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पेलोसी के बीजिंग शीतकालिन ओलंपिक के बहिष्कार के आह्वान का चीन ने विरोध किया

By भाषा | Updated: May 19, 2021 20:11 IST

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... केजेएम वर्मा...

बीजिंग, 19 मई चीन ने अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नैन्सी पेलोसी के ‘‘मानवाधिकार के हनन’’ का आरोप लगाते हुए बीजिंग ओलंपिक के विरोध करने की आलोचना करते हुए बुधवार को कहा कि उनके बयान में ‘शर्मनाक झूठ और गलत जानकारियां’ है।

बीजिेग शीतकालिन ओलंपिक’ का उद्घाटन चार फरवरी 2022 को होगा।

चीन पर शिंजियांग प्रांत में मुस्लिम उइगरों का बड़े पैमाने पर ‘नरसंहार’ करने के अलावा उन्हें कथित तौर पर शिविरों में रखने और धार्मिक स्वतंत्रता में कटौती करने का आरोप लगा है।

पेलोसी ने चीन में मानवाधिकारों के हनन की आलोचना करते हुए वैश्विक नेताओं से इसमें शामिल नहीं होने का आह्वान किया।

उन्होंने कहा, ‘‘ मेरा प्रस्ताव है इसका राजनयिक बहिष्कार किया जाए। अग्रणी देशों को ‘इस ओलंपिक में अपनी भागिदारी रोकनी चाहिए’।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ राष्ट्राध्यक्षों को चीन जाकर चीनी सरकार का सम्मान नही करना चाहिये। करें। चीन में नरसंहार के बाद भी जो राष्ट्राध्यक्ष वहां जाएंगे और जब वे अपनी सीट पर बैठे होंगे तो वास्तव में यह सवाल उठेगा कि दुनिया में कहीं भी मानवाधिकारों के बारे में फिर से बोलने के लिए उनके पास कौन सा नैतिक अधिकार होगा?।’’

पेलोसी के बयान पर चीनी दूतावास प्रवक्ता झाओ लिजियान ने कहा है, ‘‘चीन ने कुछ अमेरिकी व्यक्तियों द्वारा वैचारिक और राजनीतिक पूर्वाग्रह से मानवाधिकार मुद्दा उछाल कर बीजिंग शीतकालीन ओलंपिक की तैयारी और आयोजन को विफल करने की कोशिश निंदा करने के साथ ऐसे आरोपों को खारिज करता है।

उन्होंने कहा, ‘‘ इन लोगों की टिप्पणियां बेशर्मी से भरा झूठ और दुष्प्रचार हैं। उनकी इस खास अमेरिकी शैली का कोई समर्थन नहीं करेगा और यह पूरी तरह से विफल होगा।’’

अमेरिका का आरोप है कि चीन ने अपने उइगर अल्पसंख्यकों का ‘नरसंहार’ किया है जबकि बीजिंग ने इन आरोपों का पुरजोर तरीके से खंडन किया है।

झाओ ने कहा कि ओलंपिक चार्टर में स्पष्ट रूप से ओलंपिक खेलों की स्वतंत्रता और राजनीतिक तटस्थता को बरकरार रखने की जरूरत के बारे में कहा गया है।

उन्होंने कहा कि खेलों का राजनीतिकरण ओलंपिक चार्टर की भावना का उल्लंघन करता है और सभी देशों के एथलीटों के हितों और अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक की साख को नुकसान पहुंचाता है। इसका निश्चित रूप से अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा विरोध किया जाता है।

अमेरिका ने इससे पहले 1980 में तत्कालीन सोवियत संघ के अफगानिस्तान पर हमले के विरोध में मास्को (ग्रीष्मकालीन) ओलंपिक का बहिष्कार किया था। सोवियत संघ ने इसके जवाब में 1984 लॉस एंजिलिस ओलंपिक में भाग नहीं लिया था।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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