाव हो रहा है। उनको अचानक से गुस्सा क्यों आ रहा है। वो उदास क्यों हो जा रहे हैं। 

वहीं उनकी इस आदत की वजह से अक्सर मां-बाप को लगने लगता है कि उनके बच्चे बिगड़ रहे हैं। इसी के बाद वो उन्हें मार-पीटकर या रोक-टोक कर सही करना चाहते हैं जो पूरी तरह से गलत होता है। 

बच्चों में मूड स्विंग्स के है कारण

हमने आपने करियर और अपनी प्राथमिकताओं के चक्कर में बच्चों की लाइफ के पॉज बटन को दबाना ही भूल जाते हैं। हम भूल जाते हैं कि उन्हें भी हमारे समय की जरूरत है। बच्चे भी उनके मां-बाप के साथ पार्क या हॉलीडेज पर जाना चाहते हैं। उनके साथ समय बिताने के लिए हमारे पास समय ही नहीं होता। ऐसे माहौल में मूड स्विंग होने की आशंका बहुत ज्यादा हो जाती है। 

वहीं मूड स्विंग के प्रमुख कारणों में बच्चों में हार्मोनल चेंजेस बताए जाते हैं जो 13-14 वर्ष में होते हैं। मगर आज कल 10 से 12 साल तक के बच्चों में भी इस चीज को देखा जा सकता है। जिसे सुधारने के लिए उनके माता-पिता को ही अपने रवैये में और अपने रूटीन दोनों में ही सुधार करना जरूरी है। आइए आपको बताते हैं कुछ ऐसे स्टेप्स जिनकी मदद से आप अपने बच्चे के मूड स्विंग्स को संभाल सकते हैं। 

ये होते हैं बच्चों में मूड स्विंग्स के लक्षण

हर बच्चा मूड स्विंग में अलग-अलग तरह से बिहेव करता है। कुछ ज्यादा गु्स्सा हो जाते हैं तो कुछ चिड़चिड़ाने लगते हैं। कुछ अचानक शांत हो जाते हैं तो कुछ खाना-पीना ही छोड़ देते हैं। ज्यादा समय दरवाजा बंद करके अकेले रहना, नहाने में ज्यादा समय लेना, फोन या टीवी पर ज्यादा समय बिताना या दोस्तो के साथ मेलजोन का करना जैसे संकेत बताते हैं कि आपका बच्चा मूड स्विंग का शिकार है। 

ऐसे करें बच्चों के मूड स्विंग को डील

1. जिस समय आपका बच्चा मूड स्विंग से गुजर रहा हो उस समय उसका ध्यान बच्चे नहीं बल्कि किसी पौधे की तरह रखिए। उन्हें आपके प्यार और विश्वास की जरूरत होती है उन्हें आपके समय की जरूरत होती है। इसलिए अपने बच्चे को ज्यादा से ज्यादा समय दीजिए और उनसे बात करने की कोशिश कीजिए। 

2. मूड स्विंग में बच्चे अपनी ही दुनिया बनाने लगते हैं। इसलिए उन्हें किसी भी तरह का रोक-टोक या डांटने-डपटने से ज्यादा आपके लाड और प्यार की जरूरत है। इस समय बच्चे का भरोसा आप जितना जीतेंगे उतनी ही जल्दी उसको मूड स्विंग की दुनिया से वापिस खींच पाने में सक्षम होंगे। 

3. इस समय अपनी किसी भी इच्छाओं को बच्चों पर ना थोपें। बच्चो पढ़ने में भी अच्छा हो, स्पोर्ट्स में भी अच्छा हो या एक्सट्रा एक्टिवीटी में भी अच्छा हो ऐसे बच्चे सिर्फ फिल्मों में होते हैं इसलिए बच्चों पर किसी भी तरह का दबाव ना बनाएं।

4. आपका दोस्ती भरा हाथ उनको इस दलदल से खींच लेगा। इसलिए मूड स्विंग के दौरान बच्चों को दोस्त की तरह समझाएं और उनकी बात को भी सुनें उनके लिए समय निकालना सबसे जरूरी है।

5. बच्चों के सामने अपने घर का माहौल अच्छा बनाए। ऐसी स्थिती में अपने घर पर लड़ाई-झगड़े का माहौल ना बनाएं। इसका उनके ऊपर गलत प्रभाव पड़ेगा। बच्चों को इस समय सहानुभूती की जरूरत होती है। जब बच्चे रिलैक्स रहें तो उनसे बात करें। 

Web Title: how to deal with a child with mood swings in hindi, Simple Steps to Handle Your Child's Mood Swings

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