ओलंपिक की पिछली नाकामियां दिमाग में है लेकिन नकारात्मक सोच से दूरी बनाने की कोशिश: दीपिका

By भाषा | Updated: July 16, 2021 17:22 IST2021-07-16T17:22:12+5:302021-07-16T17:22:12+5:30

Past failures of Olympics are on my mind but try to distance myself from negative thinking: Deepika | ओलंपिक की पिछली नाकामियां दिमाग में है लेकिन नकारात्मक सोच से दूरी बनाने की कोशिश: दीपिका

ओलंपिक की पिछली नाकामियां दिमाग में है लेकिन नकारात्मक सोच से दूरी बनाने की कोशिश: दीपिका

... तपन मोहंता...

कोलकाता, 16 जुलाई भारत की अनुभवी तीरंदाज दीपिका कुमारी का मानना है कि पिछले दो ओलंपिक में पदक जीतने की नाकामी उनके दिमाग में रहेगी लेकिन तोक्यो खेलों की ओर बढ़ते समय में वह नकारात्मक भावनाओं से दूर रहने की कोशिश कर रही हैं।

रांची की 27 साल की यह तीरंदाज 2012 लंदन ओलंपिक में भी शीर्ष रैंकिंग की खिलाड़ी के तौर पर पहुंची थी लेकिन वह पहले दौर में ही बाहर हो गयी थी। इसके चार साल बाद रियो ओलंपिक में उनका सफर अंतिम 16 से आगे नहीं बढ़ सका। वह टीम स्पर्धा में भी क्वार्टर फाइनल तक ही पहुंच सकीं ।

दीपिका ने तोक्यो रवाना होने से एक दिन पहले कहा, ‘‘ मैं उन चीजों को अब और दोहराना नहीं चाहती। वे बीती बातें है लेकिन हां, मेरे दिमाग में तो रहेगा और इससे कुछ दबाव भी होगा।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ मेरे लिए यह समय अपने आप को उन सभी नकारात्मक विचारों को दूर रखने और कम दबाव लेने की पूरी कोशिश करने के बारे में है। मेरे लिए यह सिर्फ निशाने पर ध्यान केंद्रित करने के बारे में है।’’

दीपिका अभी शानदार लय में है और इस साल विश्व कप के दो आयोजनों में वह व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीतने में कामयाब रही। इन प्रदर्शनों के बूते वह रैंकिंग में शीर्ष स्थान पर पहुंच गयी।

उन्होंने कहा, ‘‘ मैं मूल रूप से दिमाग और तकनीक पर ध्यान केंद्रित कर रही हूं, सिर्फ अभ्यास के बजाय व्यक्तिगत और टीम मैच अधिक खेल रही हूं।’’

दीपिका और उनके पति अतनु दास मिश्रित जोड़ी स्पर्धा में भारत के लिए ओलंपिक पदक की बड़ी उम्मीद हैं।

भारतीय तीरंदाजी की यह सफल जोड़ी ओलंपिक खेलों से पहले अभ्यास के दौरान प्रतिद्वंद्वी में बदल जाती है। भारतीय दल में किसी और महिला तीरंदाज के नहीं होने से दीपिका पुरुष तीरंदाजों के साथ अभ्यास कर रही हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘यह मेरे लिए बेहतर है, मैं हमेशा उनसे बेहतर निशाना लगाने की पूरी कोशिश कर रही हूं। वास्तव में, मैं ज्यादातर बार जीत रही हूं।’’

पुणे के सेना खेल संस्थान में अभ्यास कर रही दीपिका ने कहा कि अतनु उनके कोच की भूमिका निभा रहे है।

उन्होंने कहा, ‘‘ वह इन दिनों मेरे पूर्णकालिक कोच बन गए हैं। अतनु से मुझे काफी समर्थन मिल रहा है। वह मेरा मार्गदर्शन करते रहते हैं, मुझे प्रेरित करते रहते हैं। बेशक, हमारी टीम के कोच (मीम बहादुर गुरुंग सर) हैं, लेकिन अतनु का मार्गदर्शन एक निरंतर समर्थन की तरह है।

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