रिजर्व बैंक के एलटीआरओ को बैंकों का ज्यादा समर्थन नहीं, रु 50000 करोड़ में से सिर्फ रु28500 करोड़ के खरीदे गए ऋण
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: April 26, 2020 14:14 IST2020-04-26T14:14:39+5:302020-04-26T14:14:39+5:30
आरबीआई गवर्नर दास ने 50000 करोड़ रुपये के एलटीआरओ घोषणा की थी कि इसमे से राष्ट्रीय ग्रामीण एवं कृषि विकास बैंक (नाबार्ड) के जिम्मे 25,000 करोड़ रु पये, भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी)के 15,000 करोड ़और राष्ट्रीय आवास (एनएचबी) 10,000 करोड़ शामिल थे.

आरबीआई ने इस श्रृंखला के पहले चरण की नीलामी शुरुआत की जिसमें कुल 14 बैंकों ने ही रुचि दिखाई और कुल 28500 करोड़ रुपये के ऋण ही खरीदे.
मुंबई: भारतीत रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास द्वारा घोषित की गई लक्षित दीर्घकालिक रेपो दर संचालन (टीएलटीआरओ) के पहले चरण को बैंकों की ओर से अपेक्षित समर्थन नहीं मिला है. शुक्रवार को एक सप्ताह तक की अवधि में इसका लाभ बैंकों ने लगभग पचास फीसदी ही उठाया है. क्या है टीएलटीआरओ टीएलटीआरओ लंबी अविध के लिए रेपो रेट पर ऋणों की नीलामी है जिसे किसी विशिष्ट वित्तीय क्षेत्रों को तरलता (नकदी) प्रदान करने के लिए किया जाता है.
इसके तहत आरबीआई रेपो रेट (जैसे 4.40 प्रतिशत सालाना) की दर पर तीन साल की अवधि के लिए बैंकों को कर्ज देता है.बैंक इस कर्ज राशि में से कम से कम आधी राशि बाजार की तय ब्याज दरों पर लक्षित क्षेत्र विशेष में निवेश करने के लिए बाध्य होते हैं. बैंक इसके माध्यम से क्षेत्र विश्ेाष को कर्ज के रूप में नकदी उपलब्ध करवाते हैं. लॉकडाउन की वजह से इस समय गैरबैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी) और म्युचुअल फंड उद्यम (एमएफआई ) गहरे संकट में में फंसे हुए हैं.
आरबीआई गवर्नर दास ने 50000 करोड़ रुपये के एलटीआरओ घोषणा की थी कि इसमे से राष्ट्रीय ग्रामीण एवं कृषि विकास बैंक (नाबार्ड) के जिम्मे 25,000 करोड़ रु पये, भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी)के 15,000 करोड ़और राष्ट्रीय आवास (एनएचबी) 10,000 करोड़ शामिल थे.
शुक्रवार को आरबीआई ने इस श्रृंखला के पहले चरण की नीलामी शुरुआत की जिसमें कुल 14 बैंकों ने ही रुचि दिखाई और कुल 28500 करोड़ रुपये के ऋण ही खरीदे. यहां उल्लेखनीय है कि इस नीलामी से बैंकों के पास यह अवसर सुलभ था कि तीन साल की अवधि के लिए 4.40 प्रतिशत पर ब्याज पर एक बड़ी राशि हासिल कर उसे बाजार दर के ब्याज पर लक्षित संस्थाओं को देकर मुनाफा कमाते. इसके लिए बोली में बैंकों को एक पैसा भी निवेश करने की जरूरत नहीं थी. अब चूंकि, बैंकों ने केवल 28,500 करोड़ रु पये का ऋण खरीदा है, जाहिर है कि नाबार्ड, सिडबी और एनएचबी को इस टीएलटीआरओ से 14 250 करोड़रुपये ही मिलेंगे. इससे ऐसा लगता है कि रिजर्व बैंक जल्द ही शेष राशि के लिए टीएलटीआरओ की दूसरी किश्त लाएगा.