जोजिला टनल 2026 तक होगी तैयार, घाटी से लद्दाख का सफर, 6809 करोड़ रुपए खर्च, जानिए खासियत
By सुरेश एस डुग्गर | Published: June 10, 2021 05:23 PM2021-06-10T17:23:31+5:302021-06-10T17:25:33+5:30
जोजिला टनल तक पहुंच पाना असंभव होगा, जो 6.5 किमी लंबी होगी जबकि जोजिला टनल सवा चौदह किमी लंबी होगी। इस टनल को बनाने में केंद्र सरकार 6809 करोड़ रुपए खर्च करेगी।
जम्मूः चीन सीमा तक सारा साल पहुंच के लिए सामरिक महत्व की जोजिला टनल अब वर्ष 2026 तक पूरी हो जाएगी।
हालांकि जोजिला टनल से करीब 22 किमी पहले जेड मोड़ में भी एक टनल का काम जारी हे जो वर्ष 2023 तक पूरा होने की उम्मीद है। इस टनल के बिना जोजिला टनल तक पहुंच पाना असंभव होगा जो 6.5 किमी लंबी होगी जबकि जोजिला टनल सवा चौदह किमी लंबी होगी। इस टनल को बनाने में केंद्र सरकार 6809 करोड़ रुपए खर्च करेगी।
पिछले साल अक्तूबर महीने में करगिल जिले के द्रास और सोनमर्ग के बीच जोजिला टनल के निर्माण के लिए ब्लास्ट किया गया था। करीब 11578 फीट की ऊंचाई पर बनने वाली ये टनल बेहद आधुनिक होगी। इस टनल की लंबाई 14.15 किलोमीटर होगी। करगिल में बनने वाली जोजिला टनल हर लिहाज से दुनिया के सबसे आधुनिक सुरंगों में से एक होगी।
अटल टनल की तरह ही जोजिला सुंरग बनाने का सपना पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने देखा था जिसे अब मोदी सरकार पूरा करने जा रही है। मीनामर्ग इलाके में एक सिरे से लेकर बालटाल की ओर दूसरे सिरे पर भी काम जारी है। हालांकि बर्फबारी के कारण कुछ महीने इस पर काम रोका गया था। यही कारण है कि इन दोनों सुरंगों के निर्माण के लिए साल में सिर्फ 6 से 8 महीने का समय ही मिल रहा है।
करगिल के जोजिला दर्रे को दुनिया का सबसे खतरनाक दर्रा माना जाता। टनल के बनने से एक तो इसे पार करने का जोखिम कम होगा और जो दूरी को तय करने में तीन घंटे लगते थे वो महज 15 मिनट में पूरी हो जाएगी। जोजिला सुरंग, श्रीनगर, करगिल और लेह को आपस में जोड़ने में मददगार होगी। सुरंग से सेना को न सिर्फ चीन सीमा बल्कि पाकिस्तान की सीमा पर भी जवानों की तैनाती में मदद मिलेगी।
जोजिला टनल के लिए निर्माण सेना और सिविल इंजीनियरों की एक टीम ने पहाड़ को काट कर सुरंग बनाने का काम चालू कर दिया हुआ है। मौसम और स्थानीय परिस्थितियों के कारण जेड मोड़ टनल के वर्ष 2023 तथा जोजिला टनल के वर्ष 2026 तक पूरा होने की उम्मीद है।
इस सुरंग के बन जाने से से श्रीनगर और लेह के बीच पूरे वर्ष भर संपर्क सुविधा मिलेगी। सुरंग बनाने की प्रक्रिया में विस्फोटकों के जरिए पत्थरों को हटाकर पहले रास्ता बनाया जाता है। सुरंग निर्माण अपने आप में इंजीनियरिंग विधा की नायाब कृति है।