उत्तर प्रदेशः देशभर में नौकरी की मरामारी?, आखिर क्यों 3668 सिपाहियों ने छोड़ी नौकरी

By राजेंद्र कुमार | Updated: July 30, 2025 16:26 IST2025-07-30T16:24:59+5:302025-07-30T16:26:39+5:30

Uttar Pradesh: पुलिस की भर्ती परीक्षा को पास करने वाले 3568 अभ्यर्थियों ने नौकरी ज्वाइन ही नहीं की और 100 से अधिक अभ्यर्थियों ने पुलिस ट्रेनिंग में शामिल होने के बाद इस्तीफा दे दिया.

Uttar Pradesh shortage jobs across country Why did 3668 constables leave their jobs 24-hour discipline main reason leaving job | उत्तर प्रदेशः देशभर में नौकरी की मरामारी?, आखिर क्यों 3668 सिपाहियों ने छोड़ी नौकरी

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Highlights पुलिस थानों के खराब हालत के साथ ही पुलिस बल में 24 घंटे का अनुशासन बताया जा जा रहा है. युवाओं के पुलिस बल से दूरी बनाने का फैसला कर अपनी सरकारी नौकरी से इस्तीफा दे दिया.हर महीने कम से कम 22 हजार रुपए तो मिल ही जाएंगे. 

लखनऊः उत्तर प्रदेश में भारी बेरोजगारी के बीच पुलिस बल में चयनित हुए 3668 सिपाहियों ने नौकरी छोड़ दी है. रोचक तथ्य तो यह है कि बीते माह 15 जून को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लखनऊ में एक भव्य समारोह में पुलिस बल शामिल हुए 60,244 अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र बांटे थे. इसके बाद पुलिस बल में शामिल हुए इन अभ्यर्थियों की ट्रेनिंग शुरू हुई. तब यह खुलासा हुआ कि पुलिस की भर्ती परीक्षा को पास करने वाले 3568 अभ्यर्थियों ने नौकरी ज्वाइन ही नहीं की और 100 से अधिक अभ्यर्थियों ने पुलिस ट्रेनिंग में शामिल होने के बाद इस्तीफा दे दिया.

यूपी पुलिस भर्ती का ब्योरा

कुल पद :  60244
पुरुष : 48195
महिला : 12049

जॉइन करने अभ्यर्थी :  56676

पुरुष :  45055
महिला : 11621

ट्रेनिंग में दिया इस्तीफा : 100 

पुलिस की भर्ती परीक्षा को पास कर सिपाही बने 3668 युवाओं के नौकरी छोड़ने के मुख्य वजह पुलिस थानों के खराब हालत के साथ ही पुलिस बल में 24 घंटे का अनुशासन बताया जा जा रहा है. सिपाही की नौकरी छोड़ने वाले एक युवक का कहना है कि कम वेतन और ज्यादा मेहनत वाली पुलिस की सर्विस से बजाए वह किसी अन्य सरकारी विभाग में बाबू बनाना चाहेगा, ताकि शाम को वह अपने परिवार के साथ समय बिता सके. ऐसी सोच के चलते ही इन युवाओं के पुलिस बल से दूरी बनाने का फैसला कर अपनी सरकारी नौकरी से इस्तीफा दे दिया.

अब यह लोग सरकार के अन्य विभागों में नौकरी पाने की मुहिम में जुट गए है. नौकरी छोड़ने वाले तमाम लोगों का दावा है कि उन्हे जल्दी सरकारी विभागों में आउटसोर्स कर्मी की नौकरी मिल जाएगी, जिसले उन्हें हर महीने कम से कम 22 हजार रुपए तो मिल ही जाएंगे. 

50 लाख अभ्यर्थियों में 60,244 पाए थे नौकरी

फ़िलहाल सूबे में पुलिस की नौकरी पाए 3668 युवाओं का सरकारी नौकरी से दूरी बनाना चर्चा का विषय है. सूबे के डीजीपी से लेकर पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज के मुखिया भी इस मामले में कुछ भी बोलने के बच रही है. यही नहीं मुख्यमंत्री सचिवालय के अफसर भी इस मामले में छुपी साधे हुए हैं जबकि बीते माह सीएम सचिवालय के अधिकारी यह दावा कर रहे थे कि सीएम योगी के नेतृत्व में वर्ष 2023 में शुरू हुई पुलिस भर्ती प्रक्रिया के 60244 की भर्ती को सफलतापूर्वक पूरा किया गया. इस भर्ती प्रक्रिया के तहत 48,195 पुरुष और 12,049 महिला अभ्यर्थियों का पुलिस बल में चयन हुआ.

इस परीक्षा में करीब 50 लाख अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था. गत 15 जून 2025 को केंद्रीय गृह अमित शाह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मौजूदगी में चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र दिया गया. फिर  21 जून 2025 से इन अभ्यर्थियों की पुलिस ट्रेनिंग शुरू हुई. जिसके बाद ही यह पता चला कि 3668 युवाओं ने पुलिस बल से दूरी बना ली.

इन वजहों से बनाई दूरी

युवाओं की इस सोच को सूबे के डीजीपी रहे जावीद अहमद नए जमाने की सोच मानते हैं. जावीद अहमद के अनुसार, पुलिस के सर्विस में अनुशासन और मेहनत है. जबकि आज हर युवा सुबह नौ बजे से शाम पांच बजे तक की नौकरी करना चाहता. हर सिपाही यह देखता है कि सचिवालय के बाबू और स्कूलों के टीचर सात घंटे काम कर अपने घर पर परिवार के साथ होते हैं.

जबकि थाने में तैनात पुलिस सुबह से लेकर रात दस बजे तक ड्यूटी करता है. और अब हर सिपाही भी यह चाहते है कि पुलिस थाने में उसके बैठने की व्यवस्था अच्छी हो, थाने का टॉयलेट साफ सुथरा हो. अभी यह सब नहीं है, शायद इसी लिए पहली बार पुलिस भर्ती के बाद इनती बड़ी संख्या में पुलिस की नौकरी पाए 3668 सिपाहियों के नौकरी छोड़ दी.

जावीद अहमद का यह कहना है इनमें से कुछ युवा भी रहेंगे होंगे, जिन्हें पुलिस की ट्रेनिंग के दौरान यह लगा होगा कि उनके लिए पुलिस की नौकरी कठिन होगी और वह पुलिस के अनुशासन को बर्दास्त नहीं कर पाएंगे, इसलिए लिए उन्होने ट्रेनिंग के दौरान ही इस्तीफा दे दिया.

जबकि कई युवाओं ने सिपाही से बेहतर विकल्प पाने की उम्मीद में नौकरी छोड़ी होगी. फिलहाल वजह कुछ भी हो सिपाही की नौकरी में सम्मान है तो मेहनत भी खूब है और मेहनत करना सबके बस ही बात नहीं है. अपनी नौकरी के अनुभव के आधार पर जावीद अहमद यह कहते हैं.  

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