Vice President election: एनडीए बनाम विपक्ष, किसका पलड़ा भारी?, धनखड़ के इस्तीफे से समझिए नंबर गेम, अभी तक कितने उम्मीदवार निर्विरोध निर्वाचित, देखिए लिस्ट
By सतीश कुमार सिंह | Updated: July 23, 2025 19:57 IST2025-07-23T19:56:33+5:302025-07-23T19:57:36+5:30
Vice President election: 245 सदस्यीय राज्यसभा में पांच रिक्तियां हैं, चार जम्मू और कश्मीर (J&K) से और एक पंजाब से है। लोकसभा और राज्यसभा में अभी 782 सांसद हैं, विजयी उम्मीदवार को 392 मतों की आवश्यकता होगी।

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नई दिल्लीः जगदीप धनखड़ के उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफ़ा देने के दो दिन बाद भारतीय चुनाव आयोग (ECI) ने बुधवार 23 जुलाई को उपराष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया शुरू कर दी है। ECI ने यह भी कहा कि उसने उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए निर्वाचक मंडल का गठन शुरू कर दिया है। निर्वाचक मंडल में संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य शामिल होंगे। सभी निर्वाचित और मनोनीत सांसद मतदान के पात्र हैं। भारत के उपराष्ट्रपति का चुनाव लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य करते हैं। वर्तमान में 543 सदस्यीय लोकसभा में एक सीट पश्चिम बंगाल में बशीरहाट रिक्त है। जबकि 245 सदस्यीय राज्यसभा में पांच रिक्तियां हैं, चार जम्मू और कश्मीर (J&K) से और एक पंजाब से है। लोकसभा और राज्यसभा में अभी 782 सांसद हैं, विजयी उम्मीदवार को 392 मतों की आवश्यकता होगी।
Vice President election: एनडीए बनाम विपक्ष: किसका पलड़ा भारी?
लोकसभा में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को 293 सदस्यों का समर्थन प्राप्त है। राज्यसभा में एनडीए को 129 सदस्यों का समर्थन प्राप्त है। सत्तारूढ़ गठबंधन के पास 422 सदस्यों का समर्थन है, जो उपराष्ट्रपति चुनाव में एनडीए उम्मीदवार को आसानी से जीत दिलाने के लिए आवश्यक बहुमत से कहीं अधिक है।
Vice President election: कुल 16 चुनावों में चार बार उम्मीदवार निर्विरोध निर्वाचित हुए
भारत के उपराष्ट्रपति पद के लिए अब तक 16 चुनाव हुए हैं और केवल चार बार ही उम्मीदवार निर्विरोध जीत सके जबकि दो चुनावों में बहुकोणीय मुकाबला देखने को मिला। सर्वपल्ली राधाकृष्णन 1952 से 1962 तक दो बार उपराष्ट्रपति रहे और वह दोनों बार चुनावों में निर्विरोध विजयी रहे। 1952 के चुनाव में, आंध्र प्रदेश के जनाब शेख खादिर हुसैन ने नामांकन दाखिल किया था।
लेकिन उनका नामांकन पत्र खारिज कर दिया गया, जिससे राधाकृष्णन एकमात्र उम्मीदवार रह गए। वर्ष 1979 में प्रसिद्ध न्यायविद और भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश मोहम्मद हिदायतुल्लाह निर्विरोध उपराष्ट्रपति चुने गए। हिदायतुल्लाह को प्रधान न्यायाधीश, उपराष्ट्रपति और कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करने का अनूठा गौरव प्राप्त है।
हिदायतुल्लाह ने 1969 में एक महीने तक कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में काम किया
प्रधान न्यायाधीश के रूप में, हिदायतुल्लाह ने 1969 में एक महीने तक कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में काम किया, जब वी.वी. गिरि ने राष्ट्रपति चुनाव लड़ने के लिए कार्यवाहक राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया था। तीन मई, 1969 को तत्कालीन राष्ट्रपति जाकिर हुसैन के निधन के बाद, गिरि ने कार्यवाहक राष्ट्रपति का कार्यभार संभाला।
1992 में अगले उपराष्ट्रपति चुनाव में के.आर. नारायणन को 701 मतों में से 700 मत मिले
1987 में महाराष्ट्र के तत्कालीन राज्यपाल शंकर दयाल शर्मा ने उपराष्ट्रपति का चुनाव निर्विरोध जीता। नौवें उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए 27 लोगों ने नामांकन पत्र दाखिल किए थे लेकिन निर्वाचन अधिकारी ने केवल शर्मा के आवेदन को ही वैध पाया। उसके बाद 1992 में अगले उपराष्ट्रपति चुनाव में के.आर. नारायणन को 701 मतों में से 700 मत मिले।
उनके प्रतिद्वंद्वी काका जोगिंदर सिंह को, जिन्हें ‘धरती पकड़’ के नाम से भी जाना जाता था, को केवल एक वोट मिला। चुनाव में कुल 711 मत पड़े जिनमें से 10 अवैध पाए गए। उपराष्ट्रपति चुनाव में त्रिकोणीय मुकाबला सिर्फ 2007 में देखा गया जब संप्रग उम्मीदवार एम. हामिद अंसारी का मुकाबला राजग प्रत्याशी नजमा हेपतुल्लाह और तीसरे मोर्चे के उम्मीदवार रशीद मसूद से था।
वर्ष 1967 में, वी वी गिरि ने प्रोफेसर हबीब को पराजित कर उपराष्ट्रपति चुनाव जीता
उस चुनाव में कुल 790 मतदाताओं में से 762 ने अपने मत डाले, जिनमें से 10 अवैध पाए गए। वैध 752 मतों में से अंसारी को 455, हेपतुल्ला को 222 और मसूद को 75 मत मिले। वर्ष 1962 में, जाकिर हुसैन ने एन सी सामंतसिंह के विरुद्ध 554 मतों से उपराष्ट्रपति का चुनाव जीता। 745 सदस्यीय निर्वाचक मंडल में से 596 सदस्यों ने अपने मत डाले, जिनमें से 14 अवैध पाए गए।
वर्ष 1967 में, वी वी गिरि ने प्रोफेसर हबीब को पराजित कर उपराष्ट्रपति चुनाव जीता। 1969 में जी एस पाठक पांच उम्मीदवारों को हराकर उपराष्ट्रपति बने। उस वर्ष राष्ट्रपति चुनाव लड़ने के लिए गिरि के उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देने के कारण चुनाव कराया गया। 1974 में बी. डी. जट्टी ने एन. ई. होरो को हराकर उपराष्ट्रपति चुनाव जीता।
1997 में कृष्णकांत ने उपराष्ट्रपति चुनाव में सुरजीत सिंह को हराया
जट्टी को 521 जबकि होरो को 141 वोट मिले। वर्ष 1984 में, आर. वेंकटरमन ने उपराष्ट्रपति चुनाव जीता। उन्हें 715 वैध मतों में से 508 मत मिले। उन्होंने बापू चंद्रसेन कांबले को हराया। 1987 में वेंकटरमन ने राष्ट्रपति चुनाव लड़ने के लिए पद छोड़ दिया और उस वर्ष हुए चुनाव में शंकर दयाल शर्मा उपराष्ट्रपति चुने गए। 1997 में कृष्णकांत ने उपराष्ट्रपति चुनाव में सुरजीत सिंह को हराया।
कांत को 441 जबकि सिंह को 273 वोट मिले। भाजपा नेता भैरों सिंह शेखावत ने 2002 के उपराष्ट्रपति चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार सुशील कुमार शिंदे को हराया। शेखावत को 759 वैध मतों में से 454 वोट मिले जबकि शिंदे को 305 वोट मिले। 2007 में एम हामिद अंसारी ने उपराष्ट्रपति चुनाव जीता और 2012 में तत्कालीन संप्रग सरकार ने उन्हें फिर से उम्मीदवार मैदान में उतारा।
वर्ष 2012 में अंसारी ने भाजपा उम्मीदवार जसवंत सिंह को 490 वोटों से हराया। 2017 में भाजपा नेता एम वेंकैया नायडू ने कांग्रेस नीत संप्रग के गोपालकृष्ण गांधी को हराया। नायडू को 760 वैध मतों में से 516 वोट जबकि गांधी को 244 वोट मिले। वर्ष 2022 में, भाजपा नीत राजग के उम्मीदवार जगदीप धनखड़ ने कांग्रेस नीत संप्रग उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा को हराया। धनखड़ को 528 वोट जबकि अल्वा को 182 वोट मिले।