उगते सूर्य को अर्घ्य देकर छठ पूजा का समापन, पटना से लेकर वारणसी और देश के दूसरे हिस्सों में कैसे मनाया गया महापर्व, देखें तस्वीरें

By विनीत कुमार | Published: November 21, 2020 08:00 AM2020-11-21T08:00:54+5:302020-11-21T08:10:10+5:30

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महापर्व छठ का समापन आज उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ हो गया। इस दौरान देश भर में कई जगहों पर नदी किनारे श्रद्धालु उतरे सूर्य को अर्घ्य देने नजर आए।

परंपरा के अनुसार उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद श्रद्धालु व्रत तोड़ते हैं और इस तरह चार दिनों तक चलने वाला ये लोक आस्था का महापर्व संपन्न होता है।

वाराणसी में बड़ी संख्या में गंगा किनारे लोगों ने आज उगते सूर्य को अर्घ्य देकर छठ पूजा का चार दिवसीय अनुष्ठान पूरा किया। कोविड-19 के कारण घाटों पर उमड़े लोगों की संख्या में कमी रही।

बिहार की राजधानी पटना में भी ऐसा ही नजारा दिखा। ये पटना कॉलेज घाट की तस्वीर है। हालांकि, इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों की भी धज्जियां भी खूब उड़ी।

दिल्ली में इस बार कोरोना के बढ़ते मामलों के देखते हुए छठ पूजा पर नदियों के किनारे लोगों के आने पर रोक लगाई गई थी। ऐसे में कई लोगों ने अपने गली-मोहल्लों और छत पर खड़े होकर उगते सूर्य को अर्घ्य दिया।

मुंबई में भी लोगों ने छठ पर्व को धूमधान से मनाया। कई लोग मास्क पहने और एहतियात बरतते भी नजर आए।

छठ पर्व मनाने की तस्वीरें ओडिशा के भुवनेश्वर से भी आई हैं। यहां भी लोगों ने छोटे-छोटे हिस्सों में बंटकर छठ व्रत पूरा किया।

परंपरानुसार छठ व्रती सूप में पूजा सामग्री लेकर नदियों एवं तालाबों के तटों पर पहुंचते हैं और पहले दिन डूबते सूर्य को फिर अगले दिन उतगे सूर्य को अर्घ्य देते हैं।

बता दें कि बिहार और पूर्वांचल में छठ पूजा का बहुत महत्व है और इसे पूरे उत्साह तथा स्वच्छता के साथ मनाया जाता है। पहले दिन नहाए-खाए के साथ छठ व्रत की शुरुआत होती है।

नहाए-खाए के दिन बिना प्याज-लहसन के शुद्ध सात्विक भोजन बनता है। इसके बाग खरना के दिन व्रती सिर्फ एक बार रात को भोजन करते हैं। प्रसाद में गुड़ की खीर (रसियाव) बनती है। इस व्रत को करने वाले जमीन पर सोते हैं। व्रत के तीसरे और चौथे दिन अर्ध्य में फल और पकवान पूजा में चढ़ते है। इस दौरान गुड़ और चीनी का ‘ठेकुआ’ का प्रसाद बनता है जो काफी लोकप्रिय है।