93 साल की उम्र में रिटायर हुए महाराष्ट्र राजनीति के 'पितामह', 59 साल पहले लड़ा था पहला चुनाव, रिकॉर्ड 11 बार रहे विधायक

By अभिषेक पाण्डेय | Updated: October 9, 2019 15:07 IST2019-10-09T15:07:01+5:302019-10-09T15:07:01+5:30

Ganpatrao Deshmukh: महाराष्ट्र राजनीति के पितामह माने जाने वाले गणपतराव देशमुख ने राजनीति से संन्यास ले लिया है, 11 बार रहे थे विधायक

Maharashtra Assembly Polls 2019: At 93, Sangole MLA, Ganpatrao Deshmukh Retires | 93 साल की उम्र में रिटायर हुए महाराष्ट्र राजनीति के 'पितामह', 59 साल पहले लड़ा था पहला चुनाव, रिकॉर्ड 11 बार रहे विधायक

गणपतराव देशमुख ने 93 साल की उम्र में लिया राजनीति से संन्यास

Highlightsदेश के सबसे बुर्जुग जीवित विधायक गणपतराव देशमुख ने लिया संन्यासगणपतराव देशमुख ने 1962 में लड़ा था पहली बार चुनाव, 11 बार रहे विधायक

महाराष्ट्र राजनीति के पितामह माने जाने वाले पीजेंट्स ऐंड वर्कर्स पार्टी (PW) के राजनेता गणपतराव देशमुख ने 93 साल की उम्र में अपने राजनीतिक करियर से संन्यास लेने का फैसला किया है।

11 बार के विधायक और पूर्व मंत्री गणपतिराव 93 वर्ष की उम्र में भी फिट हैं, लेकिन उन्होंने चुनाव प्रचार की मुश्किलों और कठिनाइयों को देखते हुए राजनीति के क्षेत्र से स्वास्थ्य कारणों की वजह से हटने का फैसला किया है। 

गणपतराव ने अपनी योजनाओं का खुलासा पिछले साल ही कर दिया था, लेकिन हाल ही में PWP के महासचिव जयंत पाटिल ने आधिकारिक रूप से देशमुख के फैसले का ऐलान किया है, हालांकि पार्टी चाहती थी कि वह इन चुनावों में भी लड़ें।

पश्चिमी महाराष्ट्र के सोलापुर जिले की सांगोले सीट का प्रतिनिधित्व करने वाले गणपतराव देशमुख के नाम देश में दिवंगत डीएमके प्रमुख एम करुणानिधि के बाद दूसरे सबसे अधिक समय तक विधायक रहने का रिकॉर्ड है। 

रिकॉर्ड 56 साल तक विधायक रहे गणपतराव देशमुख

देशमुख के विधानसभा में 56 साल के कार्यकाल के मुकाबले करुणानिधि 13 बार विधायक के तौर पर तमिलनाडु विधानसभा में 61 साल रहे थे।

बेहद सम्मानीय माने जाने वाले देशमुख, अपने स्कूली दिनों से ही वामपंथी विचारधारा से प्रेरित थे और अपना विधायी करियर 1962 में तब शुरू किया था, जब कई आधुनिक युग के राजनेता पैदा भी नहीं हुए थे। 

तब से वहे 1972 और 1995 को छोड़कर हर चुनीव जीते और दो बार मंत्री रहे, जिसमें एक बार वह 1978 में मुख्यमंत्री शरद पवार की अगुवाई वाले प्रगतिशाली जनतांत्रिक मोर्चा की सरकार में और दूसरी बार 1999 में PWP के कांग्रेस-राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के साथ गठबंधन के तहत दिवंगत मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख की सरकार में मंत्री रहे।

PWP ने दिया गणपतिराव देशमुख के पोते को टिकट

हालांकि देशमुख की पार्टी में मजबूत उपस्थिति के प्रति सचेत पीडब्लूपी ने उनकी विदाई के बाद उद्योगपति भाऊसाहेब रूपनार को नामित करने का फैसला किया।

लेकिन पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच जबर्दस्त विरोध के बाद PWP अपने फैसले से कदम वापस खींचते हुए देशमुख के पोते अनिकेत देशमुख को उतारने का फैसला किया, जो एक डॉक्टर हैं।

आखिरी मिनट में किए गए इस फैसले से नाराज रूपनार ने शिवसेा का हाथ थाम लिया और अब उनके गणपति राव देशमुख के राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी और शिवसेना के उम्मीदवार शाहजीबापू पाटिल के लिए काम करने की संभावना है।

इसके साथ ही जहां गणपतराव देशमुख के रूप में जहां एक युग का आधिकारिक रूप से अंत हो गया, तो वहीं उनके पोते अनिकेत देशमुख के रूप में उनके पारिवारिक उत्तराधिकार के एक नए युग की शुरुआत भी हुई है।

21 अक्टूबर के नतीजे ये भी साबित करेंगे कि क्या विपक्षी दलों के गठबंधन में शामिल होने का PWP का दांव काम आया या नहीं।

Web Title: Maharashtra Assembly Polls 2019: At 93, Sangole MLA, Ganpatrao Deshmukh Retires

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