नई दिल्ली: संसद के चल रहे विशेष सत्र के दौरान बीते सोमवार शाम में हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में मोदी सरकार ने महिला आरक्षण बिल को मंजूरी दे दी है। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने सरकार के इस कदम के साथ है और वह लंबे समय से लंबित महिला आरक्षण विधेयक को संसद से पास किये जाने को लेकर विशेषतौर पर मुखर थी।
समाचार वेबसाइट हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार यही कारण है कि कांग्रेस ने केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा संसद के चल रहे विशेष सत्र के दौरान पेश होने वाले महिला आरक्षण विधेयक का स्वागत किया है। संसद से महिला बिल पास हो जाने पर संसद और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था को लागू हो जाएगी।
इस पूरे प्रकरण में सबसे दिलचस्प वाकया यह है कि महिला आरक्षण विधेयक को लेकर राहुल गांधी का एक पुराना पत्र वायरल हो रहा है, जो उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखा था। उस पत्र में राहुल गांधी ने महिलाओं को विधायी आरक्षण प्रदान करने के लिए विधेयक को पारित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 'बिना शर्त समर्थन' देने की बात लिखी है।
राहुल गांधी का वह पत्र साल 2018 का है, जिसमें उन्होंने लिखा था, "हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते हैं कि वह महिला सशक्तिकरण के लिए एक योद्धा हैं? उनके लिए दलगत राजनीति से ऊपर उठकर अपनी बात कहने और महिला आरक्षण विधेयक को संसद से पारित कराने का यही समय है। कांग्रेस उन्हें बिना शर्त समर्थन की पेशकश करती है।"
उस पत्र में राहुल गांधी ने बताया कि कैसे भाजपा ने पहले इस विधेयक का समर्थन किया था और तत्कालीन केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने महिला आरक्षण विधेयक को 'ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण' बताया था।
मालूम हो कि महिला आरक्षण विधेयक को कानूनी शक्ल देने के लिए साल 1996 से कई प्रयास किए गए हैं, लेकिन वो सारे प्रयास असफल रहे। साल 2010 में यूपीए सरकार इस विधेयक को राज्यसभा में पारित कराने में कामयाब रही, लेकिन सहयोगी दलों के दबाव के कारण मनमोहन सिंह महिला आरक्षण विधेयक को लोकसभा में पेश करने में विफल रही थी।
हालांकि, मोदी सरकार द्वारा पेश किये जाने वाले महिला आरक्षण विधेयक के विषय में दावा किया जा रहा है कि नया महिला आरक्षण विधेयक साल 2010 के विधेयक के समान नहीं होगा और आरक्षण का दायरा संसद और राज्य विधानसभाओं से परे बढ़ने की संभावना है।