चमोली हादसा: 8 महीने पहले ही वैज्ञानिकों ने कर दिया था आगाह, फिर भी नहीं संभले और वही हुआ

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: February 8, 2021 08:35 AM2021-02-08T08:35:42+5:302021-02-08T08:35:42+5:30

उत्तराखंड के चमोली में ग्लेशियर फटने के हादसे ने एक बार फिर सभी को डरा दिया। हालांकि, वैज्ञानिकों ने इसे लेकर चेतावनी करीब 8 महीने पहले ही दे दी थी। इसे लेकर अगर गंभीरता से कार्रवाई होती तो इससे निपटने की तैयारी पहले से की जा सकती थी।

Uttarakhand Chamoli glacier outburst scientist predicted about incident 8 months early | चमोली हादसा: 8 महीने पहले ही वैज्ञानिकों ने कर दिया था आगाह, फिर भी नहीं संभले और वही हुआ

चमोली: 8 महीने पहले ही वैज्ञानिकों ने कर दिया था आगाह (फोटो- वीडियो ग्रैब)

Highlightsदेहरादून में स्थित वाडिया भू-वैज्ञानिक संस्थान के वैज्ञानिकों ने पिछले साल खतरों को लेकर चेतावनी जारी की थीवैज्ञानिकों का ये शोध पत्र अंतर्राष्ट्रीय जर्नल ग्लोबल एंड प्लेनेट्री चेंज में हुआ था प्रकाशितहिमालयी क्षेत्र में ग्लेशियरों के नदियों के प्रवाह रोकने और बनने वाली झील के खतरों से जुड़ी थी चेतावनी

उत्तराखंड के चमोली जिले में ग्लेशियर फटने से रविवार को तबाही मच गई। भू-वैज्ञानिकों ने करीब 8 महीने पहले ऐसी आपदा को लेकर आगाह किया था। अगर उस समय इस पर कार्रवाई होती तो शायद आज की घटना से हम लोगों को बचा सकते थे।

देहरादून में स्थित वाडिया भू-वैज्ञानिक संस्थान के वैज्ञानिकों ने पिछले साल जून-जुलाई के महीने में एक अध्ययन के जरिए जम्मू-कश्मीर के काराकोरम समेत संपूर्ण हिमालयी क्षेत्र में ग्लेशियरों द्वारा नदियों के प्रवाह को रोकने और उससे बनने वाली झीलों के खतरों को लेकर चेतावनी जारी की थी।

साल 2019 में क्षेत्र में ग्लेशियर से नदियों के प्रवाह को रोकने संबंधी शोध आइस डैम, आउटबर्स्ट फ्लड एंड मूवमेंट हेट्रोजेनिटी ऑफ ग्लेशियम में सेटेलाइट इमेजरी, डिजीटल मॉडल, ब्रिटिशकालीन दस्तावेज, क्षेत्रीय अध्ययन की मदद से वैज्ञानिकों ने एक रिपोर्ट जारी की थी।

इस दौरान इस इलाके में कुल 146 लेक आउटबर्स्ट की घटनाओं का पता लगाकर उसकी विवेचना की गई थी। शोध में पाया गया था कि हिमालय क्षेत्र की लगभग सभी घाटियों में ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं।

वहीं, पीओके वाले काराकोरम क्षेत्र में कुछ ग्लेशियर में बर्फ की मात्रा बढ़ रही है। इस कारण ये ग्लेशियर विशेष अंतराल पर आगे जाकर नदियों का मार्ग अवरुद्ध कर रहे हैं। इस प्रक्रिया में ग्लेशियर के ऊपरी हिस्से की बर्फ तेजी से ग्लेशियर के निचले हिस्से की ओर जाती है।

भारत की श्योक नदी के ऊपरी हिस्से में मौजूद कुमदन समूह के ग्लेशियरों में विशेषकर चोंग कुमदन ने 1920 के दौरान नदी का रास्ता कई बार रोका। इससे उस दौरान झील के टूटने की घटनाएं हुई।

2020 में क्यागर, खुरदोपीन व सिसपर ग्लेशियर ने काराकोरम की नदियों के मार्ग रोक झील बनाई है। इन झीलों के एकाएक फटने से पीओके समेत भारत के कश्मीर वाले हिस्से में जान-माल की काफी क्षति हो चुकी है।

वैज्ञानिकों का ये शोध पत्र अंतर्राष्ट्रीय जर्नल ग्लोबल एंड प्लेनेट्री चेंज में प्रकाशित हुआ था। जाने-माने भूगोलवेत्ता प्रो. केनिथ हेविट ने भी इस शोध पत्र में अपना योगदान दिया था। इस शोध को डॉ. राकेश भाम्बरी, डॉ अमित कुमार, डॉ. अक्षय वर्मा और डॉ. समीर तिवारी ने तैयार किया था।

Web Title: Uttarakhand Chamoli glacier outburst scientist predicted about incident 8 months early

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