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Flashback 2019: भारतीय मुक्केबाजों के शानदार प्रदर्शन के नाम रहा साल, अमित पंघल छाए रहे, मैरी कॉम-निकहत जरीन विवाद रहा सुर्खियों में

By भाषा | Updated: December 29, 2019 16:23 IST

Year Ender 2019 Boxing: इस साल भारतीय बॉक्सिंग ने कई उतार-चढ़ाव देखे, जिनमें कई यादगार सफलताओं से लेकर कई विवाद शामिल रहे

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ठळक मुद्दे2019 में भारतीय बॉक्सिंग के लिए सबसे बड़ा नाम बनकर उभरे अमित पंघलओलंपिक क्वॉलीफिकेशन खेलने को लेकर मैरी कॉम, निकहत जरीन का विवाद सुर्खियों में रहा

नई दिल्ली: भारतीय मुक्केबाजी के लिए रिंग में यह साल सफलताएं हासिल करने वाला रहा जिसमें अमित पंघल ने सबसे ज्यादा प्रभावित किया। इसके साथ ही डोपिंग मामले में मुक्केबाजों का नाम आने से एक बार फिर शर्मशार होना पड़ा तो वहीं ओलंपिक क्वॉलीफिकेशन के लिए टीम चयन भी विवादों में रहा।

सकारात्मक पहलुओं की बात करें तो 23 साल के पंघल पुरुष विश्व चैम्पियनशिप में रजत पदक जीतने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी बने जबकि छह बार की विश्व चैम्पियन मैरी कॉम भी लय में रही। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई भारतीय मुक्केबाजों ने पदक अपने नाम किये। पेशेवर सर्किट में विजेंदर सिह का अजेय क्रम इस साल भी जारी रहा। ओलंपिक क्वॉलीफिकेश के लिए चुनी गयी टीम में मैरी कॉम विवादों में रहीं जबकि नीरज फोगाट (महिला) और सुमित सांगवान (पुरुष) के डोप टेस्ट में विफल होने से भारतीय मुक्केबाजी को झटका लगा।

अमित पंघल ने जीता विश्व चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल

यूरोप के सबसे पुराने और प्रतिष्ठित स्ट्रैंद्जा मेमोरियल में पंघल ने 49 किग्रा भार वर्ग में स्वर्ण पदक जीता। पूर्व जूनियर विश्व चैम्पियन निकहत जरीन और मीना कुमारी भी इस टूर्नामेंट में शीर्ष पर रही। निकहत के ओलंपिक क्वॉलीफिकेशन के लिए मैरी कॉम से ट्रायल करने की मांग सुर्खियों में रही। पंघल ने इसके बाद ओलंपिक के सपने को पूरा करने के लिए मार्च में 52 किग्रा भार वर्ग में खेलने का फैसला किया। वह हालांकि शुरु में थोड़े नर्वस थे लेकिन नतीजों पर इसका असर नहीं दिखा। उन्होंने अप्रैल में एशियाई चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीतकर अपनी श्रेष्ठता साबित की।

पूजा रानी ने भी स्ट्रैंद्जा मेमोरियल में स्वर्ण पदक जीतकर अपनी पहचान बनायी। इसके बाद सितंबर-अक्टूबर में विश्व चैम्पियनशिप से ओलंपिक क्वॉलीफिकेशन का दर्जा छीन लिया गया। टूर्नामेंट के लिए भारतीय महिला टीम के चयन को लेकर विवाद हुआ क्योंकि निकहत ने इसके लिए ट्रायल की मांग की। हालांकि इस ट्रायल का ज्यादा असर नहीं पड़ा क्योंकि इंडिया ओपन और इंडोनेशिया में हुए टूर्नामेंट और राष्ट्रीय शिविर में प्रदर्शन के आधार पर मैरी कॉम का चयन हुआ।

मंजू रानी  न जीता महिला विश्व चैंपियशिप में सिल्वर मेडल

विश्व चैम्पियनशिप में पुरुषों के वर्ग में पंघल ने फाइनल में पहुंचकर इतिहास बनाया जबकि मनीष कौशिक (63 किग्रा) ने कांस्य पदक हासिल किया। यह विश्व चैम्पियनशिप में भारत का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन भी रहा। इस रजत पदक ने पंघल को शीर्ष भारतीय मुक्केबाजों में शामिल कर दिया। मंजू रानी (महिला 48 किग्रा) को खुद की पहचान बनाने की ललक ने मुक्केबाजी दस्ताने पहनने को प्रेरित किया और रिंग में उतरने के बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। पहली बार महिला विश्व चैम्पियनशिप में भाग लेने वाली 20 साल की मंजू को फाइनल में पराजय के बाद रजत पदक से संतोष करना पड़ा।

सीमा सुरक्षा बल में अधिकारी के पद पर तैनात उनके पिता का कैंसर के कारण 2010 में निधन हो गया था। मेरीकाम को विश्व चैम्पियनशिप में कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा। भारतीय मुक्केबाजी संघ ने ओलंपिक क्वालीफिकेशन के लिए केवल स्वर्ण और रजत पदक विजेता का ही सीधा चयन करने का निर्णय किया था लेकिन उसने विश्व चैम्पियनशिप में कांस्य पदक जीतने वाली मेरीकोम को भेजने का फैसला किया जिसका निकहत ने विरोध किया। निकहत ने इसका विरोध करते हुए ट्रायल्स की मांग की।

उन्होंने इसके लिए खेल मंत्री किरेन रीजीजू को पत्र भी लिखा। ट्रायल्स में हालांकि मेरीकोम ने निकहत को हरा दिया और 36 साल की उम्र में भी अपनी काबिलियत साबित की। ट्रायल्स के बाद ओलंपिक क्वालीफिकेशन के लिए चुनी गयी भारतीय टीम में एमसी मैरी कॉम (51 किग्रा), साक्षी चौधरी (57 किग्रा), सिमरनजीत कौर (60 किग्रा), लवलीना बोरगोहेन (69 किग्रा) और पूजा रानी (75 किग्रा) को जगह मिली।

टॅग्स :मुक्केबाजीअमित पंघालमैरी कॉम
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