नई दिल्ली, 16 मार्च; आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिलने तेलुगू देशम पार्टी (TDP) ने बीजेपी नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन तोड़ने का फैसला कर लिया है। इतना ही नहीं चंद्रबाबू नायडू की तेलगू देशम पार्टी ने मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लेकर भी आ रही है। इसके पहले टीडीपी ने वाईएसआर कांग्रेस के अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन का ऐलान किया था। टीडीपी के इस प्रस्ताव को कांग्रेस, एआईएडीएमके और सीपीआईएम ने भी समर्थन की घोषणा कर दी है। वहीं, ममता बनर्जी ने भी इस फैसले का स्वागत किया है।
कांग्रेस और टीडीपी दोनों ही दल राज्य में केंद्र से विशेष दर्जे की मांग को उठाना चाहते हैं। कांग्रेस जो इस समय लोकसभा चुनाव की पूरी तैयारियों में जुटा है। इसी को ध्यान में रखते हुए टीडीपी के अविश्वास प्रस्ताव के समर्थन का ऐलान किया है। आंध्र प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष एन रघुवीरा रेड्डी ने कहा कि पार्टी केंद्र के खिलाफ टीडीपी और वाईएसआर कांग्रेस की ओर से लाए जा रहे अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन करेगी।
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-आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू राज्य विधानसभा में भाषण दे रहे हैं। उन्होंने कहा- विखंडन के वादे अभी तक पूरी नहीं हुए हैं। ये स्थिति उत्पन्न नहीं होती, अगर लोकसभा में इस मामले को तभी शामिल किया जाता। मैंन लिए फंड मांगा तो अरुण जेटली ने साफ मना कर दिया। उन्होंने कहा था कि तेलंगाना भावना के लिए तैयार किया गया था तो क्या अब आप अन्याय नहीं कर रहे हैं। मैंने पीएम मोदी को भी कई पत्र लिखा लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।
- दोपहर दो बजे के बाद राज्यसभा की कार्यवाही शुरू हो गई है। टीडीपी सांसद वाई एस चौधरी अपना अधूरा भाषण दे रहे हैं। गुरुवार को उनकी बात सुने बिना सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी गई थी।
- AIADMK विधायक और तमिलनाडु मंत्री डी जयकुमार ने NDA से TDP के अलग होने पर कहा कि आंध्र प्रदेश के विभाजन के बाद कई मुद्दे सामने आए थे। लेकिन इन वर्षों में समस्याए नहीं दिखी और अगर दिखी तो उन्हें क्यों नहीं उठाया गया? यह केवल एक मौके का फायदा उठाकर किया गया है।
- लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने कहा कि अविश्वास प्रस्ताव को समर्थन देने वाले सांसदों की गिनती हंगामे के बीच करना मुमकिन नहीं है। इस तरह लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पेश हुए बिना ही सदन की कार्यवाही सोमवार तक के लिए स्थगित कर दी गई है।
- कांग्रेस नेता रेणुका चौधरी ने कहा, आंध्र प्रदेश के लोगों के साथ हमारी प्रतिबद्धता जारी है और मोदी सरकार इसको हमसे अलग नहीं कर सकती। केंद्र सरकार के नीतियों का खुद ही पर्दाफाश हो रहा है।
- बीजेपी नेता जीवीएल नरसिम्हन राव ने कहा, राज्य सरकार और टीडीपी सोचती है कि ऐसा करने से जनादेश खिलाफ हो सकती है, तो वह गलत हैं। बीजेपी राजनीतिक पार्टी के तौर पर आंध्र प्रदेश में खुद का कायम करने की कोशिश कर रही है। आंध्र प्रदेश लिए यह एक और त्रिपुरा साबित होगा।
-टीडीपी सांसद थोटा नरसिम्हन ने अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए लोकसभा के सचिव को लिखा पत्र।
- पश्चिम बंगाल में टीएमसी नेता ममता बनर्जी ने भी टीडीपी के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा , 'मैं सभी राजनीतिक दलों से अपील करती हूं कि सभी राजनीतिक मिलकर काम करें।
- आंध्र प्रदेश के एक्साइज मिनिस्टर केएस जवाहर ने कहा कि बीजेपी ने तेलुगू जनता को धोखा दिया है और इस बार भी उन्होंने ऐसा ही किया है, इसलिए हम अपना सर्मथन वापस ले रहे हैं।
सूत्रों की मानें तो वाईएसआर को इस अविश्वास प्रस्ताव पर टीडीपी के साथ कई अन्य विपक्षी पार्टियों का भी साथ मिल सकता है। पिछले हफ्ता टीडीपी ने यह कह कर केन्द्र सरकार का साथ छोड़ा था कि केंद्र ने उन्हें आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने की बात कही थी। लेकिन वह अब अपनी बातों से मुंह मोड़ रहे हैं।
इसपर वित मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि अगर हम आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देते हैं तो बिहार, झारखंड और ओडिशा जैसे राज्य भी ऐसी मांग उठा सकते हैं। इसके बाद ही कैबिनेट में टीडीपी के दो मंत्रियों ने इस्तीफा दिया था। वहीं बीजेपी के दो मंत्रियों ने भी आंध्र प्रदेश में इस्तीफे दिए थे।
क्या है अविश्वास का प्रस्ताव
अविश्वास का प्रस्ताव को निंदा प्रस्ताव, अविश्वास प्रस्ताव या विश्वास प्रस्ताव कहा जाता है। ये एक संसदीय प्रस्ताव है, जिसे पारंपरिक रूप से विपक्ष द्वारा संसद में एक सरकार को हराने या कमजोर करने की उम्मीद से रखा जाता है। या फिर दुर्लभ उदाहरण के रूप में यह एक तत्कालीन समर्थक द्वारा पेश किया जाता है, जिसे सरकार में विश्वास नहीं होता। यह प्रस्ताव नये संसदीय मतदान द्वारा पारित किया जाता है या अस्वीकार किया जाता है।
भारत में कब रखा गया पहला अविश्वास का प्रस्ताव
भारत में पहली बार संसद के इतिहास में अगस्त 1963 में जे बी कृपलानी ने अविश्वास प्रस्ताव रखा था। ये तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की सरकार के खिलाफ था। 1963 से लेकर अब तक संसद में 25 बार अविश्वास प्रस्ताव रखा जा चुका है। जिसमें से 24 बार यह प्रस्ताव असफल रहा है। लेकिन 1978 में अविश्वास प्रस्ताव ने मोरारजी देसाई की सरकार को गिरा दिया था।
कैसे पास होगा अविश्वास प्रस्ताव
लोकसभा अविश्वास प्रस्ताव तभी स्वीकार करेगा जब कम से कम 50 सांसद इसके समर्थन में होंगे। संसद की कार्यप्रणाली के तहत लोकसभा स्पीकर वाईएसआर कांग्रेस फ्लोर लीडर से प्रस्ताव पेश करने को कहेंगी। इसमें अगर 50 सांसदों ने सर्मथन कर दिया तो मोदी सरकार के खिलाफ पहला अविश्वास प्रस्ताव होगा। हालांकि ये कार्यवाही तभी हो सकती है, जब सदन की कार्यवाही सुचारू रूप से चले ।