जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला को जन सुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत हिरासत में लिए जाने को लेकर सरकार की आलोचना करते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने सवाल किया कि क्या राज्यसभा सदस्य वाइको के उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर करने की वजह से सरकार को यह कदम उठाना पड़ा।
सिब्बल ने ट्वीट कर कहा, ''(अब्दुल्ला को नजरबंद करने के) 43 दिनों के बाद अब पीएसए लगाया गया। पहले भाजपा ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर के 92 फीसदी लोग अनुच्छेद 370 के मुख्य प्रावधान हटाने के पक्ष में हैं और स्थिति सामान्य है।"
संसद के पटल पर गृह मंत्री अमित शाह के बयान का उल्लेख करते हुए सिब्बल ने कहा, ''अमित शाह ने संसद में कहा कि फारूक अब्दुल्ला को न तो हिरासत में लिया गया है और न ही गिरफ्तार किया गया है।" उन्होंने सवाल किया, ''अगर उस वक्त जन सुरक्षा को कोई खतरा नहीं था तो अब क्यों है? क्योंकि वाइको ने याचिका दायर कर दी?"
दरअसल, अब्दुल्ला की हिरासत को लेकर वाइको ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की जिस पर केंद्र सरकार से एक हफ्ते में जवाब मांगा गया है। उधर, जम्मू-कश्मीर के प्रशासन ने सोमवार को कहा कि अब्दुल्ला को पीएसए के तहत हिरासत में लिया गया है। पीएसए के तहत किसी भी व्यक्ति को बिना किसी मुकदमे के दो साल तक हिरासत में रखा जा सकता है।