राहुल गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष बनने का ये सबसे मुफीद समय है!

By आदित्य द्विवेदी | Updated: December 14, 2017 13:16 IST2017-12-13T13:10:18+5:302017-12-14T13:16:16+5:30

राहुल गांधी कांग्रेस पार्टी के निर्विरोध अध्यक्ष चुन लिए गए हैं। ऐसा समय जब पार्टी की नैया डगमगा रही है। चुनाव दर चुनाव कांग्रेस को हार का मुंह देखना पड़ रहा है। इसके बावजूद राहुल गांधी के हाथ में पार्टी की कमान सौंपने का यह सबसे मुफीद समय है। ऐसा क्यों? पढ़िए...

Rahul Gandhi become President of Congress Party, Here is why this is the best time to take charge | राहुल गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष बनने का ये सबसे मुफीद समय है!

राहुल गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष बनने का ये सबसे मुफीद समय है!

Highlightsराहुल गांधी कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चुन लिए गए हैंराहुल के पक्ष में 89 नामांकन प्रस्ताव मिले और सभी वैध पाए गएसोनिया पिछले 19 सालों से पार्टी की कमान संभाल रही थीं

तमाम मौन स्वीकृतियों और कुछ प्रतिरोध की आवाज़ों के बीच राहुल गांधी कांग्रेस पार्टी के निर्विरोध राष्ट्रीय अध्यक्ष चुन लिए गए हैं। पिछले आम चुनावों से ही राहुल गांधी के हाथ में पार्टी की कमान सौंपे जाने की सुगबुगाहट थी लेकिन यह टलते हुए 2017 तक आ पहुंचा। राहुल गांधी ऐसे समय में कांग्रेस अध्यक्ष बने हैं जब पार्टी की नैया डगमगा रही है। चुनाव दर चुनाव कांग्रेस को हार का मुंह देखना पड़ रहा है। इसके बावजूद राहुल गांधी के हाथ में पार्टी की कमान सौंपने का यह सबसे सटीक समय है।

1. 2019 आम चुनाव के लिए पर्याप्त समय

2019 आम चुनावों के लिए अभी करीब 18 महीने का समय बचा हुआ है। किसी पार्टी के लिए रणनीति तैयार करने और उसे लागू करने के लिए यह समय पर्याप्त कहा जा सकता है। राहुल गांधी से उम्मीद की जानी चाहिए कि वो सोनिया गांधी की अपेक्षा अधिक सक्रियता से पार्टी गतिविधियों में शामिल होंगे। विपक्षी दल भी राहुल के युवा नेतृत्व को स्वीकार करने में अधिक परहेज नहीं करेंगे। इसकी बानगी बिहार विधानसभा में महागठबंधन और यूपी विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन में देखी जा सकती है।

2. सोनिया गांधी की बिगड़ती सेहत

सोनिया गांधी की तबियत दिनों-दिन बिगड़ती जा रही है। हाल के दिनों में हुए तमाम विधानसभा चुनावों में सोनिया गांधी की सक्रियता शिथिल पड़ती दिखी. हिमाचल और गुजरात चुनाव के दौरान वो सीधे तौर पर लोगों से नहीं जुड़ सकी। इस बीच राहुल गांधी कांग्रेस के खेवनहार बनकर उभरे और इन दोनों राज्यों में ताबड़तोड़ दौरे और रैलियां की। 

3. मोदी सरकार का 'एंटी इंकम्बेंसी' फैक्टर

2014 लोकसभा चुनावों में बीजेपी की आंधी चली जिसके पीछे प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी का करिश्माई व्यक्तित्व था। साढ़े तीन सालों में नरेंद्र मोदी के तिलिस्म के साथ बीजेपी ने कई और चुनाव भी जीते। बिहार और दिल्ली विधासभा चुनाव इसके अपवाद हैं क्योंकि यहां पर विपक्षी दलों ने पुख्ता काउंटर नैरेटिव पेश किया। लेकिन नोटबंदी और जीएसटी जैसे फैसले ने मोदी सरकार के प्रति थोड़ी नाराजगी पैदा की है। अर्थव्यवस्था के संकेतकों जैसे जीडीपी और औद्योगिक उत्पादन के खराब आंकड़ों ने भी लोगों को सरकार के कामकाज पर सवाल उठाने का मौका दिया है।

4. राहुल 2.0

गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान राहुल गांधी का 2.0 वर्जन देखने को मिला। भाषणों के साथ-साथ सोशल मीडिया पर भी लोगों से उनका ज्यादा जुड़ाव दिखाई दे रहा है। उनके हालिया बयानों में मजाकिया लहजा और व्यंग का पुट दिखने लगा है जो उनकी लोकप्रियता के ग्राफ को बढ़ा रहा है। कम से कम 'पप्पू' वाली छवि से तो उनको मुक्ति मिलती दिख रही है।

5. विपक्ष के जायज मुद्दे और काउंटर नैरेटिव का मौका

2019 चुनाव से पहले विपक्ष के पास कई जायज मुद्दे हैं जिस पर सत्ताधारी बीजेपी को घेर सकती है। लेकिन उसके लिए कांग्रेस के पास काउंटर नैरेटिव होना बेहद जरूरी है। मसलन, 2014 में नरेंद्र मोदी 'भ्रष्टाचार मुक्त भारत' और 'विकास' के मुद्दे पर पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता पर काबिज़ हुए थे। आगामी लोकसभा चुनावों में कांग्रेस किन मुद्दों के साथ जनता के बीच जाएगी यही कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी के राजनीतिक करियर की दशा और दिशा तय करेगा।

Web Title: Rahul Gandhi become President of Congress Party, Here is why this is the best time to take charge

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