मोदी सरकार का बड़ा फैसला, 6 महीने में भरे जाएंगे केंद्रीय विश्वविद्यालयों में खाली 6 हजार से अधिक प्रोफेसरों के पद
By एसके गुप्ता | Published: June 5, 2019 05:08 AM2019-06-05T05:08:29+5:302019-06-05T05:08:29+5:30
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के निर्देश पर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने सभी केंद्रीय विश्वविद्यालय, राज्य विश्वविद्यालय, निजी विश्वविद्यालय और डीम्ड यूनिवर्सिटीज में खाली प्रोफेसर के पदों पर भर्तियां कराने का फैसला किया है।
देश के सभी उच्च शिक्षण संस्थान अपने यहां रिक्त शिक्षकों के पद अगले छह माह में भरेंगे। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के निर्देश पर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की ओर से मंगलवार रात यह आदेश सभी उच्च शिक्षण संस्थानों को भेजा गया है।
इसमें शिक्षण संस्थानों से कहा है कि शिक्षण की गुणवत्ता सुधारने के लिए शिक्षकों के रिक्त पद अविलंब भरे जाएं। यूजीसी सचिव प्रो. रजनीश जैन ने जारी आदेश में कुलपितयों से कहा है कि आप सभी शिक्षकों की कमी से अवगत हैं। इसका असर शिक्षा की गुणवत्ता पर पड़ रहा है। इसे दूर करने के लिए तत्काल कदम उठाते हुए रिक्त पदों को भरें।
इसमें सामान्य और आरक्षित श्रेणी के पदों को भरते समय रोस्टर नियमों का पालन करने के निर्देश भी दिए गए हैं। सभी केंद्रीय विश्वविद्यालय, डीम्ड यूनिवर्सिटी के कुलपतियों और शिक्षण संस्थानों के प्रमुखों को आदेश पर तुरंत अमल करने को कहा गया है।
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से उच्च शिक्षण संस्थानों में रिक्त पदों को भरने की दिशा में इसे बडा कदम बताया जा रहा है। केंद्रीय मानव संसाधन विकास के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि शिक्षण संस्थानों को पहली बार इतना स्पष्ट निर्देश जारी किया गया है। इसमें शिक्षण संस्थानों में खाली पदों को ढूंढने से लेकर उम्मीदवारों के चयन तक का शेड्यूल जारी किया गया है।
इसमें कुल छह माह की समय सीमा तय कर दी गई है। यूजीसी के आंकड़ों के अनुसार नवंबर 2018 तक देश के 40 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के 17425 पद स्वीकृत हैं और इनमें से 6141 पद खाली हैं। राज्य विश्वविद्यालय, निजी विश्वविद्यालय और डीम्ड यूनिवर्सिटीज में भी 35 से 45 फीसदी तक शिक्षकों के पद खाली हैं। शिक्षकों की यह कमी उच्च शिक्षा के विकास और शिक्षा की गुणवत्ता को बनाए रखने में बाधा बन रही है।
बडी समस्या यह भी है कि यूजीसी के नियमों के अनुसार विश्वविद्यालयों में 10 फीसदी से ज्यादा एडहॉक शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हो सकती है। लेकिन देश के केंद्रीय विश्वविद्यालय इसका अपवाद बने हुए हैं। जहां 40 फीसदी से ज्यादा एडहॉक शिक्षक व्यवस्था को संभाले हुए हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय में ही करीब 10 हजार शिक्षकों में से 4500 शिक्षक एडहॉक हैं।