बहुत सारा त्याग किया, अब तोक्यो में उसे भुनाना चाहता हूं: श्रीजेश

By भाषा | Updated: July 17, 2021 17:05 IST2021-07-17T17:05:42+5:302021-07-17T17:05:42+5:30

Made a lot of sacrifices, now want to redeem it in Tokyo: Sreejesh | बहुत सारा त्याग किया, अब तोक्यो में उसे भुनाना चाहता हूं: श्रीजेश

बहुत सारा त्याग किया, अब तोक्यो में उसे भुनाना चाहता हूं: श्रीजेश

नयी दिल्ली, 17 जुलाई  लगातार तीसरे और संभवत: अपने आखिरी ओलंपिक में भाग ले रहे भारतीय हॉकी टीम के अनुभवी गोलकीपर पी आर श्रीजेश ने कहा कि उन्होंने खेल के लिए ‘काफी बलिदान दिया है’, जिसे वह तोक्यो में हर कीमत पर भुनाना चाहते हैं।

इस महीने 23 तारीख से शुरू होने वाले आगामी ओलंपिक में आठ बार की चैंपियन भारतीय टीम अपने चार दशक से अधिक समय के खिताबी सूखे को खत्म करना चाहेगी।

सीनियर टीम के लिए 2006 में पदार्पण करने के बाद से श्रीजेश का केवल एक ही सपना है, ओलंपिक पदक विजेता बनना।

दुनिया के सर्वश्रेष्ठ गोलकीपरों में शामिल 35 साल के श्रीजेश ने कहा कि कोविड-19 महामारी के बीच इतने लंबे समय तक अपने परिवार से दूर रहना उनके लिए मानसिक रूप से कठिन था।

उन्होंने कहा, ‘‘ जब आप इस तरह का त्याग करते हैं, तो मैं हमेशा उसके बाद खुद से सवाल पूछने की कोशिश करता हूं, जैसे मैं अपने बच्चों, अपने परिवार से दूर क्यों रह रहा हूं? लेकिन मुझे जवाब पता है।’’

इस पूर्व कप्तान ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘ हॉकी में हमारा इतिहास बहुत शानदार रहा है और जब मैं अपने करियर में पीछे मुड़कर देखता हूं, तो मुझे पता है कि मेरे पास बहुत सारे एफआईएच पदक हैं, मेरे पास लगभग हर टूर्नामेंट के पदक हैं, लेकिन विश्व कप या ओलंपिक का एक भी पदक नहीं है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ यह मेरा आखिरी ओलंपिक खेल हो सकता है। मेरे लिए यह इस बारे में है कि मैं खिलाड़ी के तौर पर इससे क्या हासिल कर सकता हूं, मुझे इस ओलंपिक से क्या मिल सकता है? यह केवल एक पदक हो सकता है। यह ऐसा सपना है जिसने मुझे सब कुछ त्यागने में मदद की।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ यही (ओलंपिक पदक का सपना) मुझे अतिरिक्त ऊर्जा दे रहा है। यह वही है जो हमें हर सुबह अपने बिस्तर से उठने और कड़ी मेहनत करने में मदद कर रहा है। यह एक सपना है जिसे मैं पिछले 15 वर्षों से जी रहा हूं और अगले 15 वर्षों तक ऐसा करने को तैयार हूं ।’’

ओलंपिक में भारत को आखिरी पदक 1980 मास्को खेलों में मिला था।

श्रीजेश ने तोक्यो रवाना होने से पहले कहा, ‘‘ यह हमारे लिए भारतीय हॉकी के इतिहास का हिस्सा बनने, ओलंपिक पदक विजेता सूची का हिस्सा बनने का अवसर है और यही मुझे अपने खेल पर ध्यान केंद्रित करने में मदद कर रहा है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Web Title: Made a lot of sacrifices, now want to redeem it in Tokyo: Sreejesh

अन्य खेल से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे