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‘हिस्ट्रीशीटर को राज्य की ही जेल में क्यों रखा जाए : न्यायालय ने बिहार राज्य से स्पष्ट करने को कहा

By भाषा | Updated: December 3, 2021 21:37 IST

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नयी दिल्ली, तीन दिसंबर उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को बिहार सरकार से यह स्पष्ट करने को कहा कि गवाहों के प्रभावित होने की संभावना को देखते हुए एक "हिस्ट्री-शीटर", जिसके खिलाफ 100 से अधिक आपराधिक मामले हैं, उसे वहां की जेल में क्यों रखा जाए और राज्य से बाहर क्यों स्थानांतरित नहीं किया जाए।

न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति सी. टी. रविकुमार की पीठ ने इस बात पर गौर किया कि व्यक्ति के खिलाफ 100 से अधिक मामले हैं और राज्य के वकील से पूछा कि उसे दिल्ली की जेल में क्यों नहीं लाया जा सकता और मामले की सुनवायी वीडियो-कॉन्फ्रेंस से की जाए।

शीर्ष अदालत ने बिहार के गृह विभाग के सचिव को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि किसी भी व्यक्ति को बक्सर जेल में बंद सतीश पांडेय से मिलने की अनुमति नहीं दी जाए और यह भी सुनिश्चित किया जाए कि उसे कोई मोबाइल फोन न मिले।

शीर्ष अदालत ने निर्देश दिया कि पांडेय के खिलाफ लंबित सभी मामले में, उसे वीडियो-कॉन्फ्रेंस के जरिये संबंधित अदालत के समक्ष पेश किया जाए, न कि व्यक्तिगत रूप से पेश किया जाए ताकि उसे जेल से ले जाने और वापस लाने के लिये आवाजाही से बचा जा सके।

पीठ ने मामले की सुनवायी अगले साल 4 जनवरी को तय करते हुए कहा, ‘‘सुनवायी की अगली तारीख से पहले, राज्य को एक रिपोर्ट दाखिल करनी चाहिए, जिसमें यह बताया जाए कि उसके खिलाफ कई आपराधिक मामले लंबित होने के बावजूद उसे बक्सर जेल में क्यों रखा जाना चाहिए या उसे नहीं रखा जाना चाहिए।’’

शीर्ष अदालत उस अर्जी पर सुनवायी कर रही थी, जिसमें पांडेय और तीन अन्य लोगों को राज्य के बाहर दिल्ली या उत्तर प्रदेश सहित किसी अन्य जेल में स्थानांतरित करने और लंबित मामलों में सुनवायी वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये करने का अनुरोध किया गया है। इन व्यक्तियों के खिलाफ पिछले साल मई में हत्या के एक मामले में प्राथमिकी दर्ज है।

पीठ ने कहा कि राज्य द्वारा दो सप्ताह के भीतर सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट दाखिल की जाए।

याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अंजना प्रकाश ने पीठ को बताया कि उन्होंने इन आरोपियों को बिहार से बाहर किसी अन्य जेल में स्थानांतरित करने का अनुरोध किया है। उन्होंने साथ ही यह भी बताया कि पांडेय के खिलाफ 100 से अधिक मामले लंबित हैं।

पीठ ने बिहार का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील से पूछा, ‘‘क्या यह सही नहीं है कि यह व्यक्ति 109 मामलों में शामिल है।’’ राज्य के वकील ने कहा कि ये मामले पांडेय के खिलाफ हैं।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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