कौन था मुंबई का डॉन करीम लाला जिसने दाऊद इब्राहिम को पीटा
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: January 16, 2020 07:57 PM2020-01-16T19:57:57+5:302020-01-16T19:58:11+5:30
अपने इलाके में धंधा करने से खफा करीम लाला ने दाऊद को पकड़ कर पीटा था. करीम लाला, हाजी मस्तान और वरदा भाई ने मुंबई को आपस में बांट कर राज करने का प्लान बनाया था
करीम लाला 60 से 80 के दशक की गैंगस्टर तिकड़ी का मशहूर डॉन था. 1911 में पैदा हुआ और 19 फरवरी 2002 को उसकी मौत हो गई, लेकिन वह अब फिर खबरों में हैं. वह और उसकी बड़े नेताओं से मुलाकातें फिर कब्र से बाहर आई हैं. तो आइए जानते हैं कौन था करीम लाला.
हम जिस गैंगस्टर तिकड़ी की बात कर रहे थे उसके बाकी दो डॉन थे मस्तान मिर्ज़ा और वरदराजन मुदलियार. अब्दुल करीम शेर खान उर्फ करीम लाला पैदा तो अफगानिस्तान के कुनार प्रांत में हुआ लेकिन राज बंबई पर किया.
दो दशकों तक करीम लाला का खूंखार 'पठान गैंग' दक्षिण मुंबई के डोंगरी, नागपाड़ा, भिंडी बाजार और मोहम्मद अली रोड जैसे मुस्लिम बहुल इलाकों से अपना गैंग चलाता था. पठान गैंग सट्टा, शराब की तस्करी, अपहरण, हफ्ता वसूली , सुपारी लेकर मर्डर , और नकली नोटों जैसे सारे कांले धंधे करता था.
करीम लाला पठान का परिवार अफगानिस्तान से आकर दक्षिण मुंबई में भिंडी बाज़ार के सबसे घनी आबादी वाले और गरीब मुस्लिम बस्ती में आकर बस गया था. लाला मुंबई में एक छोटे गुर्गे के तौर पर पठानों के एक गिरोह में शामिल हो गया. गिरोह के निशाने पर मारवाड़ी और गुजराती महाजन जमींदारों और व्यापारियों सब थे.
कॉट्रैक्ट किलिंग करने वाला करीम लाला का 'पठान गैंग' जल्दी ही कुख्यात हो गया. करीम लाला के 'पठान गैंग' ने मुबंई में कई 'कैरम क्लब' चलाए, जिनका 'असली' काम कुछ और ही था. 'पठान गैंग' कैरम क्लब की आड़ में अवैध वसूली, जुआ और सट्टेबाजी के रैकेट के चलाता था.
सत्तर के दशक में गैंगस्टर, तिकड़ी करीम लाला, हाजी मस्तान और वरदराजन यानि 'वरदा भाई' के बीच एक बड़ी डील पर सहमति भी बन गयी. इस डील का मकसद था मुंबई को आपस में बांट कर, बिना किसी झगड़े के वो अपने काले धंधे कर सके. इस डील के कुछ दिन बाद मुंबई पुलिस के हेड कॉन्स्टेबल इब्राहिम कासकर के दो बेटे दाऊद इब्राहिम और शब्बीर इब्राहिम कासकर हाजी मस्तान की गैंग में शामिल हुए और दोनों ने तस्करी के धंधे के लिए करीम लाला का एरिया ही चुना.
करीम लाला इससे खफा गया और एक दिन उसने दाऊद को पकड़कर खूब पीटा. उस दिन दाऊद ने किसी तरह लाला से अपनी जान बचाई. लेकिन दाऊद ने फिर करीम लाला के इलाके में धंधा शुरू कर दिया. लाला ने अब तय कर लिया था वो दाऊद को कड़ा सबक सिखाएगा. 1981 में पठान गैंग ने दाऊद के भाई शब्बीर को मार डाला. जिसका बदला लेने के लिए 1986 में दाऊद ने करीम लाला के भाई रहीम खान की हत्या करवा दी.
70 के दशक के अंत में खराब सेहत के कारण लाला ने धीरे-धीरे पठान गैंग की कमान अपने भतीजे को सौंपनी शुरू कर दी. लाला ने खुद को होटल और ट्रांसपोर्ट के धंधे तक समेट लिया. हालांकि लाला के कई नाजायज धंधे थे लेकिन उसके पास दो धंधे सफेद भी थे. जिसमें दो होटल 'अल करीम', 'न्यू इंडिया होटल' के साथ एक ट्रैवल और पासपोर्ट एजेंसी न्यू इंडिया टूर्स एंड ट्रैवल्स थी.
लाला के अपने समय के गौंगस्टरों हाजी मस्तान और वरदराजन के साथ रिश्ते दोस्ताना थे. जिस दौर में लाला की तूती बोलती थी तो उसकी दावतों में अक्सर बॉलीवुड के कई सितारे नज़र आते थे. बॉलीवुड फिल्मों के कई किरदारों में करीम लाला की झलक देखने को मिली. कहते हैं कि 1973 की सुपर-हिट फिल्म, ज़ंजीर में, सलीम-जावेद का लिखा और प्राण का निभाया 'शेरखान' का किरदार करीम लाला से प्रेरित था.
लाला के रसूख का आलम ये था कि वो एक साप्ताहिक 'दरबार' लगाया करता, जिसमें वो लोगों की फरियादें सुनता और 'इंसाफ' करता था.