भारत की सबसे तेज महिला धाविका दुती चंद ने कहा है कि उन्हें अपना हमसफर मिल गया है, जो उनके ही गृहनगर की एक लड़की है, जिसे वह कुछ सालों से जानती हैं। 100 मीटर रेस की राष्ट्रीय रिकॉर्डधारी और 2018 एशियन गेम्स में दो सिल्वर मेडल जीतने वाली दुती चंद समलैंगिक संबंध को स्वीकार करने वाली पहली भारतीय खिलाड़ी हैं।
हालांकि 23 वर्षीय दुती चंद ने अपने पार्टनर की पहचान उजागर करने से इनकार कर दिया क्योंकि वह उसे 'अनचाहे आकर्षण का केंद्र' नहीं बनने देना चाहती हैं। ये स्टार धाविका अभी वर्ल्ड चैंपियनशिप और अगले साल होने वाले टोक्यो ओलंपिक की तैयारियों में जुटी हैं, ऐसे में अपने रिश्ते को औपचारिक बनाने की किसी योजना को फिलहाल टाल दिया है।
दुती ने कहा, 'सबको होनी चाहिए प्यार करने की आजादी'
दुती चंद ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, 'मुझे कोई ऐसा मिल गया है जो मेरा हमसफर है। मेरा मानना है कि हर किसी को वह जिस के भी साथ चाहे रहने की स्वतंत्रता होनी चाहिए। मैंने हमेशा से उन लोगों के अधिकारों का समर्थन किया है जो सैमलैंगिक रिश्ते में रहना चाहते हैं। ये किसी की व्यक्तिगत पसंद का मामला है। अभी मेरा ध्यान वर्ल्ड चैंपियनशिप और ओलंपिक खेलों पर है, लेकिन भविष्य में मैं उसके साथ ही घर बसाना चाहूंगी।'
दुती ने कहा कि ये उनका सपना था कि उसे कोई ऐसा मिले जो जिंदगी भर के लिए उनका साथी रहे। उन्होंने कहा, 'मैं किसी ऐसे व्यक्ति के साथ रहना चाहती थी जो मुझे खिलाड़ी बने रहने के लिए प्रोत्साहित करे। मैं पिछले 10 वर्षों से धाविका रही हूं और शायद अगरे पांच-सात साल और दौड़ूंगी। मैं खेलों के लिए पूरी दुनिया की यात्रा करती हूं। ये आसान नहीं है। मुझे किसी का सहारा भी चाहिए।'
दुती चंद ने कहा कि पिछले साल सुप्रीम कोर्ट के आईपीसी की धारा 377 को अपराध के दायरे से बाहर करने के ऐतिहासिक फैसले के बाद ही उन्हें अपने रिश्ते के बारे में बोलने को लेकर आत्मविश्वास आया है।
दुती ने कहा, 'मेरा मानना है कि हर किसी को प्यार करने की आजादी है। प्यार से बड़ा कोई अहसास नहीं होता है और इस पर पाबंदी नहीं लगाई जानी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस पुराने कानून को खत्म कर दिया था। मेरा मानना है कि किसी को मुझे एक एथलीट के तौर पर इसलिए आंकने का अधिकार नहीं है क्योंकि मैं किसी के साथ रहना चाहती हूं। ये एक निजी फैसला है, जिसका सम्मान किया जाना चाहिए। मैं भारत के लिए मेडल जीतना जारी रखूंगा।'