Maharashtra Legislative Council: विधान परिषद की उप सभापति नीलम गोरे पर दल-बदल कानून लागू नहीं होता, फड़नवीस ने कहा- विपक्ष की मांग बेकार

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: July 18, 2023 09:03 PM2023-07-18T21:03:32+5:302023-07-18T21:06:06+5:30

Maharashtra Legislative Council: उद्धव ठाकरे की करीबी मानी जाने वाली गोरे इस महीने की शुरुआत में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली प्रतिद्वंद्वी शिवसेना में शामिल हो गईं।

Maharashtra Legislative Council mlc vidhan parishad  Devendra Fadnavis said Anti-defection law does not apply Deputy Chairman of the Legislative Council, Neelam Gore | Maharashtra Legislative Council: विधान परिषद की उप सभापति नीलम गोरे पर दल-बदल कानून लागू नहीं होता, फड़नवीस ने कहा- विपक्ष की मांग बेकार

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Highlightsदल-बदल कानून उनके पद पर लागू नहीं होता है।‘धनुष और तीर’ चुनाव चिह्न पर सदन के लिए निर्वाचित हुई थीं। ‘मूल शिवसेना’ में शामिल होना चाहिए क्योंकि उनकी सदस्यता को लेकर सवाल उठेंगे।

Maharashtra Legislative Council: महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने राज्य विधान परिषद की उप सभापति नीलम गोरे को सदन की सदस्यता से अयोग्य घोषित करने की शिवसेना (यूबीटी) की मांग के बीच मंगलवार को कहा कि दल-बदल कानून उनके पद पर लागू नहीं होता है।

उल्लेखनीय है कि पहले उद्धव ठाकरे की करीबी मानी जाने वाली गोरे इस महीने की शुरुआत में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली प्रतिद्वंद्वी शिवसेना में शामिल हो गईं। विधान परिषद में इस मुद्दे पर बोलते हुए फड़नवीस ने कहा कि वह किसी भी नई पार्टी में शामिल नहीं हुई हैं, क्योंकि वह शिवसेना के टिकट और उसके ‘धनुष और तीर’ चुनाव चिह्न पर सदन के लिए निर्वाचित हुई थीं, जो अब शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के पास है।

शिवसेना (यूबीटी) नेता अनिल परब ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि जब तक गोरे को उप सभापति पद से हटाने या उनकी अयोग्यता पर फैसला नहीं हो जाता, तब तक उन्हें उक्त पद पर काम नहीं करना चाहिए। परब ने कहा, ‘‘उनके(गोरे के) कृत्य पर दसवीं अनुसूची (संविधान की जिसमें कानून निर्माताओं की अयोग्यता के बारे में प्रावधान हैं) के तहत कार्रवाई होती है।

फड़नवीस ने इसका विरोध करते हुए तर्क दिया, ‘‘दसवीं अनुसूची सभापति और उप सभापति पर लागू नहीं होती है। कानून के तहत उपसभापति की कोई अयोग्यता नहीं होती।’’ उन्होंने कहा, ‘‘उद्धव ठाकरे गुट में शेष बचे सदस्यों को भी ‘मूल शिवसेना’ में शामिल होना चाहिए क्योंकि उनकी सदस्यता को लेकर सवाल उठेंगे।’’

फड़नणवीस ने कहा कि गोरे को विधान पार्षद (एमएलसी) के रूप में अयोग्य ठहराने की मांग करने वाली शिवसेना (यूबीटी) की अर्जी पर फैसला तब लिया जा सकता है जब सभापति का चुनाव हो जाए या इस पर निर्णय लेने के लिए किसी सदस्य को नामित किया जाए। इस दौरान सदन की पीठ पर आसीन निरंजन दावखरे ने कहा कि यह एक अनोखी परिस्थिति है, इसलिए निर्णय लेने के लिए एक समिति गठित की जाएगी। पीजेंट्स एंड वर्कर्स पार्टी के जयंत पाटिल ने कहा कि गोरे राज्य विधानमंडल के परिसर में शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना में शामिल हुईं।

उन्होंने सवाल किया कि क्या उपसभापति के तौर पर वह स्वीकार्य है? पाटिल ने सभापति पद के लिए चुनाव कराने की भी मांग की। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के शशिकांत शिंदे ने कहा कि जब तक गोरे को हटाने पर फैसला नहीं हो जाता तब तक उन्हें अपना कार्यभार किसी अन्य सदस्य को सौंप देना चाहिए।

कांग्रेस के सतेज पाटिल ने कहा कि गोरे का मामला बतौर सदस्य अयोग्य ठहराने के लिए उपयुक्त है। उन्होंने कहा कि संवैधानिक संकट की स्थिति है क्योंकि सदन के पीठासीन अधिकारी ने दल बदल लिया है और कोई सभापति नहीं है।

Web Title: Maharashtra Legislative Council mlc vidhan parishad  Devendra Fadnavis said Anti-defection law does not apply Deputy Chairman of the Legislative Council, Neelam Gore

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