संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होते ही मोदी सरकार ने कई जरूरी बिलों को मंजूरी दे दी है। आज यानी शुक्रवार से शुरू हुए शीत कालीन सत्र में तीन तलाक के मुद्दे पर गैर-जमानती बिल को केंद्र से मंजूरी मिल गई है। ‘द मुस्लिम वीमेन प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स इन मैरिज एक्ट’ नाम के इस विधेयक को अगले सप्ताह सदन में पेश किया जा सकता है। तैयार मसौदे में तीन तलाक देने पर तीन साल तक की सजा का प्रावधान है।
इस बिल के कानून बनने के बाद कोई भी मुस्लिम पति अगर अपनी पत्नी को तीन तलाक देगा तो वो गैर-कानूनी होगा। हालांकि इंस्टेंट तलाक यानी तलाक-ए-बिद्दत को गैर-कानूनी माना जाएगा। बिल में दिए गए प्रावधानों के मुताबकि बोलकर, लिखकर, मैसेज करके या किसी भी रूप में दिया गया तीन तलाक अवैध माना जाएगा और ऐसा करने पर दोषी के खिलाफ न सिर्फ कानूनी कार्रवाई बल्कि तीन साल तक की सजा जुर्माना या दोनो का प्रावधान है।
इस बिल के मुताबिक तीन तलाक देना गैर-जमानती अपराध होगा। यदि कोई ऐसा अपराध करता है तो न्यायधीश तय करेंगे कि अपराधी को कितना जुर्माना देना होगा। गौरतलब है कि बीती 22 अगस्त सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए तीन तलाक को गैर कानूनी करार दिया था।
वहीं मोदी सरकार के इस फैसले पर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड फूंक-फूंक कर कमद रख रहा है। उसने 17 दिसंबर को दिल्ली में एक बैठक बुलाई हैं। हालांकि तीन तलाक वाले बिल के मुद्दे पर मुस्लिम बोर्ड क्या रुख अख्तियार करता है यह तो बैठक के बाद ही तय होगा।