देश आजादी का 77वां वर्ष मना रहे है। आजादी के इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले के प्राचीर से देश को 10वीं बार संबोधित किया। प्रधानमंत्री ने इस मौके पर कहा कि हम आने वाले महीने में एक विशेष कार्यक्रम लॉन्च करने जा रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि हम विश्वकर्मा पूजा पर 'विश्वकर्मा योजना लॉन्च' करने जा रहे हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा- सरकार अगले महीने पारंपरिक कौशल वाले लोगों के लिए 13,000 से 15,000 करोड़ रुपए के आवंटन के साथ विश्वकर्मा योजना शुरू करेगी। यह योजन हाथों से काम करने वाले मजदूरों, कामगारों, कारिगरों, राजमिस्त्री को लिए होगा।
प्रधानमंत्री ने इस दौरान मणिपुर का भी जिक्र किया जहां मई महीने से ही हिंसा भड़की हुई है। उन्होंने कह कि वहां मां-बेटियों के सम्मान के साथ खिलवाड़ हुआ है। उन्होंने मणिपुर के लोगों से शांति की अपील करते हुए कहा कि पूरा देश मणिपुर के साथ है और शांति से ही समाधान का रास्ता निकलेगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि राज्य व केंद्र की सरकारें मिलकर वहां समस्याओं के समाधान के लिए भरपूर प्रयास कर रही हैं और आगे भी करती रहेंगी।
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में आगे कहा कि स्थिर सरकार चाहिए, पूर्ण बहुमत वाली सरकार चाहिए और 30 साल के अनिश्चितता के कालखंड के बाद देश के लोगों ने एक स्थिर सरकार दी, 2014 और 2019 में एक पूर्ण बहुमत वाली, स्थिर सरकार बनाई तो मोदी में सुधार की हिम्मत आई।
नरेंद्र मोदी ने कहा, जब आपने एक मजबूत सरकार ‘फार्म’ (गठित) की तो मोदी ने ‘रिफॉर्म’ (सुधार) किया, नौकरशाही ने ‘परफॉर्म’ (अच्छा काम) किया तथा जनता जुड़ गई तो ‘ट्रांसफार्म’ (बदलाव) हुआ। देश में अवसरों की कोई कमी नहीं है। देश में अनंत अवसर प्रदान करने की क्षमता है।
प्रधानमंत्री ने कहा, मैं पिछले 1000 वर्षों की बात इसलिए कर रहा हूं क्योंकि मैं देख रहा हूं कि देश के सामने एक बार फिर अवसर है। अभी हम जिस युग में जी रहे हैं इस युग में हम जो करेंगे, जो कदम उठाएंगे और एक के बाद एक जो निर्णय लेंगे, वह स्वर्णिम इतिहास को जन्म देगा।
पीएम ने कहा- जनसांख्यिकी, लोकतंत्र और विविधता की त्रिमूर्ति देश के सपनों को साकार करने की शक्ति रखती है। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज हमारे पास जन सांख्यिकी, लोकतंत्र और विविधता है - ये तीनों मिलकर देश के सपनों को साकार करने की क्षमता रखते हैं। पीएम मोदी ने कहा कि आप निर्णायक मोड़ पर आ खड़े हुए हैं। बदलते हुए विश्व को आकार देने में आज 140 करोड़ देशवासियों का सामर्थ्य नजर आ रहा है।