बिहार: गरीबों को राशन देने के मामले में राज्य और केंद्र सरकार आये आमने-सामने, नीतीश सरकार के डाटा पर उठे सवाल
By एस पी सिन्हा | Published: May 2, 2020 03:13 PM2020-05-02T15:13:52+5:302020-05-02T15:13:52+5:30
केन्द्रीय मंत्री रामबिलास पासवान ने बिहार की ओर से दिए गए डाटा को खारिज कर दिया है. उन्होंने 30 लाख परिवारों के डाटा को खारिज किया है.
पटना: कोरोना के जारी कहर के बीच गरीबों के बीच आई भूखमरी की स्थिती में केन्द्र सरकार और बिहार सरकार अब आमने-सामने है. बिहार सरकार के द्वारा गरीबों के उपलब्ध कराये गये आंकड़े पर केन्द्र सरकार ने आपत्ति जताते हुए इसे मानने से इंकार कर दिया है. ऐसे में बिहार में गरीबो को राशन देने का मामला अटक गया है. इसकी वजह से बिना कार्ड वाले गरीबो को अनाज मिलना मुश्किल हो गया है. केन्द्रीय मंत्री रामबिलास पासवान ने बिहार की ओर से दिए गए डाटा को खारिज कर दिया है. उन्होंने 30 लाख परिवारों के डाटा को खारिज किया है.
सबसे मजेदार बात तो यह है कि बिहार में सरकार की चाल का हाल यह है कि कोरोना के कहर के पहले लोगों को राशन कार्ड बनवाने के लिए कहा गया था. तब लोगों ने बडे पैमाने पर राशन कार्ड बनाने के लिए आवेदन भी जमा कर दिये थे. लेकिन उसमें से करीब 36 लाख आवेदकों के आवेदनों को बिना विचार किये रद्दी की टोकरी में रख दिया गया था.
लोग कार्यालयों का चक्कर लगाते रहे, लेकिन अधिकारियों-कर्मचारियों के कानों में जूं तक नही रेंगा. कहा तो यह भी जाता है कि राशन कार्ड बनवाने के लिए जिसने भी जेब को गर्म किया, उनका राशन कार्ड आसानी से बन गया. लेकिन जो लोग ऐसा नही कर सके, वे घुमते रहे. अब जबकि संकट की स्थिती उत्पन्न हुई तो सरकार की नींद खुली है. लेकिन वह भी इतनी जल्दी कार्ड बनाना आसान भी नही है.
डाटा के आधार पर केन्द्र से खाद्यान्न के आवंटन की मांग की जा रही है
ऐसे में सरकार ने ’जीविका’ को यह जिम्मा सौंपा कि वह घर-घर जाकर रिपोर्ट तैयार करे, जिस आधार पर उन्हेम राशन दिया जा सके. लेकिन उसमें भी धांधली की खबरें सामने आई हैं. कहा तो यह भी जा रहा है कि एक ही घर में कई-कई लोगों का नाम पैसे लेकर जोड दिये गये हैं. अर्थात पूरी तरह फर्जी रिपोर्ट बनाकर सरकार को सौंप दिया गया है. अब इस डाटा के आधार पर केन्द्र से खाद्यान्न के आवंटन की मांग की जा रही है, ऐसे में इस डाटा के नाम पर गोलमाल होने की संभावना जताई जाने लगी है. इसतरह बिना कार्ड के गरीबों को राशन देने की घोषणा पर प्रश्नचिन्ह खडा हो गया है.
बिहार सरकार ने केंद्र को चिट्ठी लिखकर किया था ये आग्रह
दरअसल, बिहार के खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री मदन सहनी ने पिछले दिनों केंद्र को चिट्ठी लिखकर 30 लाख परिवारों यानी 1.5 करोड लोगों के लिए अनाज भेजने का आग्रह किया था. लेकिन केंद्रीय खाद्य एवं उपभोक्ता मंत्री रामविलास पासवान ने बिहार के इस आंकडे पर सवाल खडा करते हुए इसे नकार दिया है. रामविलास पासवान ने कहा की बिहार के खाद्य मंत्री ने 2021 की औपबंधिक जनसंख्या के आधार पर 150 लाख नए लाभुकों के लिए 75 हजार टन अनाज के आवंटन की मांग की है. जबकि पहले ही 2011 की जनगणना के अनुसार 14.04 लाख लाभुक कम है. उनकी पहचान नहीं हुई है.
उन्होंने यह भी कहा है की 3 अप्रैल को बिहार सरकार ने 7.37 लाख लाभुकों के लिए प्रधानमन्त्री गरीब कल्याण योजना के तहत मुफ्त अनाज का अनुरोध किया. जिसे 22 अप्रैल को मंजूरी दे दी गई और अतिरिक्त 3688 टन अनाज आवंटित भी किया जा चूका है. लेकिन अभी तक लाभुको की सूचि एनएफएसए पोर्टल पर नहीं डाली गई है.
रामविलास पासवान ने कहा है कि राशन किसे देना है इसकी पूरी लिस्ट देनी होगी. बिना लिस्ट के अनाज देना संभव नहीं है. पासवान ने कहा कि आठ करोड 71 लाख लोगों की लिस्ट होनी चाहिए पर आठ करोड 57 लाख का ही नाम है. ऐसे में अगर ज्यादा दिए और कोई कोर्ट गया तो क्या किया जाएगा? इस मामले में जो भी आपत्ति है वो केंद्रीय मंत्री ने बिहार के खाद्य मंत्री को भेज दिया है.
रामविलास की आपत्ति के बाद बिहार सरकार के मंत्री आये सामने
वहीं, रामविलास पासवान की आपत्ति के बाद बिहार सरकार के खाद्य आपूर्ति मंत्री मदन सहनी सामने आये और कहा कि राज्य का आंकडा सही है. मदन सहनी ने कहा कि बिहार ने दो स्तर पर डाटा मंगवाया है. एक आटीजीएस काउंटर के जरिये और दूसरा जीविका द्वारा मंगाया गया. मदन सहनी ने बताया कि साढे 14 लाख नहीं बल्कि जनसंख्या बढने के कारण पूरा डाटा 30 लाख हो गया है. अगली जनगणना वर्ष 2021 में होगी. जब तक जनगणना होगी तब तक गरीबों के लिये राशन भेजना चाहिए. मदन सहनी ने बताया कि अगर पूरे नाम की लिस्ट चाहिए तो वो भी मुहैया करा दी जाएगी. सहनी ने कहा की पहले किसे पता था कि जनगणना से पहले कोरोना आ जायेगा. उन्होंने प्रधानमन्त्री से इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है. उन्होंने कहा की प्रधानमंत्री से आग्रह है की कोई गाइडलाइन दें.
ऐसे में मौजूदा हालात में सबसे बडा सवाल यह खड़ा हो गया है कि अब जिनके पास राशन कार्ड नहीं है उन्हें राशन कब और कैसे मिलेगा? आखिर बिहार सरकार ने पहले से दिये आवेदनों पर विचार क्यों नही किया था? क्या आग लगने पर कुआं खोदने का काम बिहार सरकार के द्वारा किया जाता है? ऐसे तमाम प्रश्न बिहार सरकार के क्रिया-कलापों पर सवालिया निशान खडे कर दे रहे हैं. केन्द्रीय मंत्री की आपत्ति भी गौर किये जाने लायक है. जब गांव-गांव सही सर्वे किया गया तो फिर जीविका के लोगों पर सवाल क्यों उठे? ऐसे में केंद्रीय मंत्री ने पूरी लिस्ट मांगी है, ऐसे में अब देखना होगा कि बिहार सरकार कब तक और कितने लोगों की लिस्ट केंद्र को सौंपती है ताकि अनाज उपलब्ध कराया जा सके.