इंदौर: प्रधानमंत्री मोदी ने आज सागर जिले के ढाना में जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि संत शिरोमणि स्वामी रविदास सामाजिक समरसता के प्रतीक थे। उन्होंने सामाजिक बुराइयों को दूर किया और समाज को जागृत किया। आज भारत उनके बताये मार्ग पर चलकर गुलामी की मानसिकता से मुक्ति के पथ पर आगे बढ़ रहा है। सागर में संत रविदास स्मारक एवं कला संग्रहालय की आधारशिला रखी गई है। यह भव्य भी होगा और दिव्य भी। इसी के साथ मध्यप्रदेश से सामाजिक समरसता के नये युग की शुरूआत हो रही है। इसके लिये मध्यप्रदेश सरकार मुख्यमंत्री श्री चौहान और प्रदेश की जनता को बधाई भी देता हूँ और अभिनंदन करता हूँ। आज मैंने इसका शिलान्यास किया है, जब यह एक-डेढ़ वर्ष में पूरा हो जायेगा, तब मैं इसका लोकार्पण करने अवश्य आऊँगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने कोटा-बीना रेल लाइन दोहरीकरण का भी लोकार्पण किया। उन्होंने 1580 करोड़ रूपये से अधिक की लागत की दो सड़क परियोजनाओं की आधारशिला भी रखी। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि संत जी की शिक्षाएं इस स्मारक स्थल के माध्यम से नई पीढ़ी को प्रेरणा देंगी। यहां समरसता का भाव भी रहेगा। उन्होंने मध्यप्रदेश के 20 हजार ग्रामों और करीब 300 नदियों की मिट्टी विभिन्न यात्राओं के माध्यम से सागर तक लाने के कार्य की प्रशंसा करते हुए कहा कि इससे लाखों परिवारों ने एक एक मुट्ठी अनाज देकर समरसता के भाव को बढ़ाया है। वे इस स्मारक का हिस्सा बनेंगी। पांच समरसता यात्राओं का समापन आज हुआ है। ये यात्राएं यहां खत्म नहीं होंगी, यहां से एक नए युग का प्रारंभ होगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि प्रेरणा और प्रगति जुड़ते हैं तो नए युग की नीव पड़ती है। मध्यप्रदेश इन कार्यों के लिए प्रशंसा का पात्र है। मध्यप्रदेश आगे बढ़ रहा है। समरसता के भाव से जब कार्य होता है तो समाज से संत निकलते हैं। संत रविदास जी भी ऐसे संत और महात्मा थे। उन्होंने कहा कि संत रविदास जी ने उस कालखण्ड में जन्म लिया जब मुगलों का शासन था। समाज अत्याचार से जूझ रहा था। तब संत रविदास जी समाज का जागरण कर रहे थे। वे बुराईयों से लड़ना सिखा रहे थे। वे जात-पात के भेद के फेर में उलझे लोगों को मानवता का रास्ता दिखा रहे थे। वे देश की आत्मा को झकझोर रहे थे। तब समाज में बहुत पाबंदियां थीं। संत रविदास जी ने पराधीनता को पाप माना था। उन्होंने समाज को हौसला दिया।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इसी समरसता के भाव से शिवाजी महाराज ने हिन्दवी साम्राज्य की नींव रखी। फिर आगे चलकर यही भाव स्वतंत्रता संग्राम का आधार भी बना। मोदी ने संत रविदास के अनेक दोहों का उल्लेख भी किया। उन्होंने कहा कि संत रविदास जी चाहते थे कि समाज में कोई भूखा नहीं रहे। हम सब छोटे-बड़े के भाव से ऊपर उठकर मिलकर साथ रहें। संत रविदास जी के इस विचार से प्रेरित होकर हम अमृत काल में गरीबी और भूख से लोगों को मुक्त करने का कार्य कर रहे हैं। कोरोना काल में हमने समाज के वंचित और जनजातीय वर्ग के लिए तमाम आशंकाओं से उठकर 80 करोड़ भारतीयों के लिए गरीब कल्याण अन्न योजना प्रारंभ की। इसकी पूरी दुनिया ने तारीफ की। संत रविदास जी के सम्मान में देश और मध्यप्रदेश में संस्थाओं के नाम
पीएम मोदी ने कहा कि बनारस में जहां संत रविदास की जन्म स्थली के सौन्दर्यीकरण का कार्य किया गया है, वहीं मध्यप्रदेश में भी इस दिशा में अच्छा कार्य हो रहा है। भोपाल में ग्लोबल स्किल पार्क गोविंदपुरा का नामकरण संत रविदास जी के नाम पर किया गया है। सागर में संत रविदास जी के जीवन और शिक्षा को प्रदर्शित करने वाले संग्रहालय का निर्माण भी इस श्रंखला में महत्वपूर्ण कदम है। मध्यप्रदेश में रानी कमलापति के नाम पर रेलवे स्टेशन और टंट्या मामा के नाम पर पातालपानी रेल्वे स्टेशन का नामकरण किया गया। इसी तरह बाबा साहब डॉ. अम्बेडकर से जुड़े पंच तीर्थों का विकास हो रहा है। संत रविदास सहित बलिदानियों और महात्माओं की शिक्षाएं इन स्थानों के माध्यम से समाज को एकजुट रखेंगी। सरकार ने ऐसे महापुरूषों के सम्मान का पूरा ध्यान रखा है।
सागर के लाखा बंजारे का विशेष उल्लेख
पीएम मोदी ने सागर की विशाल झील के निर्माता लाखा बंजारे के योगदान का उल्लेख करते हुए कहा कि इस शहर की पहचान 400 एकड़ इलाके में निर्मित लाखा बंजारा झील से है। लाखा बंजारे ने पानी की अहमियत को समझा और झील का निर्माण करवाया। सरकार ने लाखा बंजारे की परम्परा को निभाते हुए आजादी के अमृत काल में हर जिले में 75 अमृत सरोवरों का निर्माण करवाकर उन्हें सामाजिक समरसता का केंद्र बनाया है। उन्होंने कहा कि आज सागर शहर समरसता का सागर बन गया है।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि आज बुंदेलखंड की इस भूमि पर संत रविदास जी के स्मारक स्थल के शिलान्यास के लिए प्रधानमंत्री जी पधारे हैं। यह नींव ऐसे समय डाली गई है जब आजादी के 75 वर्ष हुए हैं। अमृत काल में हमारा दायित्व है कि हम अपनी विरासत को आगे बढ़ाएं,अतीत से सबक भी लें। संत रविदास महाराज ने भारतीय संस्कृति और समरसता के लिए अभूतपूर्व कार्य किया है। श्री संत रविदास ने कर्म को महत्व दिया। वे परिश्रम से जो भी अर्जित करते थे, उसे संत सेवा और समाज को अर्पित कर देते थे। कई राजा और मीराबाई भी उनके शिष्य थे। संत रविदास वास्तव में सामाजिक समरसता के अग्रदूत थे।
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि आज का दिन मध्यप्रदेश, बुंदेलखंड और सागर के लिए सौभाग्य का दिन है। हमने फैसला किया था कि सागर के बड़तूमा में संत रविदास जी का भव्य मंदिर बनाया जाएगा। हमारा सौभाग्य है कि भव्य मंदिर के निर्माण के शिलान्यास में प्रधानमंत्री पधारे हैं। चौहान ने कहा कि संत रविदास जी भारत को जोड़ने वाले संत थे। कोई छोटा नहीं, बड़ा नहीं, भक्ति कैसे करें इसका संदेश देने वाले थे संत रविदास जी। इस मंदिर के माध्यम से आने वाली पीढ़ियाँ भी संत रविदास जी को जानेंगी और उनके बताए मार्ग पर चलेंगी। उन्होंने कहा कि मोदी जी के बताए मार्ग पर चलकर मध्यप्रदेश आगे बढ़ रहा है। हमें गर्व है कि प्रधानमंत्री जी के आशीर्वाद से 1.40 करोड़ लोग गरीबी रेखा से बाहर निकले हैं।
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री जी ने ऐसे फैसले किए हैं जो बुंदेलखंड की तस्वीर बदल देंगे। बीना रिफाइनरी पर आधारित पेट्रो केमिकल्स उत्पाद पर 50 हजार करोड़ का निवेश आने वाला है। मैं मोदी जी को धन्यवाद देता हूँ। इसी बुंदेलखंड की धरा पर केन-बेतवा परियोजना का काम जल्दी प्रारंभ होने वाला है। इससे 20 लाख एकड़ जमीन पर बुंदेलखंड में सिंचाई होगी। बुंदेलखंड की धरती पंजाब, हरियाणा को मात देगी। प्रधानमंत्री जी ने 44 हजार करोड़ की योजना का उपहार बुंदेलखंड की जनता को दिया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि संसद में जो हुआ वह अद्भुत और अभूतपूर्व है। अंग्रेजों के बनाए कानून बदले जा रहे हैं। अगर मासूम बिटिया के साथ कोई दुराचार करेगा तो सीधा फांसी के फंदे पर लटका दिया जाएगा। एक नए भारत का उदय प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में हुआ है। 8 फरवरी को संत रविदास मंदिर की योजना को भव्य रूप देकर निर्माण कराने की घोषणा की थी जिसके परिप्रेक्ष्य में अब भव्य और अलौकिक मंदिर बनेगा। मंदिर नागर शैली में 10 हजार वर्ग फुट में बनेगा। इंटरप्रिटेशन म्यूजियम बनेगा। संस्कृति और रचनात्मक के साथ संत रविदास के कृतित्व - व्यक्तित्व को प्रदर्शित करने वाला संग्रहालय भी बनेगा। संग्रहालय में चार गैलरी बनेगी, जिनमें भक्ति मार्ग, निर्गुण पंथ में योगदान, संत जी का दर्शन और उनके साहित्य, समरसता का विवरण भी रहेगा। लायब्रेरी के अलावा संगत हाल, जल कुंड, भक्त निवास भी बनेगा, जो अध्यात्मिक सुविधाओं से युक्त होगा। भक्त निवास में देश विदेश से संत रविदास के अनुयायी और अध्येता आएंगे, जिन्हें संत जी के जीवन से प्रेरणा मिलेगी। भोजनालय का निर्माण 15 हजार वर्गफीट भूमि पर होगा। मंदिर में दो भव्य प्रवेश द्वार होंगे, सीसीटीवी कैमरे और लाइटिंग की व्यवस्था भी रहेगी। संत रविदास जी का मंदिर और कला संग्रहालय भव्य होगा, जो श्रद्धा, आस्था और भक्ति का अभूतपूर्व स्थल होगा। दार्शनिक और अध्येता और जिज्ञासु भी देश-विदेश से आएंगे। संत रविदास जी का कृतित्व,- व्यक्तित्व और दर्शन पूरी दुनिया के लिए प्रेरक बनेगा।
शिलान्यास और लोकार्पण
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 1580 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से विकसित की जाने वाली दो सड़क परियोजनाओं की आधारशिला रखी। प्रधानमंत्री मोदी ने कोटा-बीना रेल मार्ग के दोहरीकरण का लोकार्पण किया, जिसे 2475 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से विकसित किया गया है। प्रधानमंत्री मोदी ने 4000 करोड़ रुपये से अधिक की रेल और सड़क क्षेत्र की परियोजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण किया। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कोटा-बीना रेल मार्ग के दोहरीकरण के पूरा होने को चिन्हित करने वाली परियोजना का ई-लोकार्पण किया। कुल 2475 करोड़ रुपये से अधिक की अनुमानित लागत से निर्मित यह परियोजना, राजस्थान के कोटा और बारां जिले तथा मध्य प्रदेश के गुना, अशोकनगर और सागर जिलों से होकर गुजरती है। अतिरिक्त रेल लाइन बेहतर परिवहन के लिए क्षमता में वृद्धि करेगी और इस मार्ग पर ट्रेन की गति में सुधार करने में भी मदद करेगी।
रेल परियोजना: एक नज़र में
बीना गुना रेल दोहरीकरण कार्य कुल लंबाई 288.236 किलोमीटर है। इसकी अनुमानित लागत: 247.43 करोड़ है।लाभान्वित होने वाले दो राज्य हैं। राजस्थान में 139 किलोमीटर और मध्यप्रदेश में 149 किलोमीटर लंबाई का कार्य हुआ।लाभान्वित होने वाले जिले गुना, अशोकनगर और सागर (मध्यप्रदेश) हैं। साथ ही कोटा, बारां (राजस्थान) भी शामिल हैं। इसमें प्रमुख पुल 32 हैं। रोड अंडर ब्रिज की संख्या 04 और लेवल क्रासिंग 43 हैं।स्टेशनों की संख्या 36 है। अधिकतम गति 110 किमी प्रति घंटा है। दूसरी लाइन के निर्माण से 110 किलोमीटर प्रति घंटे की सेक्शनल गति के साथ ही और अधिक ट्रेनों का संचालन हो सकेगा। इस महत्वपूर्ण और व्यस्त रेल मार्ग पर यात्री और माल यातायात की लगातार बढ़ती मांग को पूरा करेग। इससे यात्री ट्रेनों के परिचालन में सुगमता आएगी और समयपालन में सुधार होगा। कोटा-बीना दोहरीकरण परियोजना से कोटा, बारां, गुना, अशोक नगर और बीना आदि शहरों के लिए कनेक्टिविटी में सुधार होगा। यह रेल लाइन प्रमुख तीर्थ स्थलों जैसे नागदा महादेव मंदिर, बारां में भैरव जी मंदिर, गुना में हनुमान टेकरी मंदिर, अशोक नगर में जागेश्वरी मंदिर और बीना में रघुनाथ मंदिर (इटावा) जैसे प्रमुख तीर्थ स्थलों से कनेक्टिविटी में सुधार करेगी। इस सेक्शन पर औसतन 42 मालगाड़ियों के परिचालन तथा 25 से अधिक मेल/एक्सप्रेस ट्रेनों की गति में सुधार होगा। प्रमुख स्टेशनों कोटा, सोगरिया, भोंरा, छबड़ा, रूठियाई, गुना, अशोकनगर और बीना स्टेशनों पर ट्रेनों की आवाजाही सुलभ होगी तथा प्लेटफॉर्म उपलब्धता को बढ़ावा मिलेगा। कोटा-बीना दोहरी रेलवे लाइन राजस्थान और मध्यप्रदेश, राज्यों के बिजली संयंत्रों को कोयले की आपूर्ति करती है। इस प्रकार कोयले के परिवहन एवं आपूर्ति में तेजी आएगी। यह लाइन कृषि स्थानीय उत्पादों तथा कोयला परिवहन की तेज आवाजाही की सुविधा प्रदान करेगी। यह परियाजना अन्य उद्योगों के लिए भी निवेश आकर्षित करेगी साथ ही क्षेत्र मंी रोजगार के अवसर सृजित करेगी। इससे मध्य प्रदेश के गुना, अशोक नगर, सागर जिले का समग्र सामाजिक और आर्थिक विकास होगा।राजस्थान में बारां भी लाभान्वित होगा।