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सबरीमाला मंदिर में इस उम्र की महिलाओं के प्रवेश पर रोक, दिखाना होगा आयु प्रमाण पत्र

By धीरज पाल | Updated: January 5, 2018 15:28 IST

सबरीमाला स्थित भगवान अयप्पा मंदिर एकबार फिर विवादों में है।

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सबरीमाला में स्थित भगवान अयप्पा के मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ देखी जा रही है। बढ़ती भीड़ को देखते हुए मंदिर का प्रबंधन करने वाले त्रावणकोर देवस्वम बोर्ड (TBD) ने महिलाओं के प्रवेश को लेकर एक बड़ा कदम उठाया है। मंदिर बोर्ड ने आदेश जारी कर कहा कि 10 से 50 साल तक की महिलाएं मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकती हैं।

इतना ही नहीं बोर्ड ने महिलाओं को मंदिर में प्रवेश के लिए आयु प्रमाण-पत्र अनिवार्य कर दिया गया है। मंदिर के बोर्ड ने आदेश दिया कि यदि महिला भक्तों की उम्र 10 से कम हो या 50 से अधिक उम्र की महिला भक्तों को मंदिर में प्रवेश के लिए प्रमाणिक आयु प्रमाण पत्र दिखाना अनिवार्य है।

कई सालों से चली आ रही है प्रथा

सबरीमाला के मंदिर में उन महिलाओं को प्रवेश नहीं मिलता जिन्हें माहवारी (पीरिएड्स) होती है। ये प्रथा कई सालों से चली आ रही है। ऐसा माना जाता है कि भगवान अयप्पा एक नास्तिक ब्रह्मचारी थे। हालांकि मंदिर की इस प्रथा को चुनौती देने वाली एक याचिका सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ के समक्ष लंबित है।

चल रही है वार्षिक तीर्थयात्रा 

इस दौरान सबरीमाला की वार्षिक तीर्थ का अंतिम महीना चल रहा है। यह तीर्थयात्रा तीन महीने तक चलता है। इस तीर्थ यात्रा की शुरुआत नवबंर महीने से हुई जो 14 जवनरी को मकराविलक्कु उत्सव के साथ खत्म होगा। इस तीर्थयात्रा को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है।

पश्चिमी घाट पर समुद्र तल से 914 मीटर की ऊंचाई पर स्थित सबरीमला मंदिर पथानमथिट्टा जिले में मौजूद पम्बा से 4 किमी की ऊंचाई पर है। यह तिरुवनंतपुरम से लगभग 100 किलोमीटर दूर है। मंदिर में पम्बा से केवल पैदल चलकर ही पहुंचा जा सकता है। मंदिर में दर्शन करने के लिए एक व्यक्ति को 18 सीढ़ियां चढ़नी होती है जो परमपावन स्थान की ओर जाता है।

इस दौरान मंदिर में भगवान अयप्पा के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखने को मिली जिसे संभालना अधिकारियों के लिए मुश्किल हो रहा है। मंदिर के एक अधिकारी ने कहा कि एक तीर्थयात्री को 'दर्शन' करने के लिए आठ घंटे से इंतजार करना पड़ रहा है। साथ ही अधिकारी ने कहा कि भीड़ अपनी चरम पर पहुंच गई है। सभी तीर्थयात्रियों को आदेश दिया गया है कि मंदिर में दर्शन के बाद मंदिर परिसर के ऊपरी भाग में नहीं रहे। 

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