who is Haribhau Bagade Maharashtra Assembly Elections 2024: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के वरिष्ठ नेता और महाराष्ट्र विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष हरिभाऊ बागड़े को राजस्थान का नया राज्यपाल नियुक्त किया गया है। ‘नाना’ के नाम से मशहूर बागड़े को खेती के प्रति उनके जुनून के लिए जाना जाता है और राज्य के छत्रपति संभाजीनगर में एक साधारण परिवार से आने के बावजूद राजनीति में खास पहचान बनाने के लिए उनका काफी सम्मान किया जाता है। बागड़े ने राज्यपाल के तौर पर अपनी नयी जिम्मेदारी के बारे में पत्रकारों से कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कल मुझे फोन करके सूचित किया कि मुझे महाराष्ट्र से बाहर जाना पड़ेगा। उन्होंने मुझे किसी को इसके बारे में न बताने के लिए भी कहा।’’
बागड़े ने कहा, ‘‘मैं 12-13 साल की उम्र से आरएसएस से जुड़ा हुआ हूं और इसका तीन साल का प्रशिक्षण पूरा किया है। 1980 तक मैं जन संघ के साथ था। मुझे चुनौतियां स्वीकार करना पसंद है। हो सकता है कि इतने साल तक पार्टी में मेरे काम के कारण मुझे इस पद के लिए चुना गया हो।’’
बागड़े ने कहा कि उनके सहयोगी देवेंद्र फडणवीस ने उन्हें महाराष्ट्र विधानसभा का अध्यक्ष बनाया था। फड़नवीस अभी महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री हैं। बागड़े (79) ने कहा, ‘‘मैंने कभी कोई पद नहीं मांगा। हो सकता है कि पार्टी के प्रदेश नेतृत्व ने राज्यपाल पद के लिए मेरा नाम सुझाया हो। मैं नयी जिम्मेदारी के साथ पूरा न्याय करने का प्रयास करूंगा।’’
बागड़े पर विधानसभा अध्यक्ष पद पर रहते हुए विपक्षी सदस्यों के विचार न सुनने के आरोप लगे थे। महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार बनने के बाद जब कांग्रेस नेता नाना पटोले विधानसभा अध्यक्ष बने, तो कुछ विधायकों ने बागड़े के खिलाफ टिप्पणियां की थीं।
भाजपा नेता ने सदन को संबोधित करते हुए एक बार कहा था कि शुरुआती वर्षों में ठंड की सुबहों में दोपहिया वाहन पर दूध बेचने से उनकी बाएं कान से सुनने की क्षमता खत्म हो गई थी। बागड़े 1985 में पहली बार विधायक चुने गए थे। उन्होंने पांच बार फुलंब्री विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया।
वह 1995 में शिवसेना-भाजपा सरकार के सत्ता में आने पर रोजगार गारंटी योजना मंत्री बने और 2014 में फडणवीस के मुख्यमंत्री पद पर काबिज होने के बाद उन्हें विधानसभा अध्यक्ष बनाया गया। बागड़े ने बताया कि वह अपने परिवार में औपचारिक रूप से शिक्षा प्राप्त करने वाले पहले सदस्य थे।
उनका परिवार सामाजिक कार्यों से जुड़ा था। वह नौकरी करना चाहते थे, लेकिन आरएसएस के उनके मार्गदर्शक ने उन्हें खेती करने के लिए कहा था। खेती बागड़े के लिए जीवन भर का जुनून बन गई और उन्होंने अपने घर का नाम भी ‘फुलंब्री कृषि योग’ रखा है।