आम आदमी पार्टी द्वारा इलेक्शन कमीशन को सौंपी गई फंडिग रिपोर्ट संदेह के घेरे में है। इस रिपोर्ट पर सीबीडीटी (सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज) ने सवाल उठाते हुए कहा है कि आम आदमी पार्टी की ओर से चुनाव आयोग को सौंपी गई चंदे की जानकारी और चंदे के रिकॉर्ड में काफी फर्क है। सीबीडीटी के मुताबिक यह जनप्रतिनिधित्व कानून का उल्लंघन हैं।
इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक सीबीडीटी के चेयरमैन सुशील चंद्रा ने मुख्य चुनाव आयुक्त ए के ज्योति को इस मामले में तीन जनवरी को लिखे एक पत्र में कहा है कि वित्त वर्ष 2014-15 के दौरान 'आप' के फाइनेंस का गलत मूल्यांकन (मूल्यांकन साल 2015-16) किया गया है। जो जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 29(C) का उल्लंघन है।
29 (C) के मुताबिक सभी दलों को 20,000 रुपये से ज्यादा की राजनीतिक फंडिग की जानकारी सरकार को देना अनिवार्य है। घोषित की गई राशि की विसंगतियों को देखते हुए आयकर विभाग ने आम आदमी पार्टी को इस संबंध में बीते साल नवंबर में एक नोटिस भी भेजा था। इसके बाद आप ने सरकार पर ही आरोप लगाते हुए इसे विपक्ष को खत्म करने की साजिश करार दिया था।
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक चुनाव आयोग को लिखी सीबीडीटी की चिट्ठी में 'आप' की इनकम के मूल्यांकन के बारे में जानकारी दी गई है, साथ ही यह भी बताया गया है कि पार्टी की ऑडिट रिपोर्ट में 13.16 करोड़ की आमदनी और खर्च, फंड दाताओं का जिक्र नहीं है।
सीबीडीटी के मुताबिक चुनाव आयोग को सौंपी गई रिपोर्ट में 450 ऐसे दाताओं के नाम नहीं बताए गए हैं जिन्होंने 20 हजार रुपए से ज्यादा का पार्टी फंड पार्टी को दिया है। वहीं सीबीडीटी ने अपने मूल्यांकन में पाया है कि 2 करोड़ का हवाला एंट्रीज भी हैं और 36.95 करोड़ रुपये के फंड की भी जानकारी मिली है जिसे पार्टी की वेबसाइट पर घोषित नहीं किया गया है।