क्या आपने सोचा है कि हम आजाद क्यों हैं? जानिए महान शहीदों ने इस बारे में क्या कहा था...

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: August 15, 2018 07:45 AM2018-08-15T07:45:07+5:302018-08-15T07:45:07+5:30

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मंगल पांडे ने दिया बलिदान: बैरकपुर छावनी में बंगाल नेटिव इंफैंट्री की 34वीं रेजीमेंट में सिपाही रहे, जहां गाय और सूअर की चर्बी वाले कारतूस और अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह का शंखनाद किया।

रानी लक्ष्मीबाई ने दिया बलिदान: अंग्रेजों की भारतीय राज्यों को हड़पने की नीति के विरोध स्वरूप उन्होंने हुंकार भरी 'अपनी झांसी नहीं दूंगी' और अपनी पीठ के पीछे दामोदर राव को कसकर घोड़े पर सवार हो, अंगरेजों के खिलाफ युद्ध का उद्घोष किया।

महात्मा गांधी ने दिया बलिदान: उन्होंने जिस प्रकार सत्याग्रह, शांति व अहिंसा के रास्तों पर चलते हुए अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर कर दिया, उसका कोई दूसरा उदाहरण विश्व इतिहास में देखने को नहीं मिलता।

रामप्रसाद बिस्मिल ने दिया बलिदान: 19 वर्ष की आयु में बिस्मिल ने क्रांति के रास्ते पर अपना पहला कदम रखा और हंसते-हंसते फांसी के तख्ते पर पर झूल गए।

अशफाक उल्ला खां ने दिया बलिदान: भारत की आज़ादी के लिए क्रांति की राह पर चलने वाले अशफाक उल्ला खां को 19 दिसम्बर, 1927 को फैजाबाद जेल में फांसी दे दी गई। इस घटना ने आज़ादी की लड़ाई में हिन्दू-मुस्लिम एकता को और भी अधिक मजबूत कर दिया।

भगत सिंह ने दिया बलिदान: उनका विश्वास था कि उनकी शहादत से भारतीय जनता और उग्र हो जाएगी, लेकिन जब तक वह जिंदा रहेंगे ऐसा नहीं हो पाएगा। इसी कारण उन्होंने मौत की सजा सुनाने के बाद भी माफीनामा लिखने से साफ मना कर दिया था।

चंद्रशेखर आज़ाद ने दिया बलिदान: गिरफ्तारी के बाद उन्होंने अपना नाम 'आज़ाद', पिता का नाम 'स्वतंत्रता' और 'जेल' को उनका निवास बताया। उन्होंने आज़ाद जीवन जिया और बंदी जीवन के बजाय उन्होंने आज़ाद मौत चुनी..