उच्चतम न्यायालय लोकतांत्रिक ताकतों पर ‘परमाणु मिसाइल’ नहीं दाग सकता?, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा-‘सुपर संसद’ के रूप में कार्य कर रहे जज, देखें वीडियो
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: April 17, 2025 18:20 IST2025-04-17T18:19:34+5:302025-04-17T18:20:21+5:30
उच्चतम न्यायालय ने राज्यपाल द्वारा राष्ट्रपति के विचारार्थ रखे गए विधेयकों पर राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए समयसीमा तय की थी।

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नई दिल्लीः उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने बृहस्पतिवार को न्यायपालिका द्वारा राष्ट्रपति के निर्णय लेने के लिए समयसीमा निर्धारित करने और ‘सुपर संसद’ के रूप में कार्य करने को लेकर सवाल उठाते हुए कहा कि उच्चतम न्यायालय लोकतांत्रिक ताकतों पर ‘परमाणु मिसाइल’ नहीं दाग सकता। धनखड़ ने न्यायपालिका के प्रति यह कड़ी टिप्पणी राज्यसभा के प्रशिक्षुओं को संबोधित करते हुए की। कुछ दिन पहले ही उच्चतम न्यायालय ने राज्यपाल द्वारा राष्ट्रपति के विचारार्थ रखे गए विधेयकों पर राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए समयसीमा तय की थी।
VIDEO | Vice-President of India Jagdeep Dhankhar (@VPIndia) says, “Let me take incidents that are most recent. They are dominating our minds. An event happened on the night of the 14th and 15th of March in New Delhi, at the residence of a judge. For seven days, no one knew about… pic.twitter.com/uNK9U7y5zZ
— Press Trust of India (@PTI_News) April 17, 2025
#WATCH | Delhi | Former Delhi High Court judge Justice Yashwant Varma row | Vice President Jagdeep Dhankhar says, "Let me take incidents that are most recent. They are dominating our minds. An event happened on the night of the 14th and 15th of March in New Delhi, at the… pic.twitter.com/U0Q0HuU6w8— ANI (@ANI) April 17, 2025
उन्होंने ने कहा,‘‘इसलिए, हमारे पास ऐसे न्यायाधीश हैं जो कानून बनाएंगे, जो कार्यपालिका के कार्य करेंगे, जो सुपर संसद के रूप में कार्य करेंगे और उनकी कोई जवाबदेही नहीं होगी, क्योंकि देश का कानून उन पर लागू नहीं होता है।’’ उपराष्ट्रपति ने उच्चतम न्यायालय को पूर्ण शक्तियां प्रदान करने वाले संविधान के अनुच्छेद 142 को ‘‘न्यायपालिका को चौबीसों घंटे उपलब्ध लोकतांत्रिक ताकतों के खिलाफ परमाणु मिसाइल’’ करार दिया। उन्होंने कहा, ‘‘अनुच्छेद 142 लोकतांत्रिक ताकतों के खिलाफ एक परमाणु मिसाइल बन गया है और (जो) न्यायपालिका के लिए चौबीसों घंटे उपलब्ध है।’’
#WATCH | Delhi | Former Delhi High Court judge Justice Yashwant Varma row | Vice President Jagdeep Dhankhar says, "Not for a moment will I ever say that we must not give premium to innocence. Democracy is nurtured, its core values blossom, and human rights are taken at a high… pic.twitter.com/gt0U8XgCs0
— ANI (@ANI) April 17, 2025
संविधान का अनुच्छेद 142 उच्चतम न्यायालय को अपने समक्ष किसी भी मामले में ‘‘पूर्ण न्याय’’ सुनिश्चित करने हेतु आदेश जारी करने की शक्ति देता है। इस शक्ति को उच्चतम न्यायालय की ‘‘पूर्ण शक्ति’’ के रूप में भी जाना जाता है। धनखड़ ने कहा, ‘‘हाल ही में एक फैसले में राष्ट्रपति को निर्देश दिया गया है। हम किस दिशा में जा रहे हैं?’’
उन्होंने कहा, ‘‘देश में क्या हो रहा है? हमें बेहद संवेदनशील होना चाहिए। यह सवाल नहीं है कि कोई पुनर्विचार याचिका दायर करता है या नहीं। हमने इस दिन के लिए लोकतंत्र की कभी उम्मीद नहीं की थी। राष्ट्रपति को समयबद्ध तरीके से निर्णय लेने के लिए कहा जाता है और यदि ऐसा नहीं होता है, तो यह कानून बन जाता है।’’
उपराष्ट्रपति ने कहा कि उनकी चिंताएं ‘‘बहुत उच्च स्तर’’ पर थीं और उन्होंने ‘‘अपने जीवन में’’ कभी नहीं सोचा था कि उन्हें ऐसा देखने को मिलेगा। धनखड़ ने कार्यक्रम में मौजूद लोगों को याद दिलाया कि भारत के राष्ट्रपति का पद बहुत ऊंचा है। उन्होंने कहा, ‘‘राष्ट्रपति संविधान के संरक्षण, सुरक्षा और बचाव की शपथ लेते हैं।
मंत्री, उपराष्ट्रपति, सांसद और न्यायाधीश सहित अन्य लोग संविधान का पालन करने की शपथ लेते हैं।’’ उप राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘हम ऐसी स्थिति नहीं बना सकते जहां आप भारत के राष्ट्रपति को निर्देश दें और वह भी किस आधार पर? संविधान के तहत आपके पास एकमात्र अधिकार अनुच्छेद 145(3) के तहत संविधान की व्याख्या करना है। इसके लिए पांच या उससे अधिक न्यायाधीश होने चाहिए...।’’
उन्होंने शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धांत को रेखांकित करते हुए कहा कि जब सरकार जनता द्वारा चुनी जाती है, तो सरकार संसद के प्रति तथा चुनावों में जनता के प्रति जवाबदेह होती है। धनखड़ ने कहा, ‘‘जवाबदेही का एक सिद्धांत काम कर रहा है। संसद में आप सवाल पूछ सकते हैं...
लेकिन अगर यह कार्यपालिका शासन न्यायपालिका द्वारा संचालित है, तो आप सवाल कैसे पूछ सकते हैं? चुनावों में आप किसे जवाबदेह ठहराते हैं?’’ उन्होंने कहा, ‘‘समय आ गया है जब हमारी तीन संस्थाएं - विधायिका, न्यायपालिका और कार्यपालिका -फूलें-फलें... किसी एक द्वारा दूसरे के क्षेत्र में हस्तक्षेप चुनौती पैदा करता है, जो अच्छी बात नहीं है...।’’