प्रधानमंत्री मोदी ने अमित शाह को क्यों दी गृह मंत्रालय की जिम्मेदारी? सामने हैं कई चुनौतियां
By हरीश गुप्ता | Published: June 1, 2019 08:07 AM2019-06-01T08:07:43+5:302019-06-01T08:07:43+5:30
पार्टी के अनुभवी नेता राजनाथ सिंह पांच साल मोदी के नंबर-2 के रूप में नॉर्थ ब्लॉक में तैनात रहे, लेकिन वह दिल्ली को कानून और व्यवस्था में रोल मॉडल बनाने और सुरक्षा तंत्र के विभिन्न विंगों के बीच सामंजस्य स्थापित करने में विफल रहे.
अमित शाह को गृह मंत्रालय का आवंटन इस बात का साफ संकेत है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पुलिस प्रशासन, सुरक्षा व्यवस्था और खुफिया मंत्र में आमूलचूल परिवर्तन के लिए 'लौहपुरुष' चाहते थे. हालांकि, पार्टी के अनुभवी नेता राजनाथ सिंह पांच साल मोदी के नंबर-2 के रूप में नॉर्थ ब्लॉक में तैनात रहे, लेकिन वह दिल्ली को कानून और व्यवस्था में रोल मॉडल बनाने और सुरक्षा तंत्र के विभिन्न विंगों के बीच सामंजस्य स्थापित करने में विफल रहे. उनकी छवि जोखिम नहीं लेने वाले व्यक्ति की है जो खुफिया एजेंसियों और देशभर के पुलिस संगठनों को दुरुस्त करने में सफल नहीं.
सूत्रों का कहना है कि राजनाथ का राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल के साथ समन्वय में भी कमी थी. इससे पहले नरेंद्र मोदी सरकार के पहले साल के शासनकाल में दोनों के बीच मतभेद की खबरें भी सामने आईं, जब प्रधानमंत्री ने उनके बेटे के दिल्ली के फाइव स्टार होटलों में बैठकें आयोजित करने का जिक्र किया. हालांकि इन खबरों का खंडन किया गया था, लेकिन राजनाथ सिंह इतने सतर्क हो गए कि उन्होंने अपने मंत्रालय को गौण करते हुए पीएमओ से पूछे बिना अंगुली तक नहीं उठाई. मोदी ने बहुत धैर्य दिखाते हुए दूसरी पारी शुरू होने तक इंतजार किया और नॉर्थ ब्लॉक में अपना दाहिना हाथ माने जाने वाले व्यक्ति को बिठा दिया.
पहले थी वित्त पोर्टफोलियो की खबरें
पहले ऐसी खबरें थीं कि अमित शाह को वित्त मंत्रालय मिलेगा, लेकिन सिर्फ प्रधानमंत्री मोदी ही जानते थे कि उन्हें क्या करना है. उन्होंने राजनाथ सिंह की सरकार में नंबर-2 की स्थिति से छेड़छाड़ किए बगैर शाह को गृह मंत्रालय की कमान सौंप दी. यह पहली बार होगा जब गृह मंत्री सरकार में नंबर-2 की हैसियत नहीं रखेगा. ऐतिहासिक रूप से यह चौधरी देवीलाल के उपप्रधानमंत्री कार्यकाल में हुआ था, जब वह कृषि मंत्रालय का पोर्टफोलियो संभाल रहे थे. शाह अब संवेदनशील जम्मू-कश्मीर, खुफिया ब्यूरो, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो और अन्य एजेंसियों सहित देश की सुरक्षा की सभी गतिविधियों का समन्वय करेंगे.
नेहरू-पटेल के समय से अविश्वास
जवाहरलाल नेहरू और सरदार बल्लभाई पटेल के समय ही प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के बीच अविश्वास रहा है. अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी युग में साउथ ब्लॉक और नॉर्थ ब्लॉक के बीच अविश्वास की खाई और अधिक गहरी हो गई. हालांकि मोदी-शाह के मामले में समय, स्थिति और उम्र अलग है. 54 साल के शाह 69 साल के मोदी के उत्पाद हैं जो स्वयं योग्य उत्तराधिकारी की तलाश में होंगे. मोदी के पास व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं के लिए कोई परिवार नहीं है इसलिए उन्होंने प्रतिभाओं और विचारों को तरजीह देते हुए नए चेहरों के साथ प्रयोग किया. यही कारण है कि निर्मला सीतारमण वित्त मंत्री बनीं.