राजस्थानः होली के बाद प्रदेश की सियासत में नए राजनीतिक रंग नजर आएंगे?

By प्रदीप द्विवेदी | Published: March 10, 2020 10:21 PM2020-03-10T22:21:44+5:302020-03-10T22:21:44+5:30

बड़ा सियासी संकट बीजेपी के सामने ही है, क्योंकि तीन में से अधिकतम महज एक सीट ही उसके हिस्से में आ सकती है, जबकि पुराने दावेदारों के अलावा वसुंधरा राजे के समर्थक और विरोधी भी राजनीतिक उम्मीदें लगाए बैठे हैं. जहां समर्थकों को भरोसा है कि इस चुनाव में राजे के समर्थकों को नजरअंदाज करने की पाॅलिटिकल रिस्क नहीं ली जाएगी, वहीं विरोधियों को विश्वास है कि केन्द्र अपनी पसंद का उम्मीदवार ही तय करेगा.

Rajasthan: After Holi, new political colors will be seen in state politics? | राजस्थानः होली के बाद प्रदेश की सियासत में नए राजनीतिक रंग नजर आएंगे?

तस्वीर का इस्तेमाल केवल प्रतीकात्मक तौर पर किया गया है। (फाइल फोटो)

Highlightsहोली के बाद प्रदेश का सियासी समीकरण नया स्वरूप लेगा, तो बदलते राजनीतिक रंग भी अपना असर दिखाएंगे. प्रदेश में तीन सीटों के लिए राज्यसभा के चुनाव होने जा रहे हैं, तो लंबे समय से राजनीतिक नियुक्तियों का भी इंतजार हो रहा है.अघोषित तौर पर प्रदेश में इस वक्त दो कांग्रेस और दो भाजपा हैं, जहां कांग्रेस में सीएम अशोक गहलोत और उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के अलग-अलग भी समर्थक हैं, तो बीजेपी में वसुंधरा राजे के समर्थक और विरोधी मौजूद हैं.

होली के बाद प्रदेश का सियासी समीकरण नया स्वरूप लेगा, तो बदलते राजनीतिक रंग भी अपना असर दिखाएंगे. प्रदेश में तीन सीटों के लिए राज्यसभा के चुनाव होने जा रहे हैं, तो लंबे समय से राजनीतिक नियुक्तियों का भी इंतजार हो रहा है.

दरअसल, अघोषित तौर पर प्रदेश में इस वक्त दो कांग्रेस और दो भाजपा हैं, जहां कांग्रेस में सीएम अशोक गहलोत और उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के अलग-अलग भी समर्थक हैं, तो बीजेपी में वसुंधरा राजे के समर्थक और विरोधी मौजूद हैं.

बड़ा सियासी संकट बीजेपी के सामने ही है, क्योंकि तीन में से अधिकतम महज एक सीट ही उसके हिस्से में आ सकती है, जबकि पुराने दावेदारों के अलावा वसुंधरा राजे के समर्थक और विरोधी भी राजनीतिक उम्मीदें लगाए बैठे हैं. जहां समर्थकों को भरोसा है कि इस चुनाव में राजे के समर्थकों को नजरअंदाज करने की पाॅलिटिकल रिस्क नहीं ली जाएगी, वहीं विरोधियों को विश्वास है कि केन्द्र अपनी पसंद का उम्मीदवार ही तय करेगा.

इस वक्त पूर्व केन्द्रीय मंत्री सीआर चौधरी, पूर्व मंत्री अरुण चतुर्वेदी, पूर्व भाजपा अध्यक्ष अशोक परनामी सहित कई नाम चर्चाओं में जरूर हैं, लेकिन सियासी आदत के अनुरूप केन्द्रीय नेतृत्व कोई चौकाने वाला उम्मीदवार भी दे सकता है.
कांग्रेस में जहां कम-से-कम दो सीटें जीतने की संभावना है, लिहाजा एक राजस्थान के बाहर के, जबकि एक स्थानीय उम्मीदवार को जगह मिल सकती है.

बतौर, बाहर के उम्मीदवार वैसे तो प्रियंका गांधी का नाम सबसे आगे है, लेकिन क्या वे चुनाव लडेंगी, इस पर प्रश्नचिन्ह है.

दो सीटें जीतने की संभावनाओं के मद्देनजर प्रियंका गांधी के अलावा अविनाश पाण्डे, मुकुल वासनिक, पूर्व केन्द्रीय मंत्री भंवर जितेन्द्र सिंह, दिनेश खोडनिया, गौरव वल्लभ, रणजीत सुरजेवाला, पूर्व सांसद ताराचन्द भगोरा, रघुवीर सिंह मीणा, अश्कअली टांक, दुरु मियां, राजीव अरोड़ा, वैभव गहलोत, मानवेन्द्र सिंह, डॉ. गिरिजा व्यास, ज्योति मिर्धा सहित करीब डेढ़ दर्जन नामों की चर्चा है.

लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस के कई दिग्गज चुनाव हार गए थे, उन्हें मुख्यधारा में सक्रिय करने के सियासी इरादे से भी उम्मीदवारों का चयन किया जा सकता है.

Web Title: Rajasthan: After Holi, new political colors will be seen in state politics?

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