नेशनल ग्रीन ट्रिबन्यूनल (एनजीटी) ने विशाखापट्टनम रसायन फैक्टरी में गैस रिसाव की घटना के सिलसिले में शुक्रवार को केन्द्र, एलजी पॉलिमर्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और अन्य को नोटिस जारी किए। इसके साथ ही एनजीटी ने एलजी पॉलिमर्स इंडिया को 50 करोड़ रुपये अंतरिम राशि जमा करने का निर्देश दिया है। इस घटना में 11 लोगों की मौत हुई है जबकि 1000 लोग प्रभावित हुए हैं।
प्लांट दोबारा चलाने के दौरान हुआ हादसा
गुरुवार तड़के (7 मई) स्टीरिन गैस का रिसाव तब हुआ जब संयंत्र के कुछ मजदूर इकाई को फिर से खोलने की तैयारी कर रहे थे। राज्य के औद्योगिक मंत्री मेकपति गौतम रेड्डी ने बताया कि एलजी पॉलिमर्स इकाई को लॉकडाउन के बाद गुरुवार को खुलना था। गैस रिसाव का नतीजा सैड़कों ग्रामीणों, जिनमें अधिकतर बच्चे हैं, को भुगतना पड़ा। उन्हें आंखों में जलन, सांस लेने में तकलीफ, जी मिचलाना और शरीर पर लाल चकत्ते पड़ने जैसी परेशानियां हुईं।
दुर्घटना से होने वाली मौतों की संख्या बढ़ सकती है क्योंकि कम से कम 20 लोग वेंटिलेटर पर रखे गए हैं। पुलिस ने बताया कि, 246 लोगों का विशाखापत्तनम के किंग जार्ज अस्पताल में इलाज किया जा रहा है। आर आर वेंकटपुरम गांव में स्थित दुर्घटनास्थल से लगभग आठ सौ लोगों को बचा कर निकाला गया और उनमें से अधिकांश को केवल प्राथमिक उपचार की ही आवश्यकता पड़ी।
बताया जा रहा है कि जब रिसाव हुआ तब स्टोरेज टैंक में 1,800 टन स्टाइरीन मौजूद थी। इस गैस का इस्तेमाल पोलिस्टरीन प्लास्टिक, फाइबर ग्लास, रबर और लेटेक्स बनाने में किया जाता है। स्टाइरीन गैस स्नायु तंत्र, गले, त्वचा, आंखों और शरीर के कुछ अन्य भागों पर प्रभाव डालती है।