कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि पी चिदंबरम की 106 दिनों की कैद प्रतिशोधपूर्ण थी और पूरा भरोसा है कि वह निष्पक्ष सुनवाई में खुद को निर्दोष साबित कर देंगे। चिदंबरम की रिहाई पर राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा कि SC से जमानत मिलने पर मुझे खुशी मिली।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने बुधवार को कहा कि पार्टी के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम को 106 दिन तक कैद रखना बदले की कार्रवाई थी। उन्होंने यह टिप्पणी उच्चतम न्यायालय से पूर्व वित्तमंत्री को आईएनएक्स मीडिया मामले में मिली जमानत के कुछ ही देर बाद की।
न्यायमूर्ति आर भानुमति की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने चिदंबरम को जमानत दी। 74 वर्षीय कांग्रेस नेता 21 अक्टूबर से हिरासत में थे। उन्हें केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने आईएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार मामले में गिरफ्तार किया था।
प्रवर्तन निदेशालय ने उन्हें 16 अक्टूबर को धनशोधन के आरोप में गिरफ्तार किया था। गांधी ने कहा, ‘‘माननीय पी चिदंबरम को 106 दिन तक कैद में रखना बदले की कार्रवाई थी। मैं खुश हूं कि उच्चतम न्यायालय ने उन्हें जमानत दी। मुझे पूरा भरोसा है कि वह निष्पक्ष सुनवाई में स्वयं को निर्दोष साबित करेंगे।’’
कांग्रेस ने आईएनएक्स मीडिया धनशोधन मामले में पार्टी के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम को जमानत देने के उच्चतम न्यायालय के फैसले का बुधवार को स्वागत करते हुए कहा कि आखिरकार सत्य की जीत हुई है। पार्टी ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर कहा, ‘‘आखिरकार सच की जीत हुई। सत्यमेव जयते।’’
चिदंबरम के पुत्र और कांग्रेस सांसद कार्ति ने पिता को जमानत मिलने पर खुशी जताते हुए कहा कि आखिर 106 दिनों के बाद जमानत मिल गई। दूसरी तरफ, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने कहा, न्याय में देरी अन्याय है। यह काफी पहले ही मिलना चाहिए था।
पार्टी प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने भी चिदंबरम को जमानत मिलने का स्वागत किया और कहा कि लंबी प्रतीक्षा के बाद यह हुआ है। न्यायमूर्ति आर. भानुमति की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने बुधवार को 74 वर्षीय पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री को जमानत दी। सीबीआई ने 21 अगस्त को आईएनएक्स मीडिया धनशोधन मामले में उन्हें गिरफ्तार किया था। प्रवर्तन निदेशालय ने धनशोधन मामले में 16 अक्टूबर को उन्हें गिरफ्तार किया था।
आईएनएक्स मीडिया धन शोधन मामले में पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम को मिली जमानत
उच्चतम न्यायालय ने आईएनएक्स मीडिया धन शोधन मामले में तिहाड़ जेल में बंद पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम को बुधवार को जमानत दे दी। न्यायालय ने चिदंबरम को निर्देश दिया कि पूर्व अनुमति के बगैर वह न तो देश से बाहर जायेंगे और न ही इस प्रकरण के बारे में मीडिया से बात करेंगे। न्यायमूर्ति आर भानुमति, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति ऋषिकेश राय की पीठ ने पिछले 106 दिन से जेल में बंद कांग्रेस के 74 वर्षीय वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम को जमानत देते हुये यह निर्देश भी दिया कि वह न तो गवाहों को प्रभावित करेंगे और न ही किसी साक्ष्य के साथ छेड़छाड़ करेंगे।
न्यायालय ने चिदंबरम को राहत प्रदान करते हुये उन्हें दो लाख रूपए का निजी मुचलका और इतनी ही राशि की दो जमानतें देने का निर्देश दिया। चिदंबरम को पहली बार आईएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार मामले में सीबीआई ने 21 अगस्त को गिरफ्तार किया था। इस मामले में उन्हें शीर्ष अदालत ने 22 अक्टूबर को जमानत दे दी थी। इसी दौरान 16 अक्टूबर को प्रवर्तन निदेशालय ने आईएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार मामले से मिली रकम से संबंधित धन शोधन के मामले में चिदंबरम को गिरफ्तार कर लिया था। वह इस समय न्यायिक हिरासत में हैं।
पीठ ने पूर्व वित्त मंत्री को जमानत देने से इंकार करने संबंधी दिल्ली उच्च न्यायालय का 15 नवंबर को फैसला निरस्त करते हुये चिदंबरम को निर्देश दिया कि वह इस मामले के बारे में न तो प्रेस को कोई इंटरव्यू देंगे और न ही इस संबंध में कोई बयान देंगे।
शीर्ष अदालत ने कहा कि आर्थिक अपराध गंभीर किस्म के होते हैं लेकिन आरोपी को जमानत देना नियम है और अपवाद स्वरूप ही इससे इंकार किया जा सकता है। न्यायालय ने कहा कि उसके आदेश का इस मामले के किसी भी अन्य आरोपी पर कोई प्रभाव नहीं होगा और पूर्व मंत्री आवश्यकता पड़ने पर इस प्रकरण की आगे जांच में जांच एजेन्सी के साथ सहयोग करेंगे। पीठ ने चिदंबरम को जमानत देने से इंकार करते समय अपराध की गंभीरता को ध्यान में रखे जाने को न्यायोचित बताया लेकिन उसने इस मामले के गुण दोष के बारे में अदालत की टिप्पणियों को नकार दिया। पीठ ने कहा कि अपराध की गंभीरता का आकलन तो प्रत्येक मामले के तथ्यों और परिस्थितियों के आधार पर अदालत करेगी।
न्यायालय ने कहा कि शुरू में वह सीलबंद लिफाफे में पेश दस्तावेजों के अवलोकन के पक्ष में नहीं थी लेकिन चूंकि उच्च न्यायालय ने इनका अवलोकन किया था, इसलिए शीर्ष अदालत के लिये इन पर गौर करना जरूरी हो गया था। पीठ ने फैसला सुनाने के बाद रजिस्ट्री को निर्देश दिया कि सीलबंद लिफाफे में सौंपी गयी सामग्री प्रवर्तन निदेशालय को लौटा दी जाये। पीठ ने कहा कि उसके आदेश को इस मामले के गुण दोष के बारे में किसी प्रकार का निष्कर्ष नहीं माना जायेगा ओर चिदंबरम के मामले की कथित पेचीदगी पर निचली अदालत विचार करेगी।
सीबीआई ने 15 मई, 2017 को एक मामला दर्ज किया था जिसमें आरोप था कि 2007 में तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम के कार्यकाल के दौरान विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड द्वारा आईएनएक्स मीडिया समूह को 305 करोड़ रुपये का विदेशी निवेश प्राप्त करने की मंजूरी देने में अनियमितताएं हुईं। इसके बाद प्रवर्तन निदेशालय ने भी धन शोधन का मामला दर्ज किया था।