सामूहिक दुष्कर्म मामला: अंडमान के पूर्व मुख्य सचिव की अग्रिम जमानत याचिका खारिज

By संदीप दाहिमा | Published: November 10, 2022 07:44 PM2022-11-10T19:44:43+5:302022-11-10T19:47:38+5:30

Next

एक स्थानीय अदालत ने सामूहिक दुष्कर्म के एक मामले में अंडमान और निकोबार के पूर्व मुख्य सचिव जितेंद्र नारायण की अग्रिम जमानत याचिका बृहस्पतिवार को खारिज कर दी। फैसले के तुरंत बाद पुलिसकर्मियों की एक टीम उस निजी रिसॉर्ट पहुंची, जहां नारायण ठहरे हुए थे और भारी सुरक्षा के बीच उन्हें पुलिस लाइन ले गए।

एक विशेष जांच दल (एसआईटी) मामले में नारायण से तीन बार पूछताछ कर चुका है। एसआईटी का गठन उन आरोपों की जांच के लिए किया गया था कि अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में 21 वर्षीय एक युवती को सरकारी नौकरी का झांसा देकर मुख्य सचिव के घर ले जाया गया और फिर वहां नारायण सहित शीर्ष अधिकारियों ने उससे बलात्कार किया।

नारायण के लिए अग्रिम जमानत का अनुरोध करते हुए उनके वकील दीप कबीर ने कहा कि पूर्व मुख्य सचिव जांच में सहयोग कर रहे हैं और उन्हें राहत दी जानी चाहिए। पीड़िता के वकील फटिक चंद्र दास के अनुसार, जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुभाशीष कुमार कर ने हैरानी जताई कि उन्हें राहत किस आधार पर मिलनी चाहिए क्योंकि मामले के दो अन्य आरोपियों की अग्रिम जमानत याचिका पहले ही खारिज कर दी गई थी।

न्यायाधीश, श्रम आयुक्त आर एल ऋषि और व्यवसायी संदीप सिंह उर्फ रिंकू का जिक्र कर रहे थे। ऋषि पर भी युवती से बलात्कार का आरोप लगाया गया था, जबकि सिंह के नाम का उल्लेख प्राथमिकी में अपराध में सहयोगी के रूप में किया गया है। न्यायाधीश ने कहा, चूंकि नारायण काफी समय तक अंडमान के मुख्य सचिव रहे और ‘‘उनकी शक्ति और हैसियत की तुलना सामान्य स्तर के व्यक्ति के साथ नहीं की जा सकती।’’

आदेश में कहा गया, ‘‘...उचित और निष्पक्ष जांच के लिए वर्तमान याचिकाकर्ता को हिरासत में लेकर पूछताछ की जरूरत से इंकार नहीं किया जा सकता है।’’ प्राथमिकी एक अक्टूबर को दर्ज की गई थी जब नारायण को दिल्ली वित्तीय निगम के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक के रूप में पदस्थापित किया गया था। सरकार ने उन्हें 17 अक्टूबर को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। अंडमान और निकोबार पुलिस ने दो नवंबर को ऋषि और सिंह के बारे में सूचना देने वाले के लिए एक-एक लाख रुपये के इनाम की घोषणा की। दोनों फरार हैं।