जम्मू-कश्मीर में कई सालों से जान भी ले रहे हैं और जख्म भी दे रहे हैं अखरोट के पेड़, पेड़ से गिरने पर तीन सालों में 16 की मौत
By सुरेश एस डुग्गर | Published: September 27, 2023 12:15 PM2023-09-27T12:15:19+5:302023-09-27T12:16:48+5:30
करीब सवा सौ करोड़ के अखरोट के बाजार में अखरोट को एकत्र करना कोई आसान कार्य नहीं है।
श्रीनगर: यह जान कर आप हैरान होंगे की कश्मीर में पेड़ भी कश्मीरियों की जानें ले रहे हैं। यह सच है कि अखरोट के पेड़ अक्सर जानलेवा बन जाते हैं और उन पर चढ़ने वाले कश्मीरी जमीन पर गिर कर जान गंवा दे रहे हैं।
आज भी अनंतनाग में एक कश्मीरी साहिल बट की इसी तरह जान चली गई है। वैसे यह कोई पहला हादसा नहीं था कश्मीर में बल्कि पिछले तीन सालों में अखरोट के पेड़ों से गिर कर जान गंवाने वालों की संख्या 16 को पार कर चुकी है।
सबसे अधिक मौतें वर्ष 2021 में हुई थी। जब 6 ने जान गंवा दी। अखरेट के पेड़ से गिर कर कश्मीरी सिर्फ जान ही नहीं गंवा रहे हैं बल्कि कईयों के सिर भी फूट चुके हैं, कईयों की हड्डियां भी टूट चुकी हैं और कई बिस्तर पर जिन्दगी और मौत की जंग लड़ रहे हैं।
दरअसल कश्मीर में प्रतिवर्ष 2.66 लाख मीट्रिक टन अखरोट 90 हजार हेक्टर भूमि पर उगाया जाता है। कश्मीर में जितना भी ड्राई फ्रूट पैदा होता है उसमें 98 प्रतिशत स्थान अखरोट का है। और इस समय अखरोट के पेड़ों से फलों को एकत्र करने का सीजन चल रहा है।
करीब सवा सौ करोड़ के अखरोट के बाजार में अखरोट को एकत्र करना कोई आसान कार्य नहीं है। तीस से 40 फुट की ऊंचाई वाले पेड़ों पर बिना किसी रस्सी और सुरक्षा उपकरणों के चढ़ कर फलों को एकत्र करने का जोखिम ही अब कश्मीरियों के लिए जानलेवा साबित हो रहा है।
हालांकि कश्मीर में नए बने हुए इस व्यावसायिक खतरे से निपटने को बागवानी विभाग कई बार कार्यशलाओं का भी आयोजन कर चुका है तथा कश्मीरियों को सुरक्षा प्रबंध करने की ताकिद भी कर चुका है पर किसी ने भी विभाग की चेतावनियों की ओर कोई ध्यान नहीं दिया। नतीजतन पेड़ों से गिर कर होने वाली मौतों और चोटों का आंकड़ा थमने का नाम नहीं ले रहा है।