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रालोसपा का जदयू में विलय, आठ साल बाद नीतीश कुमार और उपेन्द्र कुशवाहा मिले, राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह नहीं पहुंचे

By एस पी सिन्हा | Updated: March 14, 2021 19:45 IST

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा द्वारा अपनी पार्टी रालोसपा का जदयू में विलय किए जाने के बाद रविवार को कुशवाहा को जदयू राष्ट्रीय संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष बनाए जाने की घोषणा की।

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ठळक मुद्देकुशवाहा को गुलदस्ता भेंट करके उनका जदयू में स्वागत किया।2014 के लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा नीत राजग का हिस्सा बन गये थे।कुशवाहा को नरेंद्र मोदी सरकार में शिक्षा राज्य मंत्री बनाया था।

पटनाः रालोसपा अध्‍यक्ष उपेंद्र कुशवाहा आठ साल बाद फिर जदयू का हिस्‍सा बन गए हैं। उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी रालोसपा का जदयू में विलय हो गया है।

उपेंद्र कुशवाहा ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मौजूदगी में जदयू कार्यालय के कर्पूरी सभागार में पार्टी के विलय का ऐलान किया और कहा कि वे एक बार फिर से अपने पुराने मित्र नीतीश कुमार के साथ आ गए हैं। नीतीश कुमार ने उपेंद्र कुशवाहा को अपनी पार्टी में शामिल कराया। इस दौरान नीतीश कुमार ने उन्हें पुष्पगुच्छ देकर स्वागत किया और उन्हें जदयू का अंगवस्त्र भी पहनाया।

जदयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा ने रालोसपा के जदयू में विलय की विधिवत घोषणा की. इस दौरान जदयू के वरिष्ठ नेता वशिष्ठ नारायण सिंह, बिहार सरकार के मंत्री अशोक चौधरी, बिजेंद्र यादव, विजय चौधरी, जदयू सांसद ललन सिंह समेत पार्टी के कई बडे़ नेता उपस्थित थे।

जदयू में शामिल कराने के निर्णय से आरसीपी सिंह असहज हैं

बता दें कि 3 मार्च 2013 को राष्‍ट्रीय लोक समता पार्टी की नींव रखने वाले उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी रालोसपा का सफर आज खत्म हो गया है। इस कार्यक्रम में जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह को छोड़ अन्य सभी नेता मौजूद रहे। बताया जाता है कि उपेन्द्र कुशवाहा के जदयू में शामिल कराने के निर्णय से आरसीपी सिंह असहज हैं।

लिहाजा उन्होंने मिलन कार्यक्रम से अपने आप को अलग रखने का निर्णय लिया. जदयू से ही अलग होकर उपेंद्र ने रालोसपा का गठन किया था। इस मौके पर उपेन्द्र कुशवाहा ने कहा कि बिहार का जो जनादेश था उसका हमने सम्मान किया है। उन्होंने कहा कि बिहार विधानसभा के दौरान ही जनता ने दोनों को एक साथ होने का संदेश दिया था. जिसके बाद आज दोनों पार्टियों का विलय हो गया है।

हम जनता की सेवा करेंगे

उपेंद्र कुशवाहा ने मंच से कहा कि यह जदयू मेरे लिए नया नहीं है और इसके निर्माण में भी मेरा योगदान रहा है. उन्होंने राजद पर तंज कसत़े हुए कहा अगर इनको मौका मिला तो फिर यह बिहार को आतंक में झोक देंगे। उन्होंने कहा कि हम बिना शर्त नीतीश कुमार के साथ आए हैं। आगे जो भी उतार चढ़ाव होगा, नीतीश कुमार के साथ होगा। हम जनता की सेवा करेंगे। हम पूरा जीवन नीतीश कुमार को समर्पित करेंगे।

वहीं विलय से ठीक पहले प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कहा कि हमारे पास सामाजिक और राजनीतिक संघर्ष के लिए इसके अलावा और कोई विकल्प नहीं बचा था। इस कदम से ना केवल हमारा संघर्ष मजबूत होगा बल्कि बिहार की राजनीति में हम और ज्यादा सशक्त बनेंगे।

वहीं, मिलन समारोह के दौरान अपने संबोधन में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ऐलान किया कि उपेंद्र कुशवाहा पार्टी के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष होंगे। उन्होंने कहा कि उपेंद्र कुशवाहा ने जो बड़ा फैसला किया है, इसके लिए उन्होंने अपनी कोई इच्छा नहीं जताई थी, लेकिन इसके बावजूद हम उनके बारे में सोचेंगे, हमारी जवाबदेही बनती है कि उपेंद्र कुशवाहा के कद को देखते हुए उन्हें कोई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जाए।

उपेंद्र कुशवाहा जदयू के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष होंगे

इसलिए आज अभी इसी वक्त से उपेंद्र कुशवाहा जदयू के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष होंगे। नीतीश कुमार ने कहा कि उपेंद्र कुशवाहा और हम लंबे अरसे से साथ राजनीति करते रहे हैं. हम एक थे और आगे भी एक रहेंगे. उपेंद्र कुशवाहा ने बिहार के बदले हुए राजनीतिक परिस्थितियों में विलय का फैसला किया और हम दोनों हाथ फैला कर उनके इस फैसले का स्वागत करते हैं। रालोसपा के जदयू में हुए विलय पर खुशी जताते हुए कहा कि अब साथ मिलकर हम काम करेंगे।

पार्टी का लवकुश (कुर्मी-कुशवाहा) समीकरण फिर से मजबूत होगा

बता दें कि रालोसपा के नेता उपेंद्र कुशवाहा की आज 8 साल बाद अपने पुराने घर में वापसी हुई है. वे अब तक दो बार जदयू को छोड़ चुके हैं. इसकी बाद एक बार फिर से वह जदयू में शामिल हो गए हैं. ऐसे में जदयू को उम्‍मीद है कि उपेंद्र के साथ आने से पार्टी का लवकुश (कुर्मी-कुशवाहा) समीकरण फिर से मजबूत होगा।

उल्लेखनीय है कि 2018 में उपेन्द्र कुशवाहा एनडीए से अलग हो गए थे और साल 2019 के लोकसभा चुनाव में महागठबंधन रहते हुए खुद दो सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें ही नही उनकी पार्टी को करारी हार मिली थी. फिर कुशवाहा महागठबंधन से भी अलग हो गए. बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में उन्होंने अपना एक अलग मोर्चा बनाया मगर मुंह की खा गए। एक भी सीट उनकी पार्टी के खाते में या उनके कई दलों वाले मोर्चे के हिस्से में नहीं आई।

उपेंद्र कुशवाहा का राजनीतिक सफर 1985 से शुरू हुआ। शुरुआती दिनों में वे युवा लोक दल से जुडे थे. बाद के दिनों में उन्‍होंने युवा जनता दल और फिर समता पार्टी में महत्‍वपूर्ण जिम्‍मेदारियां निभाईं। वर्ष 2000 में वे बिहार विधानसभा के लिए चुने गए और सदन में समता पार्टी के उपनेता बनाए गए. वह जदयू का विधायक रहते विपक्ष के नेता भी रहे।

2013 में बनी रालोसपा का एक समय में वजूद था

लेकिन उपेंद्र यहां संतुष्‍ट नहीं थे. इसके बाद उन्होंने एनसीपी का दामन थामा और उसके प्रदेश अध्यक्ष बनाये गये. लेकिन यह सियासी सफर भी बहुत लंबा नही चला. फिर उन्‍होंने राष्‍ट्रीय समता पार्टी नाम से अपनी पार्टी बनाई। इसके कुछ ही महीनों बाद उपेंद्र फिर से नीतीश कुमार के करीब आए और राष्‍ट्रीय समता पार्टी का जदयू में विलय हो गया।

लेकिन एकबार फिर उन्हें बाहर का रास्ता देखना पड़ा। इसके बाद 2013 में बनी रालोसपा का एक समय में वजूद था, पार्टी एनडीए में शामिल थी और स्वयं उपेंद्र कुशवाहा केंद्रीय राज्यमंत्री थे. वहीं, एनडीए से बाहर होने के बाद फिलहाल पार्टी का कोई भी नेता लोकसभा, राज्यसभा, विधानसभा या विधान परिषद के लिये चयनित नहीं हो सका है।

अब जबकि उनकी पार्टी का जदयू में विलय हो गया है तो ऐसे में उपेंद्र कुशवाहा या उनके परिवार के किसी खास सदस्य का फिलहाल विधान परिषद के माध्यम से सत्ता में प्रवेश का विकल्प मौजूद है, क्योंकि राज्यपाल कोटे से परिषद के 12 सदस्यों का मनोनयन होना बाकी है।

जदयू में रालोसपा के विलय के बाद लोक जनशक्ति पार्टी ने तंज कसा

इसबीच चर्चा है कि उपेन्द्र कुशवाहा को शरद यादव वाली राज्यसभा सीट दी जाए. बता दें कि शरद जदयू से अलग होने के बावजूद उसी का सदस्य बने रहने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में मुकदमा लड रहे हैं. इसपर फैसला जल्द आने की संभावना है, अगर ये नहीं हुआ तो फिर जदयू उपेंद्र कुशवाहा को राज्यपाल कोटे की विधान परिषद सीट और फिर अपने कोटे से बिहार में मंत्री पद भी दे सकता है।

रालोसपा के जदयू में विलय से पहले ही कई नेताओं ने कुशवाहा का विरोध किया और पार्टी का साथ छोड दिया. उधर, राजद ने कुशवाहा पर गिरगिट की तरह रंग बदलने का आरोप लगाया है. राजद नेता व नेता प्रतिपक्ष तेजस्‍वी यादव ने इस विलय को फर्जी बताते हुए कहा है कि रालोसपा का विलय पहले ही राजद में हो चुका है।

इसबीच, जदयू में रालोसपा के विलय के बाद लोक जनशक्ति पार्टी ने तंज कसा है, लोजपा प्रमुख चिराग पासवान ने नीतीश कुमार को सीधी चुनौती देते हुए कहा है कि रालोसपा के शामिल हो जाने के बाद अब अगर नीतीश कुमार ताकतवर हो गए हों तो उन्हें चुनाव में चलना चाहिए।

कारतूस के साथ से जंग लड़ना चाहते

चिराग ने कहा कि बिहार के विकास के लिए ढोंग कर रहे लोग अब बेनकाब हो रहे हैं. उन्होंने आगे कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार रेजगारी इकट्ठा कर रहे हैं. लेकिन वे समझ लें कि रेजगारी से जंग नहीं जीती जा सकती। सत्ता के लोभ से लाचार होकर लिए गए फ़ैसले के लिए बिहार की जनता आने वाले चुनाव में हिसाब करेगी क्योंकि नीतीश कुमार फूंके हुए कारतूस के साथ से जंग लड़ना चाहते हैं।

वहीं, बिहार के उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने उपेन्द्र कुशवाहा को एनडीए के साथ आने पर बधाई देते हुए कहा कि भाजपा का हाथ कभी खाली नहीं रहता। उन्होंने कहा कि रालोसपा का जदयू में विलय से एनडीए मजबूत होगा, एनडीए बिहार में एक बड़ी ताकत के साथ खड़ा है।

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