लखनऊ : उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बेहद गर्व है. बीते आठ वर्षों से वह या दावा कर रहे हैं कि सूबे की बेहतर कानून व्यवस्था के चलते अपराधी प्रदेश छोड़कर भाग गए हैं. सूबे में कानून का राज है और देश-विदेश के विख्यात कारोबारी यूपी में फैक्ट्री लगा रहे हैं. ऐसे में सपा से निष्कासित कौशांबी की चायल विधानसभा सीट से विधायक पूजा पाल में अपनी जान का खतरा बताकर सीएम योगी पर समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव को प्रदेश सरकार की कानून व्यवस्था पर सवाल खड़ा करने का मौका उपलब्ध करा दिया है. इस मौके का फायदा उठाते हुए अखिलेश यादव ने रविवार को मीडिया को बताया कि सपा से निकली गई पूजा पाल के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलने का बाद किससे जान का खतरा उत्पन्न हो गया, इसकी जांच कराने के लिए पार्टी ने केंद्रीय गृह मंत्री को पत्र लिखा है. अखिलेश का कहना था कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पूजा पाल को मारे देंगे और जेल हम जाएंगे, इसलिए सरकार इसकी जांच करवाए.
इसलिए अखिलेश यादव चाहते हैं जांच हो :
अखिलेश यादव के इस कथन के बाद अब यह कहा जा रहा है कि भाजपा के खेमे में आ चुकी पूजा पाल में सूबे में सीएम योगी की मुसीबतों में इजाफा कर रही है. उनके बैकग्राउंड को लेकर भाजपा नेता बैकफुट पर हैं. इसकी वजह है पूजा पाले के पति राजू पाल के खिलाफ आपराधिक मुकदमे थे. और अतीक अहमद के भाई अशरफ से राजू पाल की अदावत थी. जिसके चलते ही उसकी हत्या अशरफ और उसके साथियों ने की थी. इस इतिहास के बाद भी पूजा पाल समाजवादी पार्टी में शामिल हुई और चायल विधानसभा सीट से वह चुनाव जीती.
इसके बाद बीते साल हुए राज्यसभा के चुनाव में पूजा पाल तथा सपा के कई अन्य विधायकों ने भाजपा के उम्मीदवार के पक्ष में मतदान किया. इस मामले में बीती 23 जून को अखिलेश यादव ने पार्टी के तीन विधायक मनोज पांडे, राकेश प्रताप सिंह और अभय सिंह को पार्टी से निकाल दिया, लेकिन पूजा पाल के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया. इसके बाद भी पूजा पाल ने सदन में 13 अगस्त को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तारीफ की. तो अखिलेश यादव ने पूजा पाल को भी पार्टी से निकाल दिया.
इस घटना के बाद पूजा पाल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिली. मुख्यमंत्री आवास में हुई मुलाक़ात के बाद पूजा पाल ने एक पत्र लिखकर अपनी जान का खतरा बताते हुए हत्या किए जाने की आशंका जाहिर की. साथ ही यह कहा कि उन्हें अगर कुछ होता है तो उसके जिम्मेदार सपा और अखिलेश यादव होंगे. रविवार को पूजा पाल के इस कथन को लेकर अखिलेश यादव ने इस मामले में जांच कराने की मांग की. और इस संबंध में गृहमंत्री अमित शाह को पत्र भी लिखा.
अखिलेश यादव का कहना है कि कोई मुख्यमंत्री से मिले और उसे जान का खतरा किसी दूसरे दल से हो, ये बात समझ नहीं आ रही है. अगर किसी को खतरा है तो इस मामले की जांच होनी चाहिए. आखिर वो किस संगठन के लोग है जो किसी की जान ले सकते हैं. यह सवाल करते हूए सपा मुखिया ने कहा कि (भाजपा) पूजा पाल को मारे देंगे और जेल हम जाएंगे. इसलिए सरकार इसकी जांच करवाए. लेकिन यह जांच यूपी सरकार पर बिल्कुल केंद्र सरकार कराए क्योंकि हमें यूपी सरकार पर कोई भरोसा नहीं है, इसलिए गृहमंत्री को हमने पत्र लिखा है.
गृहमंत्री को भेजे पत्र में यह लिखा है :
सपा प्रदेश अध्यक्ष श्याम लाल पाल द्वारा गृहमंत्री अमित शाह को भेजे गए पत्र लिखा है, कि सपा से निष्कासित विधायक पूजा पाल के बयान भाजपा प्रेरित हैं और सपा के प्रति साजिश का अंग है. पूजा पाल को सपा ने ही तब विधायक बनाया, जब व्यक्तिगत जीवन में वे संकट में घिरी थी. तब सपा के मुखिया अखिलेश यादव उनके साथ खड़े हुए थे और उनकी हर संभव मदद की. फिर अचानक अब वह पूजा पाल जो पहले सपा में पूरी तरह सुरक्षित थी, भाजपा के सम्पर्क में आई और उसके तुरंत बाद उन्हे अपनी जानमाल की चिंता होने लगी है. जैसा उन्होने स्वयं अपने एक बयान में माना है.
सपा के प्रदेश अध्यक्ष का कहना है कि पूजा पाल को पिछडे, दलित और मुस्लिम से जुड़े सपा के पीडीए फार्मूले से दिक्कत होने लगी है. यह उनकी दिक्कत नहीं बल्कि भाजपा की है जो पीडीए के आंदोलन से साल 2027 में अपनी हार देख रही है. इसलिए अपने षड्यंत्रकारी स्वभाव के अनुकूल पूजा पाल को मोहरा बनाकर समाजवादी पार्टी के प्रति दुष्प्रचार कराया जा रहा है. इसलिए पूजा पाल को योगी राज की कानून व्यवस्था के चलते किससे खतरा है इसकी जांच कराई जाए.