उत्तर प्रदेश: निकाय चुनाव ईवीएम से न कराकर बैलट पेपर से कराएं, बसपा सुप्रीमो मायावती की मांग
By राजेंद्र कुमार | Published: April 10, 2023 06:56 PM2023-04-10T18:56:42+5:302023-04-10T18:56:42+5:30
बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने पत्रकारों से बातचीत की। इस दौरान मायावती ने निकाय चुनाव ईवीएम से न कराकर बैलट पेपर से कराये जाने की मांग की।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में चुनाव आयोग ने निकाय चुनाव की घोषणा होने के चंद घटे बाद सोमवार को बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की मुखिया मायावती ने पत्रकारों से बातचीत की। इस दौरान मायावती ने निकाय चुनाव ईवीएम से न कराकर बैलट पेपर से कराये जाने की मांग की। इसके साथ ही उन्होंने योगी सरकार पर निकाय चुनावों में आरक्षण नियमों की अनदेखी कराए जाने का आरोप भी लगाया और कहा की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के इशारे पर निकाय चुनावों में सीटों का आरक्षण किया गया है।
इससे दलित समाज का नुकसान होगा। मायावती का यह कथन योगी सरकार को हैरानी में डालने वाला रहा। इसी क्रम में मायावती ने यह ऐलान भी किया कि माफिया अतीक अहमद के परिवार के किसी सदस्य को प्रयागराज से मेयर का चुनाव लड़ने के लिए कोई आफ़र नहीं दिया गया है।
पहले यह चर्चा थी कि बसपा ने प्रयागराज से माफिया अतीक अहमद के परिवार को फिर से मेयर का चुनाव लड़ने का ऑफर दिया है। जिसके चलते अब माफिया अतीक अहमद के भाई अशरफ की पत्नी जैनब को चुनाव मैदान में उतारा जाएगा। अतीक के परिवार में अशरफ की पत्नी जैनब ही ऐसी सदस्य है, जिस पर कोई मुकदमा दर्ज नहीं है। अतीक की बीवी शाइस्ता और अतीत की बहन आयशा नूर पर पुलिस ने केस दर्ज किया है।
अतीक गुजरात की साबरमती जेल में और उसका भाई अशरफ अभी यूपी के बरेली जेल में बंद है। इस वजह से ऐसे कयास लगाये जा रहे थे कि बसपा अशरफ की पत्नी को मेयर चुनाव में अपना उम्मीदवार बना सकती है, जैसे कुछ साल पहले मायावती ने माफिया डॉन बृजेश सिंह की पत्नी अन्नपूर्णा सिंह उर्फ पूनम सिंह को बनारस स्थानीय निकाय चुनाव में एमएलसी के लिए बसपा का उम्मीदवार बनाया था, लेकिन, बसपा सुप्रीमो मायावती ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस तरफ ही अटकलों पर विराम लगा दिया।
मायावती ने कहा कि प्रयागराज में हुई उमेश पाल की हत्या को लेकर जो तथ्य सामने आए हैं और इस घटना में अतीक की पत्नी का नाम आने के बाद उसके फरार होने पर स्थिति बदल गई है। ऐसी स्थिति में हमारी पार्टी न अतीक की पत्नी और न ही उनके परिवार के किसी भी सदस्य को मेयर का टिकट देगी।
सपा की मांग से सहमत दिखी मायावती
अतीक के प्रकरण से पार्टी को पूरी तरह से बाहर निकालते हुए मायावती ने निकाय चुनाव ईवीएम से न कराकर बैलेट पेपर से कराए जाने और सीटों का आरक्षण में नियमों की अनदेखी किए जाने का जो आरोप लगाया है, वह योगी सरकार के लिए अप्रिय है। समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया अखिलेश यादव भी ईवीएम से न कराकर बैलट पेपर से कराएं जाने की मांग पहले ही कर चुके हैं।
इसके अलावा उन्होंने योगी सरकार पर ओबीसी आरक्षण में गड़बड़ी कराये जाने का आरोप भी गत 5 अप्रैल को लगाया था। अब सपा और बसपा के इन दो मुद्दो पर योगी सरकार को घेरना राजनीतिक रूप में महत्वपूर्ण घटनाक्रम है। बीते लोकसभा चुनावों के बाद यह पहला मौका है जब मायावती सपा मुखिया के विचारों से सहमत होती नजर आयी हैं।
ऐसे में अब यह चर्चा होने लगी है कि इस मामले में सपा और बसपा के एकजुट होकर योगी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलेंगे या अलग -अलग रहते हुए जनता के बीच जाएँगे? यह जल्द ही स्पष्ट हो जाएगा।