प्रो कबड्डी लीग के कमाल के रेडर के बात की जाए तो परदीप नरवाल और राहुल चौधरी का नाम आता है, लेकिन पिछले दो साल से एक खिलाड़ी ने ऐसा कमाल का प्रदर्शन किया है, जिसने टॉप रेडर्स को पीछे छोड़ दिया है। हम बात कर रहे हैं दबंग दिल्ली के रेडर नवीन कुमार की, जिन्होंने अब तक 5 मैचों में चार सुपर टेन बनाया है और कुल 54 अंक हासिल किए हैं।
नवीन कुमार का जन्म 14 फरवरी 2000 को हरियाणा के भिवानी के छोटे गांव में हुआ और उन्होंने 11 साल की उम्र में ही कबड्डी खेलना शुरू कर दिया था। नवीन अपने रनिंग हैंड टच के लिए काफी फैमस हैं और किसी भी परिस्थिती में टीम के लिए अंक हासिल करने की क्षमता रखते हैं। प्रो कबड्डी लीग के सातवें सीजन में नवीन के शानदार प्रदर्शन के बाद लोकमत न्यूज ने उनसे बात की।
प्रो कबड्डी लीग में अपने अब तक के सफर को कैसे देखते हैं?
पिछले साल दबंग दिल्ली की फ्रेंचाइजी ने टीम में शामिल किया और यह मेरे करियर के लिए काफी अहम रहा। मैं लकी हूं कि टीम में लगातार मौका मिलता रहा और मैंने भी उम्मीदों पर खरा उतरने की कोशिश की।
आपन इस सीजन में टॉप रेडर बनने के लिए किस तरह की तैयारियां की हैं?
टॉप रेडर बनने के लिए कोई खास तैयारी नहीं की है, बस अपने गेम पर ध्यान दिया है और पिछली गलतियों को सुधारने की कोशिश की है। कोच ने काफी सपोर्ट किया है, जिन्होंने काफी ट्रेनिंग कराया है। इसके अलावा इस सीजन में मैच प्रैक्टिस पर काफी ध्यान दिया है।
इस सीजन में कौन सी टीमें सबसे ताकतवर नजर आ रहीं हैं?
प्रो कबड्डी लीग में सभी टीमें बराबर की है और सभी अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं। दबंग दिल्ली अच्छी टीम है, लेकिन हमसे कुछ गलतियां हुई हैं जिन्हें आगे के मैचों में सुधारने की कोशिश करेंगे।
इतनी तेज तरक्की के बाद भविष्य को लेकर क्या उम्मीदें हैं?
भविष्य को लेकर कुछ ज्यादा सोचा नहीं है और अभी सिर्फ इस बात पर ध्यान है कि टीम को किस तरह आगे लेकर जाए। अब तक हमारी टीम ने पांच में से चार जीत हासिल की है और उसे गुजरात के खिलाफ कड़ी टक्कर के बाद हार का सामना करना पड़ा। हमारी कोशिश होगी कि आगे भी जीत दर्ज करें।
प्रो कबड्डी लीग से जुड़ने के बाद जिंदगी में किस तरह के बदलाव आए हैं?
प्रो कबड्डी लीग में दबंग दिल्ली टीम में शामिल होने के बाद पर्सनल लाइफ में काफी बदलाव आया है। टीम से जुड़ने के बाद नौकरी भी लग गई है। इसके बाद घरवाले, गांव वाले और दोस्त काफी खुश हैं। कबड्डी लीग से जुड़ने के बाद काफी लोग पहचानने लगे हैं, इससे काफी खुशी मिलती है।
कबड्डी का सफर किस तरह शुरू हुआ और इसके लिए किसका सपोर्ट था ?
जब मैं 11 साल का था तब स्कूल में कबड्डी खेलना शुरू कर दिया था। इसके बाद जिला स्तर पर खेलने का मौका मिला और फिर दबंग दिल्ली की टीम में शामिल हुआ। मेरे खेल में गांव के कोच ने काफी सपोर्ट किया। कबड्डी खेलने के लिए माता-पिता ने काफी सपोर्ट किया और आगे बढ़ने में मदद की।