अक्सर लोगों के सपने गरीबी के सामने दम तोड़ देते हैं। कई बार लोगों को लगने लगता है कि बस बहुत हुआ। हमें कोशिश छोड़ देनी चाहिए। हालांकि कुछ लोग बिलकुल अलग होते हैं वे न सिर्फ मेहनत करते हैं बल्कि अपने हौसलों को भी टूटने नहीं देते। राहुल रोहिला ने 20 किमी पैदल चाल में टोक्यो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया है। उनकी कहानी भी मुश्किलों से जूझकर लगातार मंजिल की ओर बढ़ते रहने की है।
राहुल ने साल 2013 में पैदल चाल खेलना शुरू किया। तभी से उनका सपना था कि एक दिन खुद को ओलंपिक में खेलता हुआ देखूंगा, लेकिन जल्द ही घर के हालात बिगड़ने लगे। इलेक्ट्रिशियन का काम करने वाले पिता बीमार रहने लगे और दवाइयों पर हर महीने करीब 10 से 12 हजार रुपए खर्च होने लगे।
राहुल की डाइट और जूतों का खर्चा तक मुश्किल हो गया। एक बार तो उन्होंने खेल को छोड़ ही दिया था। बाद में जब उनके माता-पिता को यह बात पता चली तो उन्होंने अपनी दवाइयों के पैसे आधे कर दिए जिससे उनके बेटे की तैयारी में कोई परेशानी न आए। राहुल ने भी मेहनत की ओर 2017 में खेल कोटे से सेना में भर्ती हो गए। जिसके बाद उन्होंने कड़ी मेहनत की और अपनी मेहनत से यह सफलता हासिल की है।
पिछली बार 59 सेकेंड से चूके थे
साल 2019 में ओलंपिक क्वालिफाई करने के लिए 20 किमी की पैदल चाल में वह क्वालीफाई नहीं कर पाए थे। उन्होंने तय समय से 59 सेकेंड ज्यादा लिए थे। हालांकि इस बार तय समय में यह दूरी तय कर उन्होंने ओलंपिक का टिकट कटा लिया है।
रिजिजू ने बताया ओलंपिक में उम्मीद
खेल मंत्री किरण रिजिजू ने राहुल को टोक्यो ओलंपिक में भारत के लिए उम्मीद बताया है। साथ ही उन्होंने ओलंपिक की तैयारी के लिए राहुल को पूरी तरह से मदद मुहैया कराने की बात कही है। राहुल हरियाणा के रहने वाले हैं।