नई दिल्ली: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने रविवार को विकसित भारत गारंटी फॉर रोज़गार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण) (VB-GRAM G) बिल को मंज़ूरी दे दी, जो UPA-काल के महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (MGNREGA), 2005 की जगह लेगा। इस योजना से महात्मा गांधी का नाम हटाने के अलावा — जिसकी विपक्ष ने कड़ी आलोचना की है — नया कानून अकुशल मज़दूरों के लिए एक वित्तीय वर्ष में वैधानिक मज़दूरी रोज़गार गारंटी को बढ़ाकर 125 दिन कर देता है। यहां नए VB-GRAM G योजना और MGNREGA के बीच मुख्य अंतरों की एक झलक दी गई है:
VB-G RAM G बनाम MGNREGA: मुख्य अंतर
1. रोजगार के दिनों में बदलाव: VB-G RAM G योजना एक वित्तीय वर्ष में गारंटीड मजदूरी रोजगार के दिनों की संख्या बढ़ाकर 125 दिन कर देती है। MGNREGA के तहत, गारंटीड रोजगार के दिनों की संख्या 100 थी।
2. पूरी तरह से केंद्र सरकार की फंडिंग से बदलाव: बिल की धारा 22 के तहत, केंद्र और राज्य 60:40 के अनुपात में फंड साझा करेंगे। उत्तर पूर्वी राज्यों, हिमालयी राज्यों और उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और जम्मू और कश्मीर जैसे केंद्र शासित प्रदेशों के लिए, साझा करने का पैटर्न 90:10 होगा। फंडिंग में यह वितरण MGNREGA मॉडल से अलग है, जहाँ मजदूरी का हिस्सा पूरी तरह से केंद्र सरकार द्वारा फंड किया जाता था।
3. काम की उपलब्धता: नए कानून के तहत, बुवाई और कटाई के चरम कृषि मौसमों के दौरान योजना में 60 दिनों का ब्रेक होगा, यह कदम खेत मजदूरों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से उठाया गया है।
4. आपूर्ति-संचालित बनाम मांग-संचालित: MGNREGA को व्यापक रूप से इसके मांग-संचालित, अधिकार-आधारित दृष्टिकोण के लिए पहचाना जाता था, जिसके तहत ग्रामीण परिवार जरूरत के अनुसार रोजगार मांग सकते थे और यदि काम प्रदान नहीं किया जाता था तो वे मुआवजे के हकदार थे। इसके विपरीत, नई पहल एक आपूर्ति-संचालित ढांचा है, जहाँ आवंटन सीमित कर दिया गया है। किसी भी अतिरिक्त खर्च को संबंधित राज्य को वहन करना होगा। केंद्र सरकार ने इस पहल के लिए ₹95,000 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं।
5. प्रबंधक निकाय में बदलाव: MGNREGA का प्रबंधन ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा किया जाता था, जबकि VB G Ram G योजना का प्रबंधन केंद्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी परिषद द्वारा किया जाएगा।
6. कड़ी सजा का भी प्रावधान: VB-G RAM G अपने प्रावधानों के उल्लंघन के लिए कड़ी सजा का भी प्रावधान करता है, जिसमें जुर्माना पिछली राशि ₹1,000 से बढ़ाकर ₹10,000 कर दिया गया है।
7. पलायन समस्या को कम करना उद्देश्य: बदली हुई योजना के तहत, ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बेहतर जल सुरक्षा, ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर, आजीविका के साधन, जलवायु लचीलापन, ज़्यादा रोज़गार और बढ़ी हुई खपत से फायदा होने की उम्मीद है। इसका मकसद पलायन की परेशानी को कम करना भी है।
नई योजना के तहत सभी कार्य विकसित ग्राम पंचायत योजनाओं से शुरू होंगे, जिन्हें ब्लॉक, जिला और राज्य स्तर पर समेकित किया जाएगा और आगे विकसित भारत राष्ट्रीय ग्रामीण अवसंरचना स्टैक में एकीकृत किया जाएगा।