पदक तो दूर, ओलंपिक सेमीफाइनल में पहुंचने पर भी इतिहास रच जाएंगे भारतीय तैराक

By भाषा | Updated: July 14, 2021 14:39 IST2021-07-14T14:39:23+5:302021-07-14T14:39:23+5:30

Medals far away, Indian swimmers will create history even after reaching the Olympic semi-finals | पदक तो दूर, ओलंपिक सेमीफाइनल में पहुंचने पर भी इतिहास रच जाएंगे भारतीय तैराक

पदक तो दूर, ओलंपिक सेमीफाइनल में पहुंचने पर भी इतिहास रच जाएंगे भारतीय तैराक

(धर्मेन्द्र पंत)

नयी दिल्ली, 14 जुलाई तोक्यो ओलंपिक खेलों में भाग लेने के लिये जा रहे तीन भारतीय तैराकों में से यदि कोई भी सेमीफाइनल तक पहुंचने में कामयाब रहता है तो यह देश के खेलों के इतिहास में नया रिकार्ड होगा।

भारत ने पहली बार 1932 में ओलंपिक तैराकी में हिस्सा लिया और 2016 तक कुल 26 तैराकों (20 पुरुष, छह महिलाएं) ने भारत का प्रतिनिधित्व किया है लेकिन इनमें से कोई भी सेमीफाइनल के लिये भी क्वालीफाई नहीं कर पाया।

तोक्यो ओलंपिक में भारत के तीन तैराक साजन प्रकाश (पुरुष 200 मीटर बटरफ्लाई), श्री हरि नटराज (पुरुष 100 मीटर बैकस्ट्रोक) और माना पटेल (महिला 100 मीटर बैकस्ट्रोक) भाग लेंगे।

इनमें से साजन ‘ए’ कट हासिल करके ओलंपिक के लिये क्वालीफाई करने वाले पहले भारतीय तैराक बने थे। बाद में नटराज ने भी अपनी स्पर्धा में ‘ए’ कट हासिल किया। माना पटेल ने विश्वविद्यालय कोटा से ओलंपिक में जगह बनायी।

नलिन मलिक ओलंपिक में भाग लेने वाले पहले भारतीय तैराक थे। उन्होंने 1932 लॉस एंजिल्स ओलंपिक में 400 मीटर और 1500 मीटर फ्रीस्टाइल में हिस्सा लिया था लेकिन अपनी हीट में अंतिम स्थान पर रहे थे।

लंदन ओलंपिक 1948 में भारत के सात तैराकों ने हिस्सा लिया था। पुरुष 100 मीटर फ्रीस्टाइल में तीन भारतीय सचिन नाग, दिलीप मित्रा और इसाक मंसूर उतरे लेकिन सभी अपनी हीट में अंतिम स्थान पर रहे। हेलसिंकी ओलंपिक 1952 में डॉली नजीर और आरती साहा के रूप में दो भारतीय महिला तैराक पहली बार ओलंपिक में तरणताल में उतरी थी।

इसके बाद लंबे समय तक कोई भारतीय तैराक ओलंपिक में जगह नहीं बना पाया था। खजान सिंह ने सियोल ओलंपिक 1988 में भाग लिया लेकिन पुरुषों की 200 मीटर बटरफ्लाई स्पर्धा में 28वें स्थान पर रहे।

अटलांटा ओलंपिक 1996 में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाली संगीता पुरी इससे पहले त्रिनिदाद एवं टोबैगो की तरफ से मध्य एवं कैरेबियाई अमेरिकी खेलों में हिस्सा ले चुकी थी। संगीता पुरी ने जब ओलंपिक में भाग लिया तो वह 16 साल 236 दिन की थी और इस तरह से भारत की सबसे कम उम्र की ओलंपिक तैराक बनी थी।

इसके बाद निशा मिलेट, शिखा टंडन, वीरधवल खाड़े और संदीप सेजवाल जैसे तैराकों ने भी ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया लेकिन कोई भी प्रभावित नहीं कर पाया। साजन प्रकाश ने रियो ओलंपिक 2016 में भी हिस्सा लिया था लेकिन वह पुरुषों की 200 मीटर बटरफ्लाई स्पर्धा में 28वें स्थान पर रहे थे।

तैराकी एथेंस 1896 में ही ओलंपिक का हिस्सा बन गया था लेकिन तब केवल पुरुष तैराकों ने इसमें भाग लिया था। महिला तैराक पहली बार 1912 में स्टाकहोम ओलंपिक में इन खेलों का हिस्सा बनी थी।

पहले ओलंपिक खेलों में फ्रीस्टाइल की चार स्पर्धाओं का आयोजन किया गया था लेकिन रियो डि जेनेरियो ओलंपिक 2016 में पुरुष और महिला वर्ग में 17-17 स्पर्धाएं शामिल थी जबकि तोक्यो ओलंपिक में यह संख्या 18 कर दी गयी। अब 4X100 मीटर मेडले मिश्रित रिले भी ओलंपिक का हिस्सा बना दी गयी है। इसमें दो पुरुष और दो महिला तैराक भाग लेंगे।

ओलंपिक तैराकी में शुरू से अमेरिका का दबदबा रहा। उसे इस बीच हालांकि आस्ट्रेलिया, जर्मनी, जापान आदि से चुनौती मिलती रही है। अमेरिका के नाम पर रियो ओलंपिक तक तैराकी में 248 स्वर्ण सहित 553 पदक दर्ज थे। अमेरिका के माइकल फेल्प्स को तरणताल का बादशाह कहा जाता है। उन्होंने ओलंपिक में 23 स्वर्ण सहित 28 पदक जीते हैं।

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