Madhya Pradesh crisis: सीएम कमलनाथ को झटका, पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान का ट्वीट- सत्यमेव जयते, अन्याय की पराजय हुई
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: March 19, 2020 07:34 PM2020-03-19T19:34:29+5:302020-03-19T19:34:29+5:30
मध्य प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने लोकतंत्र का मज़ाक बना कर रख दिया था! वल्लभ भवन को दलालों के अड्डा बना दिया था। शराब माफिया, रेत और परिवहन माफिया हावी हो रहे थे। कानून और व्यवस्था की स्थिति चरमरा गई थी। अल्पमत की सरकार प्रदेश में नियुक्तियाँ और तबादले कर रही है। प्रशासनिक अराजकता की भी अति हो गई थी। आज ऐसे ही अन्याय की पराजय हुई है
भोपालः मध्य प्रदेश विधानसभा का सत्र 20 मार्च को बुलाये जाने संबंधी उच्चतम न्यायालय के आदेश पर भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बृहस्पतिवार को कहा कि सत्य की जीत होती है।
मध्य प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने लोकतंत्र का मज़ाक बना कर रख दिया था! वल्लभ भवन को दलालों के अड्डा बना दिया था। शराब माफिया, रेत और परिवहन माफिया हावी हो रहे थे। कानून और व्यवस्था की स्थिति चरमरा गई थी। अल्पमत की सरकार प्रदेश में नियुक्तियाँ और तबादले कर रही है। प्रशासनिक अराजकता की भी अति हो गई थी। आज ऐसे ही अन्याय की पराजय हुई है।
प्रदेश की करोड़ों करोड़ जनता की दुआएं और आशीर्वाद आज हमारे साथ है। कल फ्लोर टेस्ट में इस कांग्रेस की सरकार की पराजय होगी और नई सरकार बनने का रास्ता साफ होगा। हम माननीय सर्वोच्च न्यायालय के इस निर्णय का शीश झुकाकर स्वागत करते हैं। कल दूध का दूध और पानी का पानी साफ हो जाएगा।
सत्यमेव जयते!
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) March 19, 2020
चौहान ने शीर्ष अदालत के आदेश का स्वागत करते हुए संवाददाताओं से कहा, ‘‘सत्यमेव जयते। न्याय की जीत हुई है। शक्ति परीक्षण में यह सरकार (कमलनाथ के नेतृत्व वाली मध्य प्रदेश की कांग्रेस सरकार) पराजित होगी और (भाजपा नीत) नई सरकार बनने का रास्ता साफ होगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह सरकार अल्पमत में है और कल यह सिद्ध हो जाएगा।’’
वहीं, मध्य प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय पर कहा, ‘‘हम इस फैसले का स्वागत करते हैं। यह लोकतांत्रिक परंपराओं को बनाए रखेगा और खरीद-फरोख्त को रोकेगा। राज्यपाल लालजी टंडन ने भी मुख्यमंत्री को शक्ति परीक्षण कराने का निर्देश दिया था।’’
प्रदेश की करोड़ों करोड़ जनता की दुआएं और आशीर्वाद आज हमारे साथ है।
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) March 19, 2020
कल फ्लोर टेस्ट में इस कांग्रेस की सरकार की पराजय होगी और नई सरकार बनने का रास्ता साफ होगा।
हम माननीय सर्वोच्च न्यायालय के इस निर्णय का शीश झुकाकर स्वागत करते हैं।
कल दूध का दूध और पानी का पानी साफ हो जाएगा।
जब उनसे पूछा गया कि क्या वर्तमान में बेंगलुरु में ठहरे कांग्रेस के बागी विधायक विधानसभा की बैठक में भाग लेने आयेंगे, तो भार्गव ने कहा, ‘‘यह उन पर निर्भर करेगा कि वह कितना सुरक्षित महसूस करते हैं। जब भाजपा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया (पूर्व केन्द्रीय मंत्री) जैसे नेता पर हमला हो सकता है तो वे कैसे सुरक्षित महसूस कर सकते हैं।
कल सदन की कार्यवाही में शामिल होना उनकी इच्छा पर निर्भर करता है।’’ भार्गव ने कहा कि कांग्रेस के 22 विधायकों के त्यागपत्र देने के बाद कमलनाथ सरकार अल्पमत में है। सर्वोच्च न्यायालय ने 20 मार्च को शाम पांच बजे तक मध्य प्रदेश विधानसभा में हाथ उठाकर शक्ति परीक्षण कराने का बृहस्पतिवार को आदेश दिया। शीर्ष अदालत ने विधानसभा की कार्यवाही की वीडियोग्राफी करने का भी निर्देश दिया है।
मध्यप्रदेश की कांग्रेस सरकार ने लोकतंत्र का मज़ाक बना कर रख दिया था!
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) March 19, 2020
वल्लभ भवन को दलालों के अड्डा बना दिया था।
शराब माफिया, रेत और परिवहन माफिया हावी हो रहे थे।
कानून और व्यवस्था की स्थिति चरमरा गई थी।
मप्र का सियासी संकट: न्यायालय का कल शाम पांच बजे तक सदन में शक्ति परीक्षण का आदेश
उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को मध्य प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष एन पी प्रजापति को निर्देश दिया कि शुक्रवार को सदन का विशेष सत्र बुलाकर शक्ति परीक्षण कराया जाये और यह प्रक्रिया शाम पांच बजे तक पूरी हो जानी चाहिए।
न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ और न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता की पीठ ने सदन में कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के शक्ति परीक्षण की कार्यवाही की वीडियो रिकार्डिंग कराने और संभव हो तो इसका सीधा प्रसारण करने का भी निर्देश दिया। पीठ ने मध्य प्रदेश और कर्नाटक के पुलिस प्रमुखों को निर्देश दिया कि अगर कांग्रेस के 16 बागी विधायक विधानसभा में शक्ति परीक्षण की कार्यवाही में शामिल होने की इच्छा व्यक्त करें तो उन्हें पूरी सुरक्षा प्रदान की जाये।
पीठ ने यह भी आदेश दिया कि सदन की कार्यवाही के लिए सिर्फ शक्ति परीक्षण ही विषय होगा और इसमें किसी के लिये भी कोई बाधा नहीं डाली जायेगी। शीर्ष अदालत ने राज्य विधानसभा के सचिव को यह सुनिश्चित करने का आदेश दिया कि वहां किसी प्रकार की कानून व्यवस्था की समस्या नहीं हो।