यूथ ओलंपिक: सिल्वर मेडल जीत इतिहास रच चुकी तबाबी की मां करती हैं मछली बेचने का काम, पिता हैं मजदूर
By विनीत कुमार | Published: October 9, 2018 05:47 PM2018-10-09T17:47:26+5:302018-10-09T17:47:53+5:30
तबाबी देवी को फाइनल में वेनेजुएला की मारिया जिमिनेज से 11-0 से हारकर सिल्वर मेडल से संतोष करना पड़ा।
नई दिल्ली, 9 अक्टूबर: अर्जेंटीना में जारी यूथ ओलंपिक-2018 में जूडो में सिल्वर मेडल जीतकर मणिपुर की 16 साल की थंगजान तबाबी देवी ने इतिहास रच दिया। वह भारत की पहली एथलीट बन गईं जिन्होंने सीनियर या जूनियर ओलंपिक स्तर पर जूडो में भारत के लिए कोई मेडल जीता है। हालांकि, इस एथलीट की कहानी बेहद दिलचस्प और चौंकाने वाली है।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार तबाबी के पिता थंगजाम तोइबा सिंह पेशे से दिहाड़ी मजदूर हैं जबकि मां थंगजाम ओंगबी कमला देवी मछली बेचने का काम करती हैं। तबाबी मणिपुर के मयांग शहर में स्थिति एक छोटे से गांव कोकचाइ मक्खा लीकाई से आती हैं। यह जगह इंफाल से 24 किलोमीटर दूर है। तबाबी चार भाई-बहन हैं और वह सबसे बड़ी हैं।
अखबार के अनुसार तबाबी की भावुक मां ने बताया, 'गोल्ड का बताया था। कोच बता रहे हैं कि सिल्वर आया है। हमारे लिए तो सिल्वर भी गोल्ड है। जब उसने जूडो शुरू किया तो कभी-कभी हमारे पार खाने के लिए भी पैसे नहीं होते थे। मैं ऐसे में एक या दो मछली उसके लिए अलग रख देती थी। इसका मतलब ये हुआ कि कुछ दिनों हमें कोई मुनाफा तक नहीं होता। हमने आज (सोमवार) 240 रुपये कमाये और हम इस पैसे को उसके लिए उपहार के तौर पर रखेंगे।'
वहीं, तबाबी के पिता तोइबा ने बताया कि उनकी पत्नी ने अपनी बेटी के लिए कुछ मछलियां अलग रख दी हैं। साथ ही ये भी कहा कि गांव तबाबी के स्वागत की तैयारियों में जुटा है और परिवार की ओर से दावत की भी उम्मीद कर रहा है। हालांकि, तबाबी के पिता को इसकी ज्यादा चिंता नहीं है।
तोइबा के अनुसार, 'मुझे बताया गया है कि तबाबी के अकादमी का हर ट्रेनी 1-2 किलो चावल उत्सव के लिए ले कर आ रहा है।'
बताते चलें कि तबाबी देवी को फाइनल में वेनेजुएला की मारिया जिमिनेज ने 11-0 से हराया। वहीं, सेमीफाइनल में क्रोएशिया की विक्टोरिया पुलिजिच को 10-0 से हराया था। उससे पहले उन्होंने भूटान की यांगचेन वांगमो को 10-0 से मात दी थी। तबाबी ने राष्ट्रीय स्तर पर अपना पहला मेडल बिहार में 2016 में सब-जूनियर राष्ट्रीय प्रतियोगिता में जीता था। पिछले साल भी उन्होंने किरगिस्तान में एशियन कैडेट चैम्पियनशिप में गोल्ड मेडल अपने नाम किया था।