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येदियुरप्पा ने स्टालिन से मेकेदातु परियोजना का विरोध नहीं करने को कहा

By भाषा | Updated: July 3, 2021 21:20 IST

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बेंगलुरु/ चेन्नई, तीन जुलाई कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा ने तमिलनाडु के अपने समकक्ष एम के स्टालिन को पत्र लिखकर मेकेदातु परियोजना का विरोध नहीं करने का अनुरोध किया है जो जलाशय-सह-पेयजल परियोजना को संतुलित करती है। इसके अलावा येदियुरप्पा ने सभी आशंकाओं को दूर करने के लिए दोनों राज्यों के बीच द्विपक्षीय बैठक की पेशकश की है।

कई वर्षों से लंबित मेकेदातु परियोजना के मुद्दे को हल करने के लिए एक नई कोशिश करते हुए, येदियुरप्पा ने कहा कि इस परियोजना से दोनों राज्यों को अत्यधिक लाभ होगा और किसी भी तरह से तमिलनाडु के कृषक समुदायों के हितों को प्रभावित नहीं करेगा।

उन्होंने पत्र में लिखा, "यह सभी संबंधित पक्षों के हित में होगा और इससे कर्नाटक राज्य और तमिलनाडु राज्य के बीच संबंध बेहतर होंगे, अगर तमिलनाडु सरकार सही भावना से परियोजना के कार्यान्वयन का विरोध नहीं करेगी।"

येदियुरप्पा ने स्टालिन को लिखे अपने पत्र में कहा, "यदि कोई समस्या हो, तो उसे हल करने के लिए सुझाव दिया जा सकता है कि सभी आशंकाओं को दूर करने के लिए संबंधित अधिकारियों की उपस्थिति में एक द्विपक्षीय बैठक भी आयोजित की जा सकती है।"

मुख्यमंत्री ने स्टालिन को याद दिलाया कि कावेरी जल विवाद न्यायाधिकरण (सीडब्ल्यूडीटी) के अंतिम आदेशों में निर्धारित तमिलनाडु में पानी के प्रवाह को विनियमित करने के उद्देश्य से इस जल परियोजना पर विचार किया गया है।

उन्होंने कहा कि परियोजना का उद्देश्य पूरे बेंगलुरु सहित कर्नाटक की पीने और घरेलू पानी की जरूरतों को पूरा करने के लिए 4.75 टीएमसी पानी का अतिरिक्त उपयोग करना है, जैसा कि उच्चतम न्यायालय ने 16 फरवरी, 2018 को अपने फैसले में कहा था।"

इस बीच, तमिलनाडु के जल संसाधन मंत्री दुरई मुरुगन ने शनिवार को कहा कि कर्नाटक के मार्कंडेय नदी पर बने नए बांध से राज्य के कृष्णागिरि जिले में करीब 870 हेक्टेयर क्षेत्र की सिंचाई प्रभावित होगी।

उन्होंने कहा कि इसलिए तमिलनाडु केंद्र सरकार से एक न्यायाधिकरण स्थापित करने का आग्रह करता रहेगा और इस मुद्दे को प्रस्तावित निकाय के माध्यम से हल किया जाए।

मंत्री ने एक बयान में कहा कि तमिलनाडु सरकार राज्य के अधिकारों को बनाए रखने और मार्कंडेय नदी पर निर्भर किसानों और लोगों के हितों की रक्षा के लिए उचित कदम उठाएगी।

कर्नाटक द्वारा मार्कंडेय नदी पर एक बांध के निर्माण को पूरा करने के बारे में कुछ अखबारों की खबरों का हवाला देते हुए, दुरई मुरुगन ने कहा कि तमिलनाडु सरकार ने पड़ोसी राज्य की इस परियोजना का हमेशा विरोध किया है और 2018 में उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।

उन्होंने कहा कि इस बांध से तमिलनाडु के कृष्णागिरी जिले में 870 हेक्टेयर की सिंचाई प्रभावित होगी।

गौरतलब है कि कर्नाटक ने 2019 में कहा था कि 0.5 हजार मिलियन क्यूबिक फीट क्षमता वाले जलाशय का काम लगभग पूरा हो चुका है, जबकि शीर्ष अदालत ने उस वर्ष दिए अपने फैसले में विवाद को सुलझाने के लिए एक न्यायाधिकरण स्थापित करने का समर्थन किया था।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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