लाइव न्यूज़ :

कॉमनवेल्थ गेम्स 2018: बैडमिंटन से शूटिंग और बॉक्सिंग तक, भारत के लिए ये हैं मेडल के बड़े दावेदार

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Updated: April 4, 2018 14:30 IST

गोल्ड कोस्ट में खेलों के इस महामेले में 71 देशों के करीब 4500 एथलीट हिस्सा ले रहे हैं।

Open in App
ठळक मुद्देगोल्ड कोस्ट में 4 से 15 अप्रैल के बीच आयोजित होगा 21वां कॉमनवेल्थ गेम्स भारत को निशानेबाजी से सबसे ज्यादा उम्मीद, बैडमिंटन और कुश्ती में भी पदकों की लग सकती है झड़ीहॉकी और स्क्वैश पर होंगी निगाहे, पिछली बार दीपिक पल्लीकल और जोशना चिनप्पा ने रचा था इतिहास

नई दिल्ली, 4 अप्रैल: ऑस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट में 21वें कॉमनवेल्थ गेम्स का बिगुल बज चुका है। खेलों के इस महामेले में 71 देशों के करीब 4500 एथलीट हिस्सा ले रहे हैं। भारत ने भी 221 एथलीटों का दल ऑस्ट्रेलिया भेजा है। कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत का प्रदर्शन सराहनीय रहा है इसलिए इस बार भी उम्मीद है कि भारतीय एथलीट अपने फैंस को निराश नहीं करेंगे। आईए, नजर डालते हैं भारत की पदक उम्मीदों पर...  

निशानेबाजी: कॉमनवेल्थ गेम्स में निशानेबाजी में भारत मेडल्स के मामले में दूसरे स्थान पर है। एक बार फिर निशानेबाजी रेंज से भारत की झोली भरने की उम्मीद है । निशानेबाजी में भारत की दमदार पदक उम्मीदें हैं .... 

हीना सिद्धू : पंजाब की यह पिस्टल निशानेबाज शानदार फार्म में है जिसने कुछ महीने पहले राष्ट्रमंडल चैम्पियनशिप में तीन स्वर्ण पदक जीते हैं । वह महिलाओं की 25 मीटर पिस्टल और 10 मीटर एयर पिस्टल में भाग लेंगी । 

मनु भाकर : सोलह बरस की मनु ने कुछ सप्ताह पहले सीनियर विश्व कप में पदार्पण करके दो स्वर्ण पदक जीते । उसने जूनियर विश्व कप में इस प्रदर्शन को दोहराया । अब 10 मीटर एयर पिस्टल में हीना के साथ उतरेगी । 

जीतू राय : सेना का यह निशानेबाज 50 मीटर एयर पिस्टल में लगातार दूसरा राष्ट्रमंडल स्वर्ण जीतना चाहेगा । जीतू 10 मीटर एयर पिस्टल में भी चुनौती पेश करेगा और गोल्ड कोस्ट में पदक जीतकर रियो ओलंपिक 2016 की नाकामी का गम दूर करना चाहेगा। (और पढ़ें- कॉमनवेल्थ गेम्स 2018: जानिए, कब शुरू होगी ओपनिंग सेरेमनी और कहां देख सकेंगे लाइव)

स्क्वैश: ग्लास्गो में 2014 में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में दीपिक पल्लीकल और जोशना चिनप्पा ने महिला डबल्स का गोल्ड मेडल जीता था।

दीपिका पल्लीकल और जोशनी चिनप्पा: क्रिकेटर दिनेश कार्तिक से शादी करने वालीं दीपिका ने चार साल पहले ग्लास्गो कॉमनवेल्थ गेम्स में जोशना चिनप्पा के साथ महिला डबल्स का खिताब जीत कर इतिहास रच दिया था। इस खेल में यह भारत का पहला पदक था। फिलहाल, गोल्ड कोस्ट में सिंग्ल्स में उन्हें उन्हें पहले दौर में बाई मिल चुका है। अब वह गुरुवार त्रिनिदाद एंड टोबैगो के कैरलोट नैग्स से भिड़ेंगी।

स्कवैश के डबल्स में उन्हें और जोशना को तीसरी वरीयता दी गई है और वे वेल्स, पाकिस्तान और माल्टा के साथ एक ग्रुप में हैं। दीपिका पल्लीकल मिक्स्ड डब्ल्स में भी सौरव घोषाल के साथ दावेदारी पेश करेंगी।

एथलेटिक्स:  भारत ने 2014 राष्ट्रमंडल खेल में एथलेटिक्स् में एक स्वर्ण, एक रजत और एक कांस्य पदक जीता था। इस बार कैसे रहेगा प्रदर्शन, इस पर एक नजर... 

नीरज चोपड़ा: बीस बरस का यह जेवलिन थ्रो एथलीट अपेक्षाओं का भारी बोझ लेकर उतरेगा। लंदन में कुछ महीने पहले सीनियर विश्व चैम्पियनशिप में वह फाइनल के लिये क्वॉलिफाई नहीं कर सका था। पिछले साल एशियाई चैम्पियनशिप में मिला गोल्ड अभी तक उसके कैरियर की सबसे बड़ी उपलब्धि है । (और पढ़ें- कॉमनवेल्थ गेम्स 2018: जानिए इन गेम्स का इतिहास और इससे जुड़ी 10 रोचक बातें)

सीमा पूनिया: ग्लास्गो में रजत पदक जीतने वाली चक्का फेंक (डिस्क्स थ्रो) एथलीट सीमा की नजरें पीले तमगे पर होगी। सीमा ने पिछले महीने फेडरेशन कप में 61.05 मीटर का रिकार्ड बनाया। अब देखना है कि एशियाई खेलों की चैम्पियन सीमा क्या गत स्वर्ण पदक विजेता आस्ट्रेलिया की डैनी स्टीवेंस को पछाड़ सकेगी । 

तेजस्विन शंकर: 19 साल के हाई जंपर ने फेड कप में अपना ही राष्ट्रीय रिकार्ड बेहतर करके उम्मीदें जगाई । 

बैडमिंटन: ग्लास्गो में भारत ने बैडमिंटन में चार पदक जीते और पारूपल्ली कश्यप ने 32 साल बार पुरूष एकल स्वर्ण अपने नाम किया। इस बार सितारों से सजे भारतीय दल से काफी उम्मीदें होंगी ।

पीवी सिंधु: ओलंपिक रजत पदक विजेता सबसे बड़ी पदक उम्मीद है। सिंधु ने पिछली बार ब्रॉन्ज जीता था और इस बार पदक का रंग बदलना चाहेगी।

साइना नेहवाल: करियर के लिये खतरा बनी घुटने की चोट से उबरकर वापसी कर रही 2010 की स्वर्ण पदक विजेता साइना यदि फिटनेस बरकरार रख पाती है तो पदक की प्रबल दावेदार होंगी । पिछली बार चोटों के कारण वह इन खेलों से बाहर थी । 

किदांबी श्रीकांत: चोटिल कश्यप की गैर मौजूदगी में भारत को पुरूष एकल में पदक दिलाने का दारोमदार श्रीकांत पर होगा। वह 2014 खेलों में क्वार्टर फाइनल तक पहुंचे थे लेकिन पिछले साल चार सुपर सीरिज खिताब जीते । 

बॉक्सिंग: पिछली बार भारतीय मुक्केबाजों में से कोई स्वर्ण नहीं जीत सका था लेकिन इस बार भारत का दमदार दल इस कमी को पूरा कर सकता है।

एमसी मैरी कॉम: 35 साल की मैरी कॉम पहली बार राष्ट्रमंडल खेलों में भाग लेंगी। पांच बार की विश्व चैम्पियन और ओलंपिक कांस्य पदक विजेता मैरी कॉम 48 किलो में स्वर्ण की दावेदार है। वह अपने पहले और आखिरी राष्ट्रमंडल खेलों को यादगार बनाना चाहेगी । 

विकास कृष्णन: भारत के चार विश्व चैम्पियनशिप पदक विजेताओं में से एक विकास ने बुल्गारिया में स्ट्रांजा स्मृति टूर्नामेंट में स्वर्ण जीता था। मेरी कॉम की तरह उनका भी यह इन खेलों में पदार्पण है और 75 किलो में पदक के प्रबल दावेदार है। (पढ़ें: कॉमनवेल्थ गेम्स 2018: पीवी सिंधु और किदांबी श्रीकांत को मिली शीर्ष वरीयता)

अमित फांगल: एशियाई चैम्पियनशिप के कांस्य पदक विजेता अमित ने भी स्ट्रांजा टूर्नामेंट में स्वर्ण जीता था। पिछले साल विश्व चैम्पियनशिप में क्वॉर्टर फाइनल तक पहुंचे अमित पदक के दावेदारों में से हैं।

कुश्ती: राष्ट्रमंडल खेलों में भारतीय पहलवान बहुत हद तक अपनी छाप छोड़ने में कामयाब रहे हैं। ऐसे में एक बार फिर उम्मीदें भारतीय पहलवानों से हैं।

सुशील कुमार और बजरंग: इन दोनों पहलवानों से बड़ी उम्मीदें हैं। सुशील 2010 में दिल्ली में और फिर 2014 में ग्लासगो में हुए राष्ट्रमंडल खेलों में गोल्ड मेडल जीतने में कामयाब रहे। इस बार वह 74 किलोग्राम वर्ग में उतरेंगे। वहीं, बजरंग ग्लास्गो में गोल्ड नहीं जीत सके थे और उन्हें सिल्वर से संतोष करना पड़ा। बजरंग 65 किलोग्राम वर्ग में हिस्सा ले रहे हैं।

साक्षी मलिक और विनेश फोगाट: रियो में 58 किलोग्राम वर्ग में कांस्य मेडल जीतने वाली साक्षी मलिक ने ग्लासगो राष्ट्रमंडल खेलों (2014) में सिल्वर जीता था। ऐसे में इस बार उनकी नजरें निश्चित तौर पर गोल्ड पर होंगी। वहीं, विनेश ने पर एक बार फिर गोल्ड मेडल को बरकरार रखने का दारोमदार होगा। विनेश फोगाट ने ग्लासगो में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में 48 किलोग्राम वर्ग में गोल्ड जीता था। विनेश की बहन बबीता पर भी नजरें होंगी जो पिछली बार सिल्वर जीतने में कामयाब रही थीं।

हॉकी: दिल्ली में 2010 में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स और फिर 2014 में ग्लासगो में भारतीय पुरुष हॉकी टीम को सिल्वर मेडल से संतोष करना पड़ा था। दोनों ही मौकों पर फाइनल में उसे ऑस्ट्रेलिया ने हराया। 2010 के राष्ट्रमंडल खेलों में ऑस्ट्रेलिया ने भारत को 8-0 और फिर 2014 के फाइनल में 4-0 से हराया था। उम्मीद करनी चाहिए कि इस बार भारतीय पुरुष हॉकी टीम मेडल का रंग बदलकर सोना जीतने में कामयाब होगी। कॉमनवेल्थ गेम्स से जुड़ी सारी खबरें यहां पढ़ें

टॅग्स :कॉमनवेल्थ गेम्सपीवी सिंधुसाक्षी मलिकसुशील कुमार
Open in App

संबंधित खबरें

अन्य खेलराष्ट्रमंडल खेल 2030 : भारत की नई उड़ान!

अन्य खेलभारत करेगा 2030 में कॉमनवेल्थ गेम्स की मेजबानी, अहमदाबाद में होगा आयोजन

विश्व17 बीडब्ल्यूएफ विश्व टूर खिताब और 12 टूर्नामेंट में उपविजेता, दुनिया की पूर्व नंबर-1 खिलाड़ी ताई जु यिंग ने लिया संन्यास, पीवी सिंधू ने मार्मिक पोस्ट लिख दी विदाई 

भारतCommonwealth Games: राष्ट्रमंडल खेल 2030 अहमदाबाद में? IOA ने मेजबानी के लिए भारत की बोली को औपचारिक रूप से मंजूरी दी

क्राइम अलर्ट7 दिन में करो आत्मसमर्पण?, पहलवान सुशील कुमार को सुप्रीम कोर्ट में झटका, आखिर क्यों जेल में ओलंपिक पदक विजेता

अन्य खेल अधिक खबरें

अन्य खेलFootball World Cup 2026: यूएस ने वीजा देने से किया इनकार, ईरान फुटबॉल वर्ल्ड कप के ड्रॉ का करेगा बहिष्कार

अन्य खेलWomen's FIH Hockey Junior World Cup: महिला जूनियर हॉकी टीम का ऐलान, भारतीय टीम को लीड करेंगी ज्योति सिंह

अन्य खेलकोग्निवेरा इंटरनेशनल पोलो कप की धूमधाम शुरुआत, 25 अक्टूबर को भारत-अर्जेंटीना में जबरदस्त टक्कर!

अन्य खेलदिल्ली में पोलो इवेंट की शोभा बढ़ाएंगे मशहूर कवि कुमार विश्वास

अन्य खेलWorld Championships: पुरुष रिकर्व तीरंदाज व्यक्तिगत वर्ग में पदक की दौड़ से बाहर, भारत के लिए निराशाजनक