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Yes Bank Crisis: खाताधारकों के पैसे से एसबीआई कर रही यस बैंक का उद्धार

By शीलेष शर्मा | Updated: March 14, 2020 06:06 IST

सूत्रों का दावा था कि इस फैसले को कराने के पीछे आरबीआई, वित्तमंत्रालय और प्रधानमंत्री कार्यालय की प्रमुख भूमिका रही है. जिसके दबाव में भारतीय स्टेट बैंक ने खाताधारकों से कमाई गयी रकम को डूबती यस बैंक में खफाने का फैसला किया.

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ठळक मुद्देभारतीय स्टेट बैंक मोदी सरकार के इशारे पर यस बैंक को बचाने में जुट गयी है. एसबीआई जो पहले यस बैंक में 2450 करोड़ का निवेश कर रही थी उसे बढ़ाकर अब उसने 7250 करोड़ का निवेश का फैसला किया है.

भारतीय स्टेट बैंकमोदी सरकार के इशारे पर यस बैंक को बचाने में जुट गयी है. एसबीआई जो पहले यस बैंक में 2450 करोड़ का निवेश कर रही थी उसे बढ़ाकर अब उसने 7250 करोड़ का निवेश का फैसला किया है.

उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार एसबीआई का यह फैसला कोई अचानक लिया फैसला नहीं है. सूत्रों का दावा था कि इस फैसले को कराने के पीछे आरबीआई, वित्तमंत्रालय और प्रधानमंत्री कार्यालय की प्रमुख भूमिका रही है. जिसके दबाव में भारतीय स्टेट बैंक ने खाताधारकों से कमाई गयी रकम को डूबती यस बैंक में खफाने का फैसला किया.

उल्लेखनीय है कि इस समय भारतीय स्टेट बैंक के पास 44.51 करोड़ खाताधारक है. जो रकम एसबीआई यस बैंक  में खफा रही है उसकी भरपाई के लिए उसने खाताधारकों के ब्याज में कटौती कर कमी को पूरा करने का रास्ता निकाला है.

कांग्रेस ने आज इस मुद्दे पर मोदी सरकार और वित्तमंत्रालय को घेरते हुए गंभीर आरोप लगाये. लोकसभा में पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि एसबीआई बचत खाता में खाताधारकों को 3.25 फीसदी की दर से अब तक ब्याज दिया जा रहा था.  लेकिन अब मोटी रकम यस बैंक में खफाने के बाद इस ब्याज दर में कटौती की गयी और तीन फीसदी कर दिया. फिक्स डिपोजिट की ब्याज दर को भी कम करने का फैसला लिया गया है जो लगभग दस से 50 बेसिस प्वाइंट तक कम करके लगभग 0.25 फीसदी से 0.50 फीसदी फिक्स डिपोजिट की अवधि के अनुसार घटा दिया गया है.

2018-2019 की यदि एसबीआई की बैलेंस शीट पर नजर डाली जाए तो बजट खाता में 1091751 करोड़ रुपये जमा है. इस रकम पर 0.25 फीसदी ब्याज दर की कटौती होती है तो खाताधारकों को ब्याज का जो सालाना नुकसान होगा वह लगभग 2729 करोड़ रुपये है. यदि इसी अवधि में फिक्ड डिपोजिट की बात करें तो इसमें 1614058 करोड़ रुपये जमा है. 0.25 फीसदी की ब्याज की कटौती होती है तो फिक्ड डिपोजिट खाताधारको को 4035 करोड़ का घाटा  उठाना पड़ेगा. दोनों रकम को जोड़ने के बाद 2729 और 4035 मिलाकर 6764 करोड़ रुपये बनती है.

प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में आज जिस तरह फैसला लिया गया उससे साफ है कि प्रधानमंत्री कार्यालय और वित्तमंत्रालय एसबीआई को दबाव देता रहा कि वह यस बैंक को उबारने में निवेश करें और उसी के तहत केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस फैसले को अपनी मंजूरी दे दी. 

टॅग्स :यस बैंकभारतीय स्टेट बैंकमोदी सरकारलोकमत हिंदी समाचार
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