What Causes Landslides: केरल के वायनाड जिले में हुए विनाशकारी भूस्खलन (Wayanad landslides) ने कई जिंदगियां छीन ली हैं। भारी बारिश के कारण कई जगहों पर हुए भूस्खलन ने भारी तबाही मचाई है। इसके कारण कई मकान नष्ट हो गए, जलाशयों में पानी भर गया और पेड़ उखड़ गए। इस हादसे के बाद लैंडस्लाइड या भूस्खलन के बारे में जानने के लिए लोग उत्सुक हैं।इस आर्टिकल में हम आपको बताने जा रहे हैं कि लैंडस्लाइड क्या है और इसके सबसे बड़े कारणों में कौन सी चीजें हैं।
भूस्खलन का क्या कारण है?
सबसे पहले तो ये बता दें कि भूस्खलन भूमि के ढलान वाले हिस्से से चट्टान, मिट्टी या मलबे के खिसकने को कहते हैं। भूस्खलन बारिश, भूकंप, ज्वालामुखी या अन्य कारकों के कारण होता है जो ढलान को अस्थिर कर देते हैं। आबादी वाले क्षेत्रों के पास, भूस्खलन लोगों और संपत्ति के लिए बड़ा खतरा पैदा करता है। अगर इसकी वजहों की बात करें तो भूस्खलन के तीन प्रमुख कारण होते हैं। पहला क्षेत्र का भूगोल, दूसरा- इलाके की स्थिति और तीसरा मानव गतिविधि।
इलाके की स्थिति से तात्पर्य भूमि की संरचना से है। वे ढलानें जो आग या सूखे के कारण अपनी वनस्पति खो देती हैं, भूस्खलन के प्रति अधिक संवेदनशील होती हैं। पेड़ पौधे मिट्टी को अपनी जगह पर बनाए रखती हैं। पेड़ों, झाड़ियों और अन्य पौधोंके बिना भूमि के खिसकने की संभावना अधिक होती है।
भूस्खलन का एक बड़ा कारण पानी के कारण भूमि का कटाव या बेस का कमजोर होना है। कृषि और निर्माण जैसी मानवीय गतिविधियाँ भी भूस्खलन के खतरे को बढ़ा सकती हैं। सिंचाई, वनों की कटाई, खुदाई और पानी का रिसाव कुछ सामान्य गतिविधियाँ हैं जो ढलान को अस्थिर या कमजोर करती हैं।
भूस्खलन के कारण चट्टान, मिट्टी, वनस्पति, पानी या ये सभी बड़ी तेजी से नीचे आ जाते हैं और किसी को संभलने का मौका नहीं मिलता। ऊंचे पहाड़ों में भूस्खलन से बर्फ गिर सकती है और बर्फ पिघल सकती है।
मानसून के मौसम में भारत के कई हिस्सों में भूस्खलन की घटनाएं बढ़ जाती हैं। जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, केरल जैसे राज्यों में भूस्खलन की घटनाएं व्यापक जान माल की हानि करती हैं। इन घटनाओं के कारण सड़कें, पुल, भवन आदि नष्ट या क्षतिग्रस्त हो जाते हैं और इन्हें फिर से बनाने में सरकारी खजाने को बड़ा नुकसान होता है। भूस्खलन के कारण बड़ी संख्या में हर साल लोग जान भी गंवाते हैं। अब तक को रोकने का कोई उपाय नहीं है। कुछ प्रयासों से सिर्फ भूस्खलन के जोखिमों को कम किया जा सकता है।